
उन्होंने हमें बताया कि पहली शक्ति है
कार्यपालिका शक्ति
और विधायी शक्ति दूसरी शक्ति है
जिसे ठगों के एक गिरोह ने
‘‘सत्ता पक्ष’’ और ‘‘विपक्ष’’ में बांट रखा है,
और चरित्र भ्रष्ट हो चुका (फिर भी माननीय) सुप्रीम कोर्ट
तीसरी शक्ति है
अखबारों, रेडियो और टी.वी. ने खुद को
चौथी शक्ति का दर्जा दे रखा है और वाकई
वे बाकी तीनों शक्तियों के हाथ में हाथ डाले चलते हैं
अब वे हमें यह भी बता रहे हैं कि
नई लहर वाले युवा पांचवीं शक्ति हैं।
और वे हमें यह भी भरोसा दिलाते हैं कि सभी चीजों और शक्तियों के ऊपर
ईश्वर की महान शक्ति है।
‘‘और अब चूंकि सभी शक्तियों का बंटवारा हो चुका है
..वे निष्कर्ष रूप में हमें बताते हैं-
किसी ओर के लिए कोई शक्ति नहीं बची है
और अगर कोई कुछ और सोचता है
तो उसके लिए फौज और नेशनल गार्ड हैं’’
शिक्षाएंः
1. पूंजीवाद शक्तियों की एक बड़ी मंडी है
जहां केवल चोर अपना धंधा करते हैं
और सच्ची शक्ति की वास्तविक मालिक
यानी आम जनता की बात करना जानलेवा हो सकता है
2. शक्ति के वास्तविक मालिक को उसका
हक दिलाने के लिए यह जरूरी होगा
कि चोरों का व्यापार के मंदिरों से लतिया कर केवल बाहर ही न कर दिया जाए
क्योंकि वे बाहर जाकर फिर संगठित हो जाएंगे;
बल्कि बाजार को व्यापारियों के
सर तक ले आना होगा।