मुझे खेद है, अंकिता -कोलिन गोंसाल्वेस

/mujhe-khed-hai-ankita-kolin-gonsalaves

मुझे खेद है, अंकिता कि आपकी हत्या की सीबीआई जांच की मांग करने वाले सुप्रीम कोर्ट में आपके मामले का निपटारा कर दिया गया और हम अभी तक मुख्य अपराधी को पकड़ने में कामयाब नहीं हुए हैं। मुझे खेद है सोनी देवी, आपकी प्यारी बेटी की हत्या के लिए एक वीआईपी ने होटल में काम करने वाली एक छोटी लड़की अंकिता से ‘‘विशेष सेवाएं’’ मांगीं। उसके इनकार के कारण उसकी हत्या हो गई।
    
मुझे इस बात का भी दुख है कि हमारी पुलिस बल राजनेताओं के सामने इतनी झुक गई है कि वह किसी भी अपराध को छुपाने के लिए तैयार हो जाती है। सबसे पहले, अंकिता और उसके दोस्त पुष्पदीप के बीच व्हाट्सएप चैट जिसमें उसने शिकायत की थी कि एक वीआईपी उसके होटल में आ रहा था और उससे विशेष सेवाओं की मांग कर रहा था, उसे उत्तराखंड पुलिस ने चार्जशीट से हटा दिया। उन चैट में उसने अपने दोस्त से तुरंत आने और उसे बाहर ले जाने के लिए कहा। दूसरे, उसके दोस्त पुष्पदीप और वीआईपी के सहयोगी के बीच स्विमिंग पूल में हुई बातचीत का चार्जशीट में उल्लेख नहीं किया गया, जबकि पुष्पदीप ने पुलिस द्वारा दिखाए गए फोटो के आधार पर सहयोगी की पहचान की थी। तीसरे, सहयोगी अपने बैग में नकदी और हथियार लेकर जा रहा था और फिर भी उसे न तो आरोपी बनाया गया और न ही पुलिस ने उससे पूछताछ की। चौथे, होटलकर्मी अभिनव का यह बयान कि अंकिता को जबरन बाहर निकालकर हत्या करने से पहले वह अपने कमरे में रो रही थी, चार्जशीट में उल्लेख नहीं किया गया। पांचवें, जिस कमरे में अंकिता रुकी थी, उसकी प्रयोगशाला की फोरेंसिक रिपोर्ट को कभी भी चार्जशीट में संलग्न नहीं किया गया। छठा, अपराध स्थल यानी जिस कमरे में वह रुकी थी, उसे स्थानीय विधायक और मुख्यमंत्री के आदेश पर तुरंत ध्वस्त कर दिया गया। सातवां, वीआईपी से बातचीत कर रहे होटल के कर्मचारियों का मोबाइल फोन कभी जब्त नहीं किया गया। आठवां, होटल का सीसीटीवी फुटेज, जिससे वीआईपी और उनके साथियों की पहचान स्पष्ट रूप से पता चलती, कभी भी इस सुविधाजनक बहाने से पेश नहीं किया गया कि कैमरे काम नहीं कर रहे थे। नौवां, जिन गवाहों ने गवाही दी कि अंकिता अपनी मौत से पहले परेशान थी, उनकी कभी ठीक से जांच नहीं की गई। दसवां, उत्तराखंड पुलिस द्वारा दिया गया बयान कि काल डिटेल रिकार्ड की जांच की गई थी और कुछ भी अप्रिय नहीं दिखाया गया था, भ्रामक था क्योंकि रिकार्ड केवल मृतका की चैट के संबंध में था, होटल कर्मचारियों के बारे में नहीं।
    
अंत में, एक आरोपी के साथ मोटरसाइकिल पर पीछे बैठी अंकिता को दिखाने वाले वीडियो का अभियोजन पक्ष द्वारा गलत उल्लेख किया गया था, जो यह दर्शाता है कि उसकी हत्या और नहर में शव फेंकने से पहले वह किसी भी तरह की परेशानी में नहीं दिख रही थी। हालांकि, पुष्पदीप ने अदालत में पेश किए गए साक्ष्य में कहा कि मोटरसाइकिल पर बैठी अंकिता ने उसे फोन किया और कहा कि वह बहुत डरी हुई है क्योंकि वह लोगों से घिरी हुई है और बात नहीं कर पा रही है। मुख्य आरोपी पुलकित आर्य ने अब ट्रायल कोर्ट से खुद का नार्को विश्लेषण करने का अनुरोध किया है, जिससे संकेत मिलता है कि वे घटनाओं के बारे में साफ-साफ बताने के लिए तैयार हैं, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने आवेदन को खारिज करके समय से पहले ही मामले को खत्म कर दिया। आरोपियों द्वारा खुद की ऐसी गवाही से वीआईपी की पहचान और भूमिका सामने आ जाती। पुलिस ने वीआईपी की पहचान छिपाई है। सीबीआई को जांच अपने हाथ में लेने और आगे की जांच करने का निर्देश देकर इस बाधा को दूर किया जा सकता था। मां ने अधिकारियों को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि वह एक उच्च पदस्थ राजनीतिक पदाधिकारी थे जो अक्सर अपनी पार्टी के सदस्यों के साथ होटल में आते थे। सीसीटीवी फुटेज या कर्मचारियों के मोबाइल फोन प्राप्त करने के लिए उठाए गए प्राथमिक कदम भी मुख्य अपराधी की पहचान उजागर कर देंगे। क्षमा करें अंकिता। यह भारत है। आम महिलाओं की जिंदगी मायने नहीं रखती। और उच्च और शक्तिशाली लोग बार-बार बच निकलेंगे।

