उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले के पुरोला कस्बे में हिन्दू उपद्रवी संगठनों का नंगा नाच पिछले कई दिनों से जारी है। इन उपद्रवियों को सत्ता में बैठी भाजपा सरकार और उसके हाथ का खिलौना बने प्रशासन का पूरा साथ है। अन्यथा एक बेहद मामूली सी घटना को इस तरह तूल नहीं दिया जाता और इन हिन्दू उपद्रवी संगठनों को इस बात की कतई इजाजत नहीं दी जाती कि वह आम मुस्लिम दुकानदारों व शहरियों को इस कदर आतंकित करें कि वह पुरोला कस्बे से पलायन को मजबूर हो जायें।
पुरोला की घटना महज यह है कि एक हिन्दू लड़का किसी नाबालिग हिन्दू लड़की से प्रेम करता था और उनके भागने में एक मुस्लिम लड़का उसकी मदद करता है। बाद में दोनों ही लड़कों को पकड़ लिया जाता है और उन्हें जेल भेज दिया जाता है। इस मामूली घटना को विकृत कर ‘लव जिहाद’ का नाम दे दिया जाता है। और फिर किराये पर दुकान चलाकर जीवनयापन करने वाले मुस्लिम दुकानदारों को निशाने पर लेकर ‘‘लैण्ड जिहाद’’ का आरोप मढ़ दिया जाता है। पुरोला कस्बे में मुस्लिम दुकानों पर हमला बोला जाता है और उन्हें चेतावनी दी जाती है कि वे 15 जून से पहले अपनी दुकानें खाली कर दें। दसियों दुकानदारों ने इन आतंकी, उपद्रवी हिन्दू संगठनों के दबाव में अपनी दुकानें खाली कर दी हैं और अन्यत्र चले गये हैं।
मुस्लिम दुकानदारों व शहरियों के खिलाफ हमले को कोई ‘‘देवभूमि रक्षा अभियान’’ नाम का संगठन चलाता है। यहां हिन्दू फासीवादियों की उसी धूर्त चाल का एक नजारा देखने को मिलता है जो वह पूरे देश में जगह-जगह अपनाते हैं। कोई ऐसी संस्था या संगठन रातों-रात खड़ा कर दिया जाता है जो इस तरह की वारदातों को राज्य सरकार, सत्तारूढ़ दल और प्रशासन के सहयोग से अंजाम देता है और उसका बाल भी बांका नहीं होता है। भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद आदि पर कोई सीधा आरोप नहीं लगता और ये जब चाहे तब यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि उनका इसमें कोई हाथ नहीं है।
पुरोला कस्बे से पलायन करने वालों में भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे के नेता भी शामिल हैं। यह दिखलाने को पर्याप्त है कि जो मुस्लिम सोचते हैं कि यदि वे भाजपा से जुड़ जायेंगे तो उन्हें हिन्दू फासीवादियों द्वारा निशाना नहीं बनाया जायेगा, वे गलतफहमी का शिकार हैं। मुस्लिम होने के नाते वे कभी भी, कहीं भी हिन्दू फासीवादियों द्वारा निशाना बनाये जा सकते हैं। भले ही नरेन्द्र मोदी ‘सबका साथ सबका विकास’ का झूठा नारा उछालें या फिर मोहन भागवत यह राजनैतिक कपटपूर्ण बयान जारी करें कि ‘सारे भारतीयों का डीएनए एक है’।
नरेन्द्र मोदी, मोहन भागवत पुरोला जैसी घटनाओं पर एकदम चुप्पी साध लेते हैं। भाजपा-संघ से जुड़ा ‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ कोई बयान ऐसी घटनाओं पर जारी नहीं करता है। एक तरफ पसमांदा मुस्लिम की चिंता वोट बैंक के कारण करने वाले हिन्दू फासीवादी दूसरी तरफ उन्हें अपना निशाना बनाते हैं। इनके हमले का शिकार अक्सर ही सारे के सारे पसमांदा मुस्लिम ही होते हैं। हिन्दू फासीवादी दो मुंहे हैं। ये कहते कुछ और हैं करते कुछ हैं। हिन्दू फासीवादियों के बड़े नेताओं के मुंह में राम होता है और इनके बगलगीर छोटे-मोटे नेताओं-कार्यकर्ताओं के हाथ में छुरी होती है। राम बोलने वाला राम बोलता है, छुरी चलाने वाला छुरी चलाता है।
जहां तक ‘देवभूमि रक्षा अभियान’ या ऐसे ही अन्य संगठन जो हिन्दू रक्षा-हिन्दू रक्षा’ का शोर उपजाते हैं उस शोर का सच क्या है। भाजपा संघ के नेता अक्सर हल्ला मचाते हैं कि ‘हिन्दू खतरे में है’। क्या वाकई हिन्दू खतरे में है।
हिन्दू कैसे खतरे में हो सकता है। जब देश के राष्ट्रपति : हिन्दू। प्रधानमंत्री : हिन्दू। उपराष्ट्रपति : हिन्दू। मुख्य न्यायाधीश : हिन्दू। सेनाध्यक्ष : हिन्दू। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार : हिन्दू। लोकसभा अध्यक्ष : हिन्दू।
और इसी तरह उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री से लेकर लगभग हर किसी कस्बे का चैयरमेन तक हिन्दू ही है। फिर देश में या उत्तराखण्ड में हिन्दू कैसे खतरे में है।
भारत की सेना, पुलिस, अर्द्धसैनिक बलों, गुप्तचर विभाग से लेकर शासन-प्रशासन के हर अंग-प्रत्यंग, देश के सर्वोच्च न्यायालय से लेकर जेल प्रशासन के हर जगह जब हिन्दू विराजमान हैं तो फिर हिन्दुओं को किससे खतरा है। क्यों हिन्दुओं के नाम पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, आदि संस्थाओं से लेकर ‘देवभूमि रक्षा अभियान’ जैसे संगठन बने हुए हैं। पूरे देश में जब हर महत्वपूर्ण पद पर हिन्दू हैं तो इन संगठनों की भला हिन्दुओं को क्यों आवश्यकता है। इन हिन्दू संगठनों को या तो विघटित कर दिया जाना चाहिए या फिर इनको खत्म कर दिया जाना चाहिए।
असल में हिन्दुओं को खतरा किन्हीं भी धर्म के साधारण लोगों या संगठनों से भी नहीं है। उन्हें सबसे बड़ा खतरा हिन्दुओं के नाम पर राजनीति करने वाले, खतरनाक ढंग के राजनैतिक कैरियरवादियों और खासकर संघ के हिन्दू फासीवादियों से है। इनका काम पूरे समाज में फासीवादी आतंक कायम करना है। पुरोला को कल भले ही ‘‘मुस्लिम मुक्त’’ घोषित कर दिया जाए और ऐसा ही कुछ अन्य शहर-गांवों, जिलों-प्रांतों में कर दिया जाए परन्तु एक दिन हर आम हिन्दू पायेगा जो उसके हित का ढोंग कर रहे थे वे उसके सबसे बड़े दुश्मन हैं।