
ग्रीस में 2023 में 28 फरवरी को टेम्पी नामक स्थान पर भीषण रेल दुर्घटना हुई थी। इस घटना के 2 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन अभी तक इस दुर्घटना में मारे गये लोगों और उनके परिवारजनों को न्याय नहीं मिल पाया है। इस दुर्घटना में 57 लोग मारे गये थे जिसमें अधिकांश 20 साल की उम्र के विश्वविद्यालय के छात्र थे। इसके अलावा सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इसी घटना की न्यायिक जांच पूरी करने, सरकार द्वारा इस घटना की जिम्मेदारी लेने और परिवहन साधनों में सुरक्षा इंतजामों की मांग को लेकर 28 फरवरी को एथेन्स में संसद के सामने और देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री के इस्तीफे की भी मांग कर रहे थे।
28 फरवरी 2023 की रात को टेम्पी नामक स्थान पर निजी रेल कम्पनी हेलेनिक की यात्रीगाड़़ी और मालगाड़ी की ट्रेन दुर्घटना हुई थी। इस घटना के दो साल गुजर जाने के बाद भी जिम्मेदार लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। न्यायालय भी ट्रेन दुर्घटना के कारणों पर सबूत दिए जाने पर भी उनको स्वीकार करने को तैयार नहीं है। मृतक लोगों के परिवारजनों और वकीलों ने ‘‘टेम्पी 2023’’ के नाम से एक एसोसिएशन बनायी है जो दो साल से इस दुर्घटना के दोषियों को सजा दिलाने को प्रयासरत है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है।
इस प्रदर्शन के दौरान रेल दुर्घटना में मारे गये लोगों की याद में 24 घंटे की आम हड़ताल भी आयोजित की गयी। इस हड़ताल में रेल ड्राइवर, हवाई यातायात नियंत्रक, नाविकों के अलावा डाक्टर, अध्यापक, वकील, बैंक और म्युनिसिपलिटी कर्मचारी भी शामिल रहे। इसके अलावा ऊर्जा, रसायन, वस्त्र, भोजन उद्योग और सुपरमार्केट 11 बजे से 3 बजे तक बंद रहे। मेट्रो और टैक्सी ड्राइवर भी पूरी तरह हड़ताल पर रहे। मेट्रो और टैक्सी ड्राइवरों ने लोगों को संसद भवन तक पहुंचाने का काम किया।
यह प्रदर्शन ग्रीस के अंदर 2010 के बाद से हुए प्रदर्शनों में सबसे बड़ा बताया जा रहा है। दरअसल 2010 के बाद यूरोपीय यूनियन के दबाव में ग्रीस की पूंजीपतियों की सरकार ने सार्वजानिक संस्थाओं का निजीकरण किया है। इसमें रेल भी है जो इटली की कम्पनी हेलेनिक को बेच दी गयी है। निजी कम्पनी ने न तो दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अलार्मिंग सिस्टम लगाए हैं और न ही पर्याप्त स्टाफ की भर्ती की है। यह सब ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए किया गया है।
चूंकि इस दुर्घटना में मारे गये ज्यादातर छात्र थे इसलिए छात्रों का गुस्सा स्वाभाविक रूप से ज्यादा है। प्रदर्शन के दौरान प्राइमरी स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालय तक बंद रहे। विश्वविद्यालय के छात्रों की मीटिंग में तो ग्रीस के सभी विश्वविद्यालयों पर कब्ज़ा करने की बात तय की गयी।
प्रधानमंत्री मित्सोताकिस को इस जोरदार प्रदर्शन का आभास हो गया था। इसलिए उसने संसद के आस-पास वाले इलाके की भारी घेराबंदी कर रखी थी। दंगारोधी दस्तों को संसद की सुरक्षा के लिए तैनात कर रखा था। जब हजारों युवा अपने बैनरों के साथ संसद भवन के पास पहुंचे तो वहां तैनात दस्तों ने उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार की। रात में केवल कुछ ही प्रदर्शनकारियों को चौराहे पर रुकने दिया गया।
दरअसल ग्रीस में 2010 से ही आर्थिक संकट छाया हुआ है। इस आर्थिक संकट को हल करने के नाम पर कई सरकारें आयीं और गयीं लेकिन अर्थव्यवस्था का संकट दूर नहीं हुआ। बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, निजीकरण ने लोगों का जीवन दूभर कर रखा है। शिक्षा और स्वास्थ्य की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है। इसको लेकर अलग-अलग समयों पर काफी प्रदर्शन, हड़तालें आयोजित हुई हैं। इस सबके बीच 2023 में ट्रेन दुर्घटना ने लोगों को गुस्से से भर दिया है। ग्रीस की सरकार लोगों को न्याय देने के बजाय घटना के कारणों को छुपाने में लगी हुई है। न्यायिक जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है। इस प्रदर्शन के दौरान लोग रेल के निजीकरण को रद्द कर सार्वजनिकीकरण करने की भी मांग कर रहे थे।
जो व्यवस्थापरस्त ट्रेड यूनियनें इस प्रदर्शन में भागीदारी कर रही हैं वे अच्छी तरह जानती हैं कि यह आंदोलन अगर उनके हाथ से निकल गया तो उनके और व्यवस्था के लिए अच्छा नहीं होगा। इसलिए वे कोई ऐसा आह्वान करने से बच रही हैं जो लोगों को ज्यादा समय तक सड़कों पर रख सके। प्रदर्शनकारियों के दमन का विरोध करने के लिए भी वे कोई कार्यक्रम नहीं ले रही हैं।