
कनाडा के क्यूबेक प्रांत के पौने दो लाख निर्माण मजदूर 24 मई 2017 से हड़ताल पर चले गये हैं। ये मजदूर अपनी वेतन बढ़ोत्तरी की मांग कर रहे हैं। हड़ताल की वजह से क्यूबेक में पुल निर्माण हाइवे निर्माण समेत ढेरों निर्माण काम ठप पड़ गये हैं। सरकार के अनुसार प्रतिदिन 4.5 करोड़ डालर का नुकसान हो रहा है। <br />
क्यूबेक प्रांत में विभिन्न तरीके के निर्माण सेक्टरों के मजदूर अपने सामान्य संगठन में लामबंद हैं वहीं निर्माण क्षेत्र की कम्पनियों की भी एसोसिएशन बनी हुयी है। लम्बे समय से मजदूर प्रतिनिधियों व एसोसिएशन प्रतिनिधियों के बीच वार्ता चल रही थी। मजदूरों ने 24 तारीख से हड़ताल का नोटिस दे रखा था। अंततः जब वार्ता सफल नहीं हुयी तो मजदूर 24 मई से हड़ताल पर चले गये। <br />
मजदूरों का मालिकों की एसोसिएशन पर आरोप था कि वे सितम्बर से पूर्व कोई मांग नहीं मानना चाहते। जबकि मालिकों का कहना है कि मजदूर वार्ता को तैयार नहीं हैं इसलिए हड़ताल पर चले गये। मजदूरों का यह भी कहना है कि कम्पनियां निर्माण मजदूरों से अलग-अलग समझौता करना चाहती है जबकि मजदूर पूरे प्रान्त के मजदूरों के लिए एक सामान्य समझौता चाहते हैं। <br />
हड़ताल के दौरान 24 व 25 मई को मजदूरों ने क्यूबेक प्रांत की अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन भी किये। हड़ताल से छोटे दुकानदारों की बिक्री भी प्रभावित हुई है और वे हड़ताली मजदूरों का समर्थन करते हुए हड़ताल जल्द खत्म हो इसकी मांग कर रहे हैं।<br />
इस बीच सरकार ने मालिक व मजदूर दोनों पक्षों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे शीघ्र आपस में समझौता करें अन्यथा सरकार विशेष कानून पास करके हड़ताल समाप्त कर देगी। <br />
मजदूरों की प्रमुख मांग वेतन बढ़ोत्तरी है वे 2.6 प्रतिशत वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं। महंगाई दर 1.6 प्रतिशत को देखते हुए वेतन वृद्धि की यह मांग हर तरीके से जायज है पर मालिक पक्ष इसे स्वीकारने को तैयार नहीं है। <br />
कनाडा में सरकारों (केन्द्र व राज्य) के पास यह अधिकार है कि वे किसी हड़ताल को विशेष कानून ला समाप्त करा सकते हैं। इन्हें ‘बैक टू वर्क’ कानून कहा जाता है। इसके तहत सरकार दोनों पक्षों की मांगों को सुनने के लिए अपने दो आदमी नियुक्त करती है। अब वे दोनों परस्पर वार्ता कर समझौते पर पहुंचते हैं। इस समझौते को सरकार घोषित करती है। दोनों पक्ष मजदूर व मालिक इसे मानने के लिए बाध्य होते हैं व इस तरह से हड़ताल समाप्त हो जाती है। <br />
पहले इस तरह के कानूनों का इस्तेमाल यदा कदा ही होता था पर अब इन कानूनों का अधिक इस्तेमाल होने लगा है। जाहिर है कि इस तरह से विवाद के निपटारे में मालिक पक्ष को ही फायदा होता है। मालिक वर्ग की पहुंच सरकार के विभिन्न नेताओं-अधिकारियों तक होती है जिसका इस्तेमाल कर वे अपने मनमाफिक समझौता कराने में सफल होते हैं। <br />
इसीलिए मजदूर सरकार द्वारा हड़ताल खत्म कराने की संभावना का विरोध कर रहे हैं। सरकार ने 29 मई तक समझौता न होने पर कानून लागू करने की घोषणा की है। इस बीच मालिकों व मजदूरों की वार्तायें होनी हैं। <br />
सरकार द्वारा कानून लागू कर हड़ताल खत्म कराना मजदूरों के विरोध का कदम है। मजदूरों को इस कानून के खिलाफ भी संघर्ष के मैदान में उतरना होगा।