हरिद्वार/ हरिद्वार सिडकुल में भी पूरे देश की भांति हिंदू फासीवादियों का असर दिखाई दे रहा है। छोटी कंपनी से लेकर बड़ी कंपनियों में मुसलमान मजदूरों को काम पर नहीं लिया जा रहा है। जिन कंपनियों में पहले से मुसलमान मजदूर काम कर रहे थे उन्हें परेशान करके छोटे-मोटे बहाने पर काम से निकाला जा रहा है।
फिरोज (बदला हुआ) नाम के एक मजदूर ने बताया कि कंपनियों में भर्ती चल रही थी और जब मैंने अपना बायोडाटा लगाया तो मेरी मुस्लिम पहचान देखकर मुझे लाइन से अलग कर दिया गया। ऐसा कई कंपनियों में हो चुका है। फिरोज आईटीआई हैं। खेती भी नहीं है। घर से गरीब होने के कारण कहीं बाहर शहर में नहीं जा पा रहे हैं। सोचा था घर के नजदीक सिडकुल है इसमें नौकरी करके अपना जीवन चला लूंगा परंतु संघी मानसिकता देश के नीचे स्तर तक काम कर रही है जिसके शिकार हजारों मुस्लिम युवक हो रहे हैं। सिडकुल में मुस्लिम महिला मजदूरों के साथ भी इसी तरह का भेदभाव किया जा रहा है। मुख्य त्यौहारों पर चार-पांच छुट्टी करने पर सीधे नौकरी से निकाल दिया जा रहा है। 5-6 माह पूर्व पांच मुस्लिम महिला मजदूरों को केवल इसलिए काम से निकाल दिया गया था कि आपने ईद की छुट्टी क्यों की। सामान्य तौर पर पूरे सिडकुल में हिंदू छोटे-बड़े त्यौहार सभी पर छुट्टियां रहती हैं। परंतु ईद एवं क्रिसमस पर किसी भी कंपनी में छुट्टी नहीं रहती है।
इसकी शिकायत इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा श्रम विभाग में की गई और एक बार इन महिला मजदूरों को काम पर रखवाने के लिए वार्ता भी की गई। लेकिन जब पूरे देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाई जा रही हो, रात-दिन इनका पालतू मीडिया भी धार्मिक मुद्दों पर बहस चला कर मुसलमानों को एक आतंकवादी के तौर पर स्थापित कर रहा हो। मुस्लिम पहचान देखकर ट्रेन में बुजुर्ग आदमी को मार दिया जा रहा हो। पुलिस प्रशासन व न्याय व्यवस्था भी संघ के इस घृणित एजेंडे को ही परवान चढ़ा रहे हैं। देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ तो अपने अंतिम कार्यकाल के समय इनके साथ खड़े दिखाई दिए। संघी मानसिकता किस हद तक लोगों में हावी हो रही है इसे इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक जज द्वारा यह कहना कि अब न्याय बहुसंख्यकों के आधार पर ही होना चाहिए, से समझा जा सकता है। संभल की घटना में एक ही दिन में याचिका दायर होती है जज फैसला सुनाते हैं और शाम को मस्जिद में भगवान होने का सर्वे भी शुरू हो जाता है।
मुरादाबाद में एक मुस्लिम डाक्टर द्वारा घर लेने पर 400 से अधिक परिवारों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया और मुस्लिम डाक्टर को घर छोड़ना पड़ा। हिंदू फासीवादी देश में धर्म की राजनीति करके अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाकर देश के बड़े औद्योगिक एकाधिकारी घरानों को मजदूर वर्ग का शोषण करने की पूरी छूट दे रहे हैं और मजदूरों-मेहनतकशों के अधिकार खत्म करके उनका निर्मम शोषण किया जा रहा है। उन्हें गुलामों की स्थिति तक पहुंचाने के लिए चार मजदूर विरोधी लेबर कोड्स पास कर दिए गए हैं। पूरे देश के मजदूरों, छात्र नौजवानों, किसानों, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं पर जुल्म ढा कर, उनके जनवादी अधिकारों को सीमित या समाप्त किया जा रहा है।
इसलिए इन हिटलर और मुसोलिनी के नए अवतारों को मजदूर वर्ग की संगठित ताकत व समाज के शोषित-वंचित तबकों का संयुक्त मोर्चा मिलकर शिकस्त दे सकता है। न कि देश की राजनीतिक पार्टियों द्वारा बनाया गया महागठबंधन इस फासीवाद का मुकाबला कर सकता है। ये तो स्वयं देश के बड़े पूंजीपतियों से चंदा लेकर राज्य और केंद्र में सरकारें चलाकर उनकी सेवा कर चुके हैं या कर रहे हैं। इतिहास में भी मजदूर वर्ग ने ही फासीवादियों का सफाया किया था। अतः भविष्य में भी मजदूर वर्ग के ऊपर यह बड़ा कार्यभार है। जिसके लिए मजदूर वर्ग को स्वयं एक वर्ग के रूप में संगठित होना है।
-हरिद्वार संवाददाता