डाल्फिन मजदूरों का आमरण अनशन जारी

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सरकार-प्रशासन-श्रम विभाग-पुलिस का मजदूर विरोधी चेहरा उजागर

रुद्रपुर/ डाल्फिन महिला मजदूरों का आमरण अनशन 25 दिन से जारी है। अनशनकारी महिलाओं की स्थिति काफी गम्भीर होती जा रही है। डाल्फिन मजदूर संगठन के अध्यक्ष ललित कुमार ने बताया कि करीब 11 बजे आमरण अनशन पर बैठी प्रेमवती की हालत काफी गंभीर हो गई। उनके दांत किस गए। और वो बेहोश हो गई। इससे अफरातफरी मच गई। डाक्टर, नर्स, स्टाफ और उपस्थित मरीजों व उनके परिजनों में हड़कम्प मच गया। डाक्टर और स्टाफ की करीब एक घण्टे की कोशिश के बाद इन्हें होश आया। उनकी स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है। पिंकी गंगवार की स्थिति भी लगातार नाजुक होती जा रही है। कभी भी कोई अनहोनी घटित हो सकती है। रुद्रपुर के स्थानीय विधायक ने इस हफ्ते समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है। ऐसा ना हो कि देर होने से कोई अनहोनी घटित हो जाये।
    
डाल्फिन मजदूर संगठन के उपाध्यक्ष सोनू कुमार ने कहा कि श्रमायुक्त महोदया उत्तराखंड ने डाल्फिन कम्पनी में श्रम कानूनों के उल्लंघन के विषय में श्रमिकों द्वारा की गई शिकायत की रोशनी में कम्पनी में छापा डालकर स्थलीय निरीक्षण करने का आदेश दे गया है। उक्त सम्बन्ध में पिंकी गंगवार और श्रमिक प्रतिनिधियों द्वारा उप श्रमायुक्त रुद्रपुर को लिखित पत्र प्रेषित करके डाल्फिन कंपनी में श्रम कानूनों के उल्लंघन के मामलों को बिंदुवार साक्ष्य सहित अवगत कराया। उनसे अपील की गई कि क्योंकि श्रमायुक्त महोदया ने पीड़ित श्रमिकों की शिकायत पर ही डाल्फिन कंपनी में श्रम कानूनों के उल्लंघन की जांच कराने को आदेश दिया है। इसलिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की पालना हेतु यह अनिवार्य है कि पीड़ित श्रमिकों को अपना पक्ष रखने का समुचित अवसर प्रदान किया जाए। उक्त पत्र की प्रतिलिपि श्रमायुक्त महोदया को भी प्रेषित की गई है।
    
रुद्रपुर क्षेत्र के स्थानीय विधायक शिव अरोरा के सुझाव पर डाल्फिन श्रमिक प्रतिनिधियों द्वारा उपश्रमायुक्त महोदय के समक्ष वार्ता हेतु पत्र प्रेषित किया गया। जिस पर उन्होंने कहा कि अति शीघ्र ही उन्हें फोन द्वारा वार्ता की सूचना दे दी जायेगी। आशा है कि किसी अनहोनी के घटित होने से पूर्व ही वार्ता बुलाकर समाधान कराके अनशनकारियों की प्राणरक्षा की जायेगी। अन्यथा परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं।dolphin
    
डाल्फिन मजदूर संगठन की उपाध्यक्ष सुनीता ने कहा कि उपश्रमायुक्त महोदय द्वारा दिनांक 6 नवम्बर 2024 को श्रमिक प्रतिनिधि सोनू कुमार के माध्यम से अनशनकारी पिंकी गंगवार को असत्य और भ्रामक तथ्यों के आधार पर पत्र प्रेषित किया था। जिसमें पिंकी गंगवार द्वारा दिनांक 30 अक्टूबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश महोदय को याचिका के रूप में प्रेषित पत्र का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि पिंकी गंगवार सहित सभी श्रमिकों के औद्योगिक विवाद को श्रमायुक्त महोदया द्वारा दिनांक 4 नवम्बर 2024 को श्रम न्यायालय में न्याय निर्णयन हेतु संदर्भित कर दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि डाल्फिन कंपनी में श्रम कानूनों के उल्लंघन के संदर्भ में मुख्यालय से कंपनी के स्थलीय निरिक्षण हेतु अनुमति प्राप्त कर ली गईं है। पिंकी गंगवार द्वारा उपश्रमायुक्त महोदय को दिए गए लिखित स्पष्टीकरण में स्पष्ट किया है कि उनकी यह बात पूरी तरह से असत्य है क्योंकि पिंकी गंगवार सहित सामूहिक कार्य बहिष्कार में शामिल 258 स्थाई श्रमिकों की अवैध गेटबंदी के शिकार किसी भी श्रमिक का कोई भी औद्योगिक विवाद श्रमायुक्त महोदया द्वारा श्रम न्यायालय को रेफर नहीं किया गया है। बल्कि श्रमायुक्त महोदया द्वारा सिर्फ निम्नलिखित दो बिंदुओं (1) अवैध गेटबंदी के शिकार 48 स्थाई श्रमिकों और (2) 258 ऐसे स्थाई श्रमिकों जिनको ठेकेदार के तहत नियोजित किया गया है, को ही श्रम न्यायालय को रेफर किया गया है। 
    
हजारों स्थाई मजदूरों को अवैध रूप से नियोजित करना, 258 स्थाई मजदूरों की गेटबंदी निलंबन या सेवा समाप्ति हेतु आदेश जारी किये बिना करना, इससे पूर्व 48 स्थाई श्रमिकों की आरोप पत्र, कारण बताओ नोटिस जारी किये बिना गेटबंदी करना स्थाई आदेशों, संविदा श्रम अधिनियम और ठेकेदारों के लाइसेंस का घोर उल्लंघन है। मजदूरों ने आशंका व्यक्त की है कि कहीं बुनियादी श्रम कानूनों के उल्लंघन के गंभीर मुद्दे पर लीपापोती करने के उद्देश्य के तहत ही तो यह कवायद (स्थलीय निरीक्षण) नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि क्योंकि पीड़ित श्रमिकों की शिकायत पर ही बुनियादी श्रम कानूनों के उक्त उल्लंघन पर उक्त कार्यवाही की जा रही है। इसलिए पीड़ित श्रमिकों को अपना पक्ष रखने को अवसर प्रदान करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की पालना हेतु अति आवश्यक है। 
    
डाल्फिन की मजदूर महिलाओं के 25 दिन से आमरण अनशन पर डटे रहने के बावजूद श्रम विभाग-प्रशासन-सरकार की बेरुखी दिखलाती है कि उन्हें पूंजीपति वर्ग की चाकरी के आगे मजदूर महिलाओं की जान की भी फिक्र नहीं है। दरअसल इस संघर्ष ने इन सभी संस्थाओं के ऊपर लिपटी भ्रम की चादर हटा दी है और दिखा दिया है कि पूंजीपति वर्ग की चाकरी ही इनका वास्तविक धर्म है। ऐसे में पूंजीपति वर्ग के साथ इन सबसे भी व्यापक संघर्ष छेड़े बगैर मजदूर सफलता हासिल नहीं कर सकते।                -रुद्रपुर संवाददाता

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