आलेख

/samraajyvaadi-comptetion-takarav-ki-aur

ट्रम्प के सामने चीनी साम्राज्यवादियों से मिलने वाली चुनौती से निपटना प्रमुख समस्या है। चीनी साम्राज्यवादियों और रूसी साम्राज्यवादियों का गठजोड़ अमरीकी साम्राज्यवाद के विश्व व्यापी प्रभुत्व को कमजोर करता है और चुनौती दे रहा है। इसलिए, हेनरी किसिंजर के प्रयोग का इस्तेमाल करने का प्रयास करते हुए ट्रम्प, रूस और चीन के बीच बने गठजोड़ को तोड़ना चाहते हैं। हेनरी किसिंजर ने 1971-72 में चीन के साथ सम्बन्धों को बहाल करके और चीन को सोवियत संघ के विरुद्ध खड़ा करने में भूमिका निभायी थी। 

/india-ki-videsh-neeti-ka-divaaliyaapan

भारत आबादी के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा देश है और उसकी अर्थव्यवस्था भी खासी बड़ी है। इसीलिए दुनिया के सारे छोटे-बड़े देश उसके साथ कोई न कोई संबंध रखना चाहेंगे। इसमें कोई गर्व की बात नहीं है। गर्व की बात तब होती जब उसकी कोई स्वतंत्र आवाज होती और दुनिया के समीकरणों को किसी हद तक प्रभावित कर रहा होता। सच्चाई यही है कि दुनिया भर में आज भारत की वह भी हैसियत नहीं है जो कभी गुट निरपेक्ष आंदोलन के जमाने में हुआ करती थी। 

/bharat-ka-garment-udyog-mahila-majadooron-ke-antheen-shoshan-ki-kabragah

भारत में वस्त्र एवं परिधान उद्योग में महिला एवं पुरुष मजदूर दोनों ही शामिल हैं लेकिन इस क्षेत्र में एक बड़ा हिस्सा महिला मजदूरों का बन जाता है। भारत में इस क्षेत्र में लगभग 70 प्रतिशत श्रम शक्ति महिला मजदूरों की है। इतनी बड़ी मात्रा में महिला मजदूरों के लगे होने के चलते इस उद्योग को महिला प्रधान उद्योग के बतौर भी चिन्हित किया जाता है। कई बार पूंजीवादी बुद्धिजीवी व भारत सरकार महिलाओं की बड़ी संख्या में इस क्षेत्र में कार्यरत होने के चलते इसे महिला सशक्तिकरण के बतौर भी प्रचारित करती है व अपनी पीठ खुद थपथपाती है।

/ceasefire-kaisa-kisake-beech-aur-kab-tak

भारत और पाकिस्तान के इन चार दिनों के युद्ध की कीमत भारत और पाकिस्तान के आम मजदूरों-मेहनतकशों को चुकानी पड़ी। कई निर्दोष नागरिक पहले पहलगाम के आतंकी हमले में मारे गये और फिर इस युद्ध के कारण मारे गये। कई सिपाही-अफसर भी दोनों ओर से मारे गये। ये भी आम मेहनतकशों के ही बेटे होते हैं। दोनों ही देशों के नेताओं, पूंजीपतियों, व्यापारियों आदि के बेटे-बेटियां या तो देश के भीतर या फिर विदेशों में मौज मारते हैं। वहां आम मजदूरों-मेहनतकशों के बेटे फौज में भर्ती होकर इस तरह की लड़ाईयों में मारे जाते हैं।

/terrosim-ki-raajniti-aur-rajniti-ka-terror

आज आम लोगों द्वारा आतंकवाद को जिस रूप में देखा जाता है वह मुख्यतः बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध की परिघटना है यानी आतंकवादियों द्वारा आम जनता को निशाना बनाया जाना। आतंकवाद का मूल चरित्र वही रहता है यानी आतंक के जरिए अपना राजनीतिक लक्ष्य हासिल करना। पर अब राज्य सत्ता के लोगों के बदले आम जनता को निशाना बनाया जाने लगता है जिससे समाज में दहशत कायम हो और राज्यसत्ता पर दबाव बने। राज्यसत्ता के बदले आम जनता को निशाना बनाना हमेशा ज्यादा आसान होता है।