पनामा : कटौती कार्यक्रम व साम्राज्यवाद विरोधी प्रदर्शन-हड़ताल

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पनामा के श्रमिक बीते 3 सप्ताह से अधिक समय से संघर्षरत हैं। समय के साथ श्रमिकों के नये समूह संघर्ष में शामिल होकर संघर्ष को व्यापक बनाते जा रहे हैं। श्रमिक सामाजिक सुरक्षा कोष में सुधार वाले कानून का विरोध कर रहे हैं। यह कानून पेंशन कटौती, सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने, श्रमिकों का पेंशन में योगदान बढ़ाने व पेंशन प्रणाली के निजीकरण की राह खोलता है। इसके साथ ही श्रमिक पनामा नहर पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की अमेरिकी नियंत्रण की इच्छा, पनामा में नये अमेरिकी सैन्य अड्डे बनाने व तांबे की खानों को फिर से खोलने का भी विरोध कर रहे हैं। 
    
श्रमिकों के इस संघर्ष की शुरूआत 23 अप्रैल को देश भर के शिक्षक संघों के द्वारा राष्ट्रीय हड़ताल के आह्वान से हुई। 28 अप्रैल को निर्माण श्रमिकों की यूनियन भी इस हड़ताल में शामिल हो गयी। इनके शामिल होने से देश की निर्माण परियोजनायें ठहर सी गयीं। बाद में केला क्षेत्र के मजदूर भी हड़ताल में शामिल हो गये। इसके अलावा डाक्टर, छात्र-प्रोफेसर भी समय-समय पर हड़ताल के समर्थन में प्रदर्शन करते रहे। नर्सों की राष्ट्रीय एसोसिएशन भी संघर्ष में शामिल हो गयी। नर्सों की एसोसिएशन ने 19 मई से आम हड़ताल का आह्वान कर दिया है। 
    
9 मई को नर्सों की एसोसिएशन ने राष्ट्रपति कार्यालय तक जुलूस निकाला। स्कूली छात्र भी उनके प्रदर्शन में शामिल हो गये। नर्सों के इस प्रदर्शन के उनकी सफेद ड्रेस में प्रदर्शन के चलते ‘ग्रेअ व्हाइट वॉक’ का नाम दिया गया। इस प्रदर्शन में ‘‘कानून 462 को नकारें’’, ‘‘हम अपनी नोटबुक को बैनर में बदल रहे हैं क्योंकि मेरा भविष्य मायने रखता है’’ आदि नारे लगाये जा रहे थे। प्रदर्शन में साम्राज्यवाद विरोधी बैनरों की भरमार थी। खासकर अमेरिकी साम्राज्यवाद प्रदर्शनकारियों के मुख्य निशाने पर था। 
    
पनामा की मुलिनो सरकार ने श्रमिकों पर नये हमले बोलने के साथ अमेरिकी साम्राज्यवाद के सामने आत्मसमर्पण का काम किया है। मुलिनो सरकार प्रदर्शनों के दमन पर उतारू है। संघर्षरत तमाम छात्रों की गिरफ्तारी, प्रदर्शनों के दमन में सेना की तैनाती, प्रदर्शनों को पुलिस बलों द्वारा जबरन रोकना-गिरफ्तारी की घटनायें लगातार बढ़ती गयी हैं। पनामा वि.वि. दमन का प्रमुख क्षेत्र बना हुआ है। प्रदर्शनों के दमन में क्रूर बल प्रयोग किया जा रहा है। 
    
ट्रम्प की आक्रामक नीति के आगे पनामा का पूंजीपति वर्ग व सरकार आत्मसमर्पण की मुद्रा में हैं। मुलिनो सरकार को पनामा नहर क्षेत्र में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती, पनामा नहर पर अमेरिकी नियंत्रण से कोई आपत्ति नहीं है। पर पनामा की जनता के लगभग सभी हिस्से अपनी सरकार के इस शर्मनाक आत्मसमर्पण से नाराज हैं। वे चाहते हैं कि उनकी सरकार साम्राज्यवाद विरोधी तेवर दिखाये। ट्रम्प की आक्रामक नीति का खुलकर मुकाबला करे।
    
यद्यपि इस संघर्ष को आबादी की बहुसंख्या का समर्थन हासिल है पर उनके बीच कार्यवाही की एकजुटता का अभी अभाव है। श्रमिक, किसान, स्वदेशी समूह सब एक सूत्र में कार्यवाही करने के बजाय अलग-अलग ढंग से संघर्ष में उतर रहे हैं। जरूरत इन सभी के एक साथ जुड़कर सामूहिक संघर्ष में उतरने की है। अगर वे सामूहिक ढंग से प्रतिक्रिया करने की ओर बढ़ते हैं तो अपनी सरकार को झुकाने में कामयाब हो सकते हैं। 
    
इसके साथ ही संघर्ष में मजदूर वर्ग की प्रमुख भूमिका के बावजूद मजदूर वर्ग की क्रांतिकारी विचारधारा संघर्ष की नेतृत्वकारी ताकत नहीं है। इसके चलते संघर्ष को निर्णायक व क्रांतिकारी तरीके से लड़ने में कमजोरी प्रदर्शित हो रही है। इसे दुरुस्त कर ही पनामा की जनता निर्णायक संघर्ष खड़ा कर सकती है।  

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