
28 अप्रैल को अमेरिकी हवाई हमलों का निशाना यमन के सादा प्रांत का प्रवासी बंदी गृह बना। इस हमले में 68 लोग मारे गये। इस बंदी गृह में उत्तरी अफ्रीका से सऊदी अरब की ओर गैर कानूनी तरीके से जा रहे शरणार्थियों को कैद कर रखा गया था। किसी बंदी गृह को निशाना बना शरणार्थियों को बमबारी कर मार डालने की यह हाल के वर्षों में सबसे बड़ी घटना है।
गत वर्ष यमन के रास्ते सऊदी अरब जाने की कोशिश करने वाले 500 से अधिक शरणार्थी लाल सागर में डूब कर मर गये थे। इसी तरह 2022 में सऊदी अरब के द्वारा इसी बंदी गृह पर हमला बोल 66 शरणार्थी मारे गये थे।
जबसे इजरायल ने फिलिस्तीन के गाजापट्टी, लेबनान, सीरिया व ईरान पर हमला बोलना शुरू किया तभी से अमेरिका ने यमन पर हवाई बमबारी शुरू कर दी थी। यमन के हौथी विद्रोहियों ने भी लाल सागर में इजरायली जहाजों को निशाना बनाना जब शुरू कर दिया तभी से अमेरिका ने इस व्यापारिक मार्ग पर नियंत्रण की खातिर लगातार बमबारी शुरू कर दी थी।
यमन के हौथी विद्रोहियों ने व उनकी सरकार ने इस हमले की निंदा करते हुए इसे अमेरिका द्वारा किया गया जघन्य अपराध बताया है। रेड क्रास ने हिरासत में लिए लोगों पर बमबारी की निन्दा करते हुए कहा कि ऐसी परिस्थिति में लोगों पर जान बचा कर भागने का भी अवसर नहीं होता क्योंकि वे कैद में होते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी इस घटना को दुखद करार देते हुए अमेरिका से अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करते हुए ऐसे बंदी गृहों पर हमला करने से बचने का आहवान किया है।
शरणार्थियों का सम्पन्न देश सऊदी अरब की ओर जाना बीते वक्त में निरंतर जारी रहा है। सऊदी बार्डर पर पकड़े जाने वाले शरणार्थियों का निर्मम दमन होता रहा है। 2023 में सीमा पर सैकड़ों इथियोपियाई शरणार्थियों की सऊदी सीमा रक्षक बलों ने निर्मम हत्या कर दी थी। मरने वालों में महिलायें व बच्चे भी शामिल थे।
बीते डेढ़ माह में यमन पर हवाई हमलों में 200 से ज्यादा नागरिक मारे व सैकड़ों घायल हो चुके हैं। इससे पूर्व 2015-2022 के मध्य सऊदी-अमेरिकी बमबारी ने यमन को खण्डहर सरीखा बना दिया था। लगभग 4 लाख लोग इस हमले के दौरान या उससे उपजी जटिलताओं के चलते मारे गये थे।
एक ओर अमेरिका ने यमन पर हवाई हमला तेज कर दिया है दूसरी ओर ट्रम्प ने मानवीय सहायता में भारी कटौती कर दी है। यह कटौती इस देश की जनता के दुःखों-कष्टां को बढ़ाने का काम करेगी। अमेरिकी सेंट्रल कमाण्ड के दावे के मुताबिक 15 मार्च से अब तक अमेरिका ने यमन के 800 ठिकानों पर बमबारी कर सैकड़ों हौथी विद्रोही मार डाले हैं।
जहां अमेरिका यमन में आये दिन कहर बरपा कर रहा है वहीं इजरायल पहले से तबाह हो चुके गाजा में नरसंहार जारी रखे हुए है। युद्ध विराम का ट्रम्प का वादा हवा हो चुका है। डेढ़ वर्षों में लगभग 60 हजार से अधिक फिलिस्तीनियों की हत्या इजरायल कर चुका है। संक्षिप्त युद्ध विराम की समाप्ति के बाद से इजरायल लगभग ढाई हजार फिलिस्तीनियों को मार चुका है। गाजा पट्टी में कुपोषण व भूख से भी बच्चे व नागरिक मर रहे हैं क्योंकि इजरायल ने मदद आपूर्ति पूरी तरह रोक दी है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में इजरायल के खिलाफ चल रहे मुकदमे में इस सहायता को रोकने पर क्षोभ व्यक्त किया गया।
कुल मिलाकर फिलिस्तीन समेत यह पूरा क्षेत्र शांति से कोसों दूर नजर आता है। युद्ध विराम से जगी उम्मीदें हवा हो चुकी हैं और इजरायल हर फिलिस्तीनी के कत्लेआम या उन्हें खदेड़ने के प्रयास में जुटा है।
इजरायल के इन हमलों में अमेरिकी साम्राज्यवादी हर तरह की सहायता देने के साथ खुद यमन के मोर्चे पर बमबारी की कमान संभाले हुए हैं। अमेरिकी इजरायली शासकों के खूनी पंजों ने समूचे क्षेत्र को रक्त रंजित कर दिया है।