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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सत्ता संभालते ही अपनी नफरत की राजनीति को परवान चढ़ाते हुये अप्रवासी अमेरिकियों के खिलाफ बड़ा हमला बोल दिया है।<br />
विगत 21 फरवरी को ट्रम्प प्रशासन द्वारा दो प्रवर्तन आज्ञप्तियां जारी करके अप्रवासियों को वापस भेजने अथवा बाहर करने के संबंध में कानूनों को बेहद कठोर बना दिया गया है। <br />
ट्रम्प सरकार के नये निर्देशों के द्वारा अमेरिका में रह रहे उन 1 करोड़ से ऊपर (लगभग 11 मिलियन) अप्रवासियों को भारी मुश्किलों व मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा जिनके पास अमेरिका में रहने के वैध दस्तावेज नहीं है।<br />
अमेरिका में कथित रूप से अवैध अप्रवासियों में सर्वाधिक संख्या मैक्सिको व मध्य अमेरिका के लोगों की है। <br />
नये कानून के मुताबिक प्रवर्तन विभाग के लोग महज शक के आधार पर ऐसे किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं अथवा पकड़ सकते हैं जो उनके विश्वास के मुताबिक अमेरिका में अवैध रूप से रह रहा है।<br />
ट्रम्प सरकार के नये कानून के बारे में जानकारी देते हुये अमेरिका के राष्ट्रपति भवन (व्हाइट हाउस) के प्रवक्ता ने कहा कि जो कोई भी अवैध रूप से रह रहा है कभी भी निकाला जा सकता है। ‘अवैध’ प्रवासियों को निशाने पर लेते हुये अमेरिकी सरकार सबसे पहले उन अप्रवासियों को लक्षित करेगी जो छोटे मोटे अपराध के आरोपी हैं अथवा जिन पर यह संदेह बनता है कि उन्होंने सार्वजनिक सेवाओं का दुरूपयोग किया है। सार्वजनिक सेवाओं के दुरूपयोग की एक बहुत व्यापक श्रेणी है जिसके अंतर्गत उन लोगों को दोषी ठहराया जा सकता है जिन्होंने अपने अप्रवास के संबंध में कोई तथ्य गलत दिया है अथवा छिपाया है।<br />
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी इस कार्यवाही को एक सैन्य कार्यवाही अथवा मिलिट्री ऑपरेशन का नाम दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस कदम का अमेरिका के गोरे दक्षिणपंथियों अप्रवासी विरोधी समूहों के साथ बड़े कारपोरेट पूंजीपतियों के एक हिस्से ने भी समर्थन किया है।<br />
जब ट्रम्प अपने इस कदम के बारे में व्हाइट हाउस में बयान दे रहे थे तो उस समय वहां डाउ कैमिकल्स, जनरल इलैक्ट्रिक, लॉकहीड मार्टिन एवं कैंटरपिलर इंक जैसे बड़े कारपोरेट घरानों के मुख्य कार्यकारी (सी.ई.ओ.) मौजूद थे। वहां मौजूद समूह ने ट्रम्प सरकार द्वारा मैक्सिको बॉर्डर पर अप्रवासी लोगों के खिलाफ धरपकड़ की कार्यवाही की सराहना की।<br />
ट्रम्प द्वारा अप्रवासियों के खिलाफ की जा रही ये दमनात्मक कार्यवाही कोई नयी नहीं है बल्कि अपने चुनाव प्रचार के दौरान ट्रम्प ने अमेरिका की सभी समस्याओं के लिये अप्रवासी लोगों को जिम्मेदार बताकर उनके खिलाफ नफरत को उभारा था। उन्होंने अमेरिकी समाज में बढ़ रहे अपराधों, बेरोजगारी व नशाखोरी के लिए अप्रवासियों को जिम्मेदार बताया था। अप्रवासियों के खिलाफ नफरत का माहौल बनाकर ट्रम्प ने इसका चुनावी लाभ उठाया तथा अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीत लिया। अपने इस घृणा अभियान को ट्रम्प ने ‘धार्मिक राष्ट्रवाद’ का नाम दिया था। अप्रवासियों के अलावा मुसलमानों, महिलाओं व अश्वेतों के खिलाफ भी ट्रम्प के जहरीली व घृणा फैलाने वाली बातें काफी चर्चित रहीं। भारत के तथाकथित राष्ट्रवादियों को ट्रम्प की बातों में अपनी सांप्रदायिक फासीवादी भाषा की अनुगूंज सुनाई दी। इसलिये ये तथाकथित राष्ट्रवादी ट्रम्प के जीतने के लिये हवन यज्ञ कर रहे थे। आज ये तथाकथित राष्ट्रवादी अपनी जुबान सिलकर बैठे हुये हैं क्योंकि ट्रम्प के अप्रवासी कानूनों में इन नये व कठोर बदलावों की चपेट में 3 लाख से ज्यादा भारतीय भी आ रहे हैं। यहां तक कि ग्रीन कार्ड धारक भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।<br />
ग्रीन कार्ड धारक वे लोग हैं जिन्हें अमेरिका की नागरिकता तो प्राप्त नहीं है लेकिन अमेरिका में स्थायी रूप से रहने का अधिकार है। अमेरिकी सरकार द्वारा विभिन्न देशों के तकनीकी व वैज्ञानिक पेशेवरों व प्रतिभाओं को अपने यहां खींचने के लिये ग्रीन कार्ड का प्रबंधन किया गया था। अमेरिकी नागरिकों के बरक्स ग्रीन कार्ड धारकों को सभी अधिकार प्राप्त नहीं हैं। ग्रीन कार्ड धारक अमेरिकी चुनावों में वोट नहीं डाल सकते हैं। अमेरिकी नागरिकों की तरह वे अमेरिका से बाहर अनिश्चित समय तक नहीं रह सकते हैं तथा अपना मकान कहीं और नहीं बना सकते हैं और अगर वे ऐसा करते हैं तो उनका अमेरिका में प्रवास का अधिकार खत्म हो सकता है।<br />
