दलित उत्पीड़न-महिला हिंसा के विरोध में प्रदर्शन-ज्ञापन

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मऊ/ बिहार के नवादा जिले की कृष्णानगर दलित बस्ती को पूरी तरह फूंक दिए जाने के खिलाफ, उड़ीसा में पुलिस थाने में ब्रिगेडियर की लड़की के साथ किए गए जघन्य व अमानवीय यौन उत्पीड़न- दमन के खिलाफ व मध्य प्रदेश में घूमने गये सेना के जवान की मंगेतर के साथ किए गए सामूहिक बलात्कार के खिलाफ 26 सितम्बर को मऊ में साझा धरना-प्रदर्शन किया गया। राष्ट्रपति को संबोधित चार सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी के प्रतिनिधि को सौंपा गया।
    
प्रदर्शन में अखिल भारतीय किसान सभा, माकपा, भाकपा-माले, इंकलाबी मजदूर केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, एम.सी.पी.आई(यू), पूंजीवाद, साम्राज्यवाद विरोधी जनवादी मंच, राष्ट्रवादी जनवादी मंच शामिल रहे।
    
इस दौरान आयोजित जनसभा को भाकपा माले के कामरेड बसंत कुमार, अखिल भारतीय किसान सभा के कामरेड रामकुमार भारती, माकपा के कामरेड वीरेंद्र, एमसीपीआई के कामरेड अनुभव दास, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के बलवंत और प्रेम प्रकाश सिंह, एम.सी.पी.आई.के कामरेड हरिलाल ने संबोधित किया।
    
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि बिहार, उत्तर प्रदेश सहित देश के तमाम प्रदेशों में बीजेपी आर.एस.एस. व कारपोरेट घरानों का गठजोड़ देश को फासीवाद की आग में झोंकने, दलितों के उत्पीड़न, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की मुहिम चला रहा है। इस मुहिम के खिलाफ क्रांतिकारी ताकतों, जनवादी संगठनों व इंसाफ पसंद लोगों को मिलकर लड़ना होगा। 
              -मऊ संवाददाता

आलेख

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आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

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ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

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