म्यांमार में विनाशकारी भूकंप

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म्यांमार की जनता विनाशकारी प्राकृतिक आपदा की शिकार बनी है। विनाश की छाया थाइलैण्ड तक पहुंची है। 28 मार्च को दो शक्तिशाली भूकंप के विनाश से म्यांमार अभी उभर भी नहीं पाया था कि दूसरे दिन 29 मार्च को फिर से भूकंप ने विनाश को और बढ़ा दिया। 
    
बताया जा रहा है कि म्यांमार में मरने वालों की संख्या 1644 पहुंच गयी है। 3400 लोग घायल हैं। कई लोग अभी भी लापता हैं। थाईलैण्ड में तो 30 मंजिला निर्माणाधीन इमारत रेत की तरह भर भरा कर गिर गई जिसमें कई मजदूर मारे गये, कई मजदूर अब भी मलबे में फंसे हुए हैं। थाईलैण्ड में 17 लोग मारे गये, 32 लोग घायल और 83 लोग लापता बताये जा रहे हैं।
    
म्यांमार, थाइलैण्ड में मृतक, घायल, लापता के सारे आंकड़े सरकारी हैं। सरकारों के चरित्र के अनुरूप कहा जा सकता है कि यह आंकड़े वास्तविकता से नीचे हैं। यूएस जियोलाजिकल सर्वे के अनुसार म्यांमार में मरने वालों की संख्या 10 हजार से ऊपर जा सकती है।
    
किसी भी प्राकृतिक आपदा के बाद जान-माल का नुकसान उस देश की शासन सत्ता, देश की अर्थव्यवस्था, संसाधनों आदि पर बहुत निर्भर करता है। साम्राज्यवादी देश की ज्ञान-विज्ञान में वरीयता उन्हें ऐसी आपदाओं की समय से पहले जानकारी, उन्हें आपदा से बचाव का समय दे देती है।
    
म्यामांर के राजनीतिक हालात निरंतर संकटग्रस्त रहे हैं। म्यांमार की जनता 50 वर्ष से अधिक समय से, सैनिक तानाशाही के बूटों तले रौंदी जा रही है। यहां बहुत थोड़े समय के लिए लोकतंत्र कायम हुआ था। वर्ष 2021 में चुनावी गड़बड़ी का बहाना बनाकर सेना ने यहां फिर से सैनिक तानाशाही कायम कर दी। सैनिक तानाशाही के खिलाफ यहां कई समूह हथियारबंद संघर्ष कर रहे हैं। इस कारण म्यांमार कई सालों से निरंतर गृहयुद्ध में फंसा हुआ है। 2021 के तख्तापलट के बाद गृहयुद्ध निरंतर चल रहा है। सेना भयानक दमन के जरिये अपनी सत्ता बनाये हुए है। 
    
सैन्य अधिकारियों ने म्यांमार में राहत काम तत्काल शुरू करने के बजाय लोगों को खुद ही बचाव कार्य करने के लिए छोड़ दिया। लगभग आधी आबादी भूकम्प से प्रभावित हुयी है। भूकम्प त्रासदी के वक्त भी सेना का विद्रोहियों पर हमलावर अभियान जारी रहा है। पहले ही गृहयुद्ध से लाखों की आबादी विस्थापन का दंश झेल रही थी। भूकम्प त्रासदी ने उनको और गहरे जख्म दिये हैं जिस पर सेना अपनी बदइंतजामी से नमक छिड़क रही है। 
    
साम्राज्यवादी देश म्यांमार के प्राकृतिक संसाधनों की लूट के लिए अपनी-अपनी रणनीति पर चल रहे हैं। सैन्य शासक और साम्राज्यवादी शासक म्यांमार की जनता के बुरे हालात के लिए जिम्मेदार हैं। म्यांमार की लूट-खसोट, उसके राजनीतिक उठापटक के ये लिए ये ही मूलतः जिम्मेदार हैं।  
    
म्यांमार में सैन्य शासन जो अपने को सत्ता में बनाये रखने के लिए पूरे देश को गृहयुद्ध में झोंके हुए हैं। निर्मम लूट का तंत्र म्यांमार की सच्चाई है। इसी रोशनी में जब आपदा बचाव कार्य की कल्पना की जाती है तो बचाव कार्य में कई सारे अवरोध नजर आते हैं। जिसकी कीमत म्यांमार की मेहनतकश जनता अपनी जान से चुका रही है। 

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