
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सात को फांसी की मांग
मालेगांव बम विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन आई ए) ने विशेष अदालत से भाजपा नेता एवं पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सात लोगों को फांसी दिये जाने की मांग की है।
गौरतलब है कि 29 सितम्बर, 2008 के दिन मुंबई से 200 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के निकट बम विस्फोट हुआ था। यह विस्फोट एक मोटरसाइकिल में लगे विस्फोटकों के जरिये किया गया था। इस आतंकवादी कृत्य में 6 लोगों की मौत हुई थी जबकि 100 से अधिक लोग घायल हो गये थे।
इस मामले में पहले जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते ने शुरू की थी, फिर बाद में 2011 में इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन आई ए) के हवाले कर दिया गया। तब 2016 में एन आई ए ने प्रज्ञा ठाकुर, श्याम साहू, प्रवीण तकलकी और शिवनारायण कलसायरा को आरोप मुक्त कर दिया था। लेकिन विशेष अदालत ने प्रज्ञा ठाकुर को मुक़दमे से बरी नहीं किया।
तदुपरान्त 30 अक्टूबर, 2018 से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी पर गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यू ए पी ए) की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य) एवं 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) तथा आई पी सी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 324 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) एवं 153 ए (दो धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत मुकदमे की कार्रवाही शुरू हुई।
अभी 19 अप्रैल, 2025 को इस मामले में सुनवाई पूरी होने के साथ एन आई ए ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत उपरोक्त सातों को दोषी मानते हुये फांसी की सजा की मांग की है। विशेष अदालत ने 8 मई तक अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
इसी बीच जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ जिसमें 28 लोगों की जान चली गई और 17 घायल हो गये। ऐसे में अपने नागरिकों की सुरक्षा में असफल मोदी सरकार से कोई सवाल करने के बजाय इस पर सांप्रदायिक राजनीति करते हुये बाबा रामदेव ने बयान दिया कि ‘‘मैं अपने मुस्लिम मित्रों से कहना चाहता हूं कि यदि वे इस्लाम को आतंकवाद के अभिशाप से मुक्त करना चाहते हैं, तो उन्हें अध्यात्म को अपनाना होगा और योग इसमें मदद करता है। योग शांति को बढ़ावा देता है।’’ ऐसे में सवाल बनता है कि क्या मालेगांव बम विस्फोट की आतंकी घटना पर वे अपने हिंदू मित्रों को भी कोई सुझाव देना चाहेंगे?