ईरान में राष्ट्रपति चुनावों में मध्यमार्गीय सुधारवादी मसूद पेजेशकियन को जीत हासिल हुई। पहले चरण 28 जून को हुए चुनाव में किसी प्रत्याशी को 50 प्रतिशत मत नहीं मिले थे। प्रथम चरण में ईरान की 60 प्रतिशत आबादी ने वोट ही नहीं दिया। दूसरे चरण में शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच 5 जुलाई को मत डाले गये थे। जिसमें मसूद पेजेशकियन को 53.3 फीसदी मत मिले और उनके कट्टरपंथी उम्मीदवार जलीली को 44.3 फीसदी मत मिले।
19 मई को हेलीकाप्टर दुर्घटना में तत्कालीन ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत हो गयी थी। इसीलिए नये राष्ट्रपति के चुनाव आयोजित कराये गये थे। ईरानी कानून के अनुसार राष्ट्रपति पद के प्रत्याशियों में से विजेता जनता के प्रत्यक्ष मतदान द्वारा चुना जाता है। इस मतदान में 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल करने वाला प्रत्याशी विजयी घोषित होता है। अगर किसी प्रत्याशी को 50 प्रतिशत से अधिक मत नहीं मिलते हैं तो शीर्ष दो प्रत्याशियों के बीच दोबारा चुनाव होता है।
ईरान में कोई भी शिया इस्लाम को मानने वाला नागरिक राष्ट्रपति पद पर खड़े होने के लिए दावेदारी कर सकता है। गार्जियन काउंसिल के तहत कार्यरत संस्था चुनाव निगरानी एजेंसी सभी इच्छुक नामों की जांच करती है और उनमें से मुट्ठी भर लोगों को चुनाव में भाग लेने की छूट देती है। इस बार भी 4 महिलाओं समेत 80 लोगों ने चुनाव में दावेदारी की थी पर निगरानी एजेंसी ने महज 6 लोगों को चुनाव लड़ने की छूट दी। इन 6 लोगों में से भी 2 नेताओं ने अपना नाम वापस ले लिया। परिणामस्वरूप 28 जून को पहले चरण के चुनाव में 4 प्रत्याशियों के बीच चुनाव हुआ। और दूसरे चरण में शीर्ष 2 प्रत्याशियों के बीच चुनाव हुआ।
28 जून के चुनाव में अभी तक का निम्नतम मतदान लगभग 40 प्रतिशत दर्ज किया गया था। इस चुनाव में मध्यमार्गी सुधारवादी सांसद मसूद पेजेशकियन पहले स्थान पर व कट्टरपंथी सईद जलीली दूसरे स्थान पर रहे। बाद में इन्हीं के बीच 5 जुलाई को चुनाव हुआ। इसके अलावा दो अन्य उम्मीदवार पूरमोहम्मदी (न्याय मंत्री) व मोहम्म बाघेर गालिबफ (इस्लामिक कंसल्टेटिव असेम्बली के अध्यक्ष) तीसरे-चौथे स्थान पर रहने के चलते दौड़़ से बाहर हो गये थे।
मध्यमार्गी सुधारवादी मसूद पेजेशकियन महिलाओं के हिजाब न पहनने को अपराध मानना बंद करने के पक्षधर हैं। वे ईरान पर लगे प्रतिबंधों को हटाने के लिए पूर्व में पश्चिमी देशों में हुए परमाणु समझौते की बहाली के पक्षधर हैं। इसके साथ ही वे कट्टरपंथी ईरान को सुधार के रास्ते पर ले जाने वाले पूंजीवादी गुट के पक्षधर हैं।
कट्टरपंथी जलीली ईरान को कट्टरपंथी इस्लाम की राह पर ही आगे बढ़ाना चाहते थे। वे हिजाब के पक्षधर थे।
20 जून के चुनाव में 6 करोड़ मतदाताओं में से महज 2.45 करोड़ ने ही मतदान किया। पेजेशकियन को 1.04 करोड़ व जलीली को .94 करोड़ मत प्राप्त हुए थे। पहले चरण के हारे उम्मीदवारों ने जलीली के पक्ष में दूसरे चरण में मतदान का आह्वान किया था।
ईरान में सर्वाेच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी के बाद राष्ट्रपति पद सबसे महत्वपूर्ण पद है। हालांकि ईरान में अधिकतर निर्णय सर्वाेच्च नेता के रुख से तय होते हैं। नये राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन जनता के जनवादी अधिकारों कितना स्वर दे पायेगें यह अभी भविष्य में कैद है।