ट्रम्प सरकार ने कुछ समय पहले कुछ मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया था। अब मौजूदा अप्रवासी कानूनों को कठोर बनाकर अमेरिका में नस्लीय नफरत को तेज करने का काम ट्रम्प सरकार कर रही है। मोदी सरकार की तरह ट्रम्प अपने देश में अपराध व नशाखोरी के लिये पड़ोसियों को जिम्मेदार मानते हैं तथा मैक्सिकों की सीमा पर ऊंची दीवार खड़ी करने की योजना बनाये हैं इसके लिये वे मैक्सिको से धन देने के लिये भी दबाव बना रहे हैं। इस कारण हाल ही में मैक्सिकों व अमेरिका के रिश्तों में तनाव पैदा हुआ है। मोदी की भाषा बोलने वाले ट्रम्प मैक्सिको में सैन्य अभियान द्वारा नशे के तथाकथित अड्डों को नष्ट करने की बात भी करते हैं। ट्रम्प के इन फासीवादी तेवरों से अमेरिकी समाज में व्यापक बेचैनी महसूस की जा रही है तथा लाखों की संख्या में गोरे व काले अमेरिकी मिलकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ट्रम्प सरकार का अप्रवासी कानूनों में बदलाव पूर्व की डेमोक्रेटिक सरकारों की अ्रप्रवासी विरोधी नीतियां का विस्तार है। अप्रवासी विरोधी कानून सर्वप्रथम 1996 में डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दौर में वजूद में आया था। डेमोक्रेटिक पूर्व राष्ट्रपति ओबामा के कार्यकाल के दौरान अब तक सर्वाधिक 2.67 लाख अप्रवासियों को देश से बाहर निकाला गया था। जाहिर है अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी व रिपब्लिकन पार्टी के बीच फर्क लगभग खत्म होता गया है। दोनों ही दक्षिणपंथी हैं। एक छिपी दक्षिणपंथी है तो दूसरी मुखर।<br />
अमेरिका में रह रहे अप्रवासियों में सर्वाधिक मैक्सिको व मध्य अमेरिका के युद्धग्रस्त व संकटग्रस्त देशों के मजदूर मेहनतकश लोग हैं। कभी बेहद सस्ते श्रम के चलते अमेरिका ने अप्रवासियों के लिये प्रवेश के नियम व निगरानी को ढीला कर भरपूर मुनाफा कमाया। गौरतलब है कि अमेरिका के वस्त्र उद्योग की ढेरों फैक्टरियां अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर स्थित हैं जिन्हें माकीलाडोरा कहा जाता है। इन फैक्टरियों में बेहद कम वेतन व अमानवीय स्थितियों में मैक्सिकी महिलायें सिलाई का काम करती हैं। अमेरिकी उद्योगों व कृषि के लिये सबसे सस्ता मजदूर मैक्सिको का ही होता है। खेती में बुवाई व कटाई के समय अमेरिकी सेना बॉर्डर पर निगरानी को ढीला करती रही है ताकि मैक्सिकी मजदूर की घुसपैठ करायी जा सके। मैक्सिकी मजदूरों के पास नागरिकता न होने के कारण वे किसी भी तरह के कानूनी अधिकारों का दावा नहीं कर सकते हैं। इसका लाभ भी अमेरिकी पूंजीपति उठाते रहे हैं। इसके साथ ही नारको पोलिटिक्स के तहत मध्य अमेरिकी देशों में नशे के कारोबार को अमेरिकी खुफिया एजेंसीं सी.आई.ए. संचालित करती रही है। इस नशे के कारोबार से होने वाली आमदनी का उपयोग सी.आई.ए. दुनिया भर के देशों में सैन्य हस्तक्षेप, तख्तापलट व आतंकवादी समूहों को पालने-पोसने में करती रही है। पनामा में सैन्य तख्तापलट कर एक नशे के बड़े तस्कर नोरिएगा को सत्तासीन करने का कारनामा सी.आई.ए. ने पिछली सदी के अस्सी के दशक में रचा था। हालांकि बाद में नोरिएगा के अमेरिका के ईशारों पर नाचने से इंकार करने पर सी.आई.ए.ने उसे भी तख्तापलट कर हटवा दिया तथा अमेरिका की जेल में कैद करके रखा।<br />
जाहिर है अप्रवासियों, अपराध व नशाखोरी की जिन बातों का अमेरिकी सरकार द्वारा रोना रोया जा रहा है वे उसी के द्वारा एक दौर में पैदा की गयीं व बाद में बढ़ाई गयीं।<br />
ट्रम्प सरकार द्वारा अप्रवासियों के खिलाफ नया कानून अमेरिकी समाज में भीषण होते जा रहे संकट का परिचायक है। सरकार इस बढ़ते संकट के दौर में मजदूरों के एक हिस्से को दूसरे से लड़ाकू अथवा देशी मजदूरों को अप्रवासी मजदूरों से लड़ाकर वास्तविक समस्याओं व उनके कारणों से मजदूर मेहनतकश जनता का ध्यान हटाना चाहती है। <br />
अमेरिका की मजदूर मेहनतकश जनता ट्रम्प सरकार की इस मंशा को समझ रही है और प्रतिरोध भी कर रही है। आने वाले दिनों में यह विरोध व प्रतिरोध और मुखर व तीखा होगा।