सर्वे कम्पनी के मजदूरों का शोषण
हल्द्वानी/ जीआईएस कंसोर्टियम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एच-112, प्रथम तल, सेक्टर 63, नोएडा, उत्तर प्रदेश, भारत, 201-301 ऑनलाइन सर्वे करने वाली कंपनी है, जिस
हल्द्वानी/ जीआईएस कंसोर्टियम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एच-112, प्रथम तल, सेक्टर 63, नोएडा, उत्तर प्रदेश, भारत, 201-301 ऑनलाइन सर्वे करने वाली कंपनी है, जिस
दिल्ली/ 3 अगस्त को न्यूनतम वेतन एवं अन्य श्रम अधिकारों को लागू करवाने के लिए बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में मजदूर पंचायत का आयोजन किया गया। मजदूर एकता समिति
प्रशासन ने आकर दिया समस्याओं के निस्तारण का आश्वासन; विधायक की ओर से समाधान के लिए मंगलवार तक का लिया गया समय
दिल्ली/ देश की राजधानी दिल्ली में स्थित खैबरपास बस्ती पर 13 जुलाई से बुल्डोजर चल रहा है। दिल्ली विधानसभा के पास स्थित इस बस्ती में मजदूर मेहनतकश आबादी पि
बदायूं/ दिनांक 12 अगस्त 2024 को आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन जनपद बदायूं के नेतृत्व में स्थान जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय बदायूं पर धरना प्
हल्द्वानी/ बनभूलपुरा में रेलवे द्वारा जमीन लिए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्वास की योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। 24 जुलाई की सुनवाई में सुप्
हरिद्वार/ सिडकुल (हरिद्वार) में लक्जर राइटिंग इंस्ट्रूमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड पेन निर्माता कम्पनी है। हरिद्वार सिडकुल में इसके दो प्लांट हैं जिसमें हजारो
राजस्थान/ 22 जुलाई को राजस्थान में 17 सरकारी मेडिकल कालेज के 700 अध्यापक सामूहिक छुट्टी पर चले गये। इनकी मांग वेतन भुगतान से सम्बन्धित है।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)/ पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत दिनांक 7 जुलाई को श्रमिक संयुक्त मोर्चा ऊधमसिंह नगर के आह्वान पर भारी बारिश के बीच स्थानीय रामलीला मैद
रुद्रपुर/ दिनांक 14 जुलाई 2024 को भगवानपुर दानपुर के पास एक बस्ती भगवान पुर मल्ला टोली कालोनी को बुलडोजर चलाकर उजाड़ दिया गया। यहां पर लगभग 46-47 परिवार र
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था।
ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।
ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती।
अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को