फासीवाद / साम्प्रदायिकता,

फासीवाद और आम जनजीवन

हमारे देश में बढ़ता हुआ हिन्दू फासीवादी आंदोलन सबके जीवन को प्रभावित कर रहा है। आने वाले वक्त में यह रोजमर्रा के जीवन को किन-किन मामलों में और प्रभावित कर सकता है इसे हम ज

मणिपुर वायरल वीडियो के बाद अनावृत्त फासीवाद

3 मई को शुरू हुई मैतेई और कुकी समुदायों के मध्य हिंसा पर केंद्र और राज्य की  भाजपा नीत सरकारों का रुख एक बार फिर यह  स्पष्ट करता है कि ये सरकारें अपने हिन्दू राष्ट्रवाद क

हिन्दू फासीवादी और पसमंदा मुसलमान

‘बांटो और राज करो’ की अपनी नीति के तहत हिन्दू फासीवादी आजकल उन मुसलमानों में भी फूट डालने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं जिन पर वैसे वे एक समुदाय के तौर पर लगातार हमला करते

संघी ‘इकोचैम्बर’

‘इकोचैम्बर’ या प्रतिध्वनि कक्ष अथवा अनुनाद कोठरी ऐसी बंद जगह को कहते हैं जिसमें वही आवाज बार-बार लौट आती है। वही आवाज बार-बार सुनाई पड़ती है। 
    

मणिपुर की साम्प्रदायिक आग की चपेट में आता समूचा उ.-पूर्व

मणिपुर पिछले तीन महीनों से साम्प्रदायिक-नृजातीय दंगों की आग में जल रहा है। वीभत्स से वीभत्स घटनाएं इन दिनों मणिपुर में घटती रही हैं। कुकी महिलाओं के साथ मैतई आतंकी भीड़ ने

मोदी राज: ठग नगरी

पिछले महीनों में देश के अलग-अलग हिस्सों से कई बड़े ठग पकड़े गये हैं। इनकी विशेषता यह है कि ये नेताओं, व्यवसाईयों तथा सरकारी अफसरों को अपना निशाना बना रहे थे। कोई मंत्री बनव

पत्रकारों पर बढ़ते हमले

भारत में पत्रकारों पर हमले अब आए दिन की बात बन गए हैं। राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप के हालिया आंकड़े इस बात को और भी स्पष्ट करते हैं। इस ग्रुप ने आंकड़ों को इकट्ठा कर यह

उत्तराखण्ड : सत्यापन नहीं उत्पीड़न अभियान

बीते कुछ समय से समूचे उत्तराखण्ड में पुलिस का सत्यापन अभियान चल रहा है। इस सत्यापन अभियान के तहत पुलिस उत्तराखण्ड के बाहर के व्यक्तियों, किरायेदारों, दुकानदारों, फड़-ठेली

आलेख

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आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

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ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को