भइया ! इसे कहते हैं अक्ल बेचकर खाना

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अक्ल बेचकर कोई खायेगा तो इसका परिणाम क्या निकलेगा। दुनिया भर के पूंजीवादी नेताओं का यही हाल है। क्या हमारा देश और क्या इटली। हमारे देश में एक ओर बलात्कारियों के लिए आये दिन फांसी की सजा की मांग उठती है तो दूसरी ओर जनाक्रोश को शांत करने के लिए फर्जी एनकाउण्टर किये जाते हैं। बदलापुर का मामला नया है और हैदराबाद का पुराना है। न्यायालय का काम स्वयं पुलिस ही कर डालती है। 
    
भारत की तरह अकल बेचकर खाने वालों में मुसोलिनी की चेली, मोदी की खास दोस्त इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मेलोनी का नाम भी शामिल हो गया है। इन्होंने बलात्कारियों का ‘‘इलाज’’ रासायनिक बधियाकरण में खोज डाला है। बलात्कारियों को रासायनिक ढंग से नपुंसक बना दिया जायेगा। एंड्रोजन हार्मोन को रासायनिक ढंग से ब्लॉक (रोक) कर दिया जायेगा। ‘एंड्रोजन-ब्लाकिंग’ के लिए जार्जिया मेलोनी की सरकार ने कानून बनाने के लिए एक समिति का गठन कर लिया है। इटली की विपक्षी पार्टियां यह कहकर इसका विरोध कर रही हैं कि यह सामंती काल के अंग-भंग करने वाले शारीरिक दण्ड जैसा है। मेलोनी लेकिन सुन नहीं रही हैं। 
    
बलात्कारियों को फांसी देना या उनका इनकाउण्टर करना या उन्हें नपुंसक बनाना कुछ वैसा ही है जैसे कोई मच्छर तो मारता रहे परन्तु कभी उस स्थान को नष्ट या साफ न करे जहां से मच्छर पैदा होते हैं। 

आलेख

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आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

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ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

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ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को