
‘इकोचैम्बर’ या प्रतिध्वनि कक्ष अथवा अनुनाद कोठरी ऐसी बंद जगह को कहते हैं जिसमें वही आवाज बार-बार लौट आती है। वही आवाज बार-बार सुनाई पड़ती है।
आजकल हिन्दू फासीवादी ज्यादातर ऐसे ही ‘इकोचैम्बर’ में रह रहे हैं। वे वही बातें बार-बार सुनते हैं और उन पर विश्वास करते हैं क्योंकि विरोधी बात उन तक पहुंच ही नहीं पाती। अखबार, टी वी चैनल और खासकर सोशल मीडिया के जरिए इस हिन्दू फासीवादी ‘इकोचैम्बर’ का निर्माण किया गया है। यह कैसे काम करता है और इसका क्या प्रभाव पड़ता है, इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है।
आजकल बहुत सारे लोग इस बात पर हैरान होते हैं कि भाजपा की ओर से, खासकर उसके आई टी सेल की ओर से इस कदर झूठी बातें क्यों फैलाई जाती हैं? जिस झूठ का कुछ मिनटों में ही भंडाफोड़ हो जाता हो उसे फैलाने से क्या हासिल होगा? उससे तो झूठ फैलाने वाले की ही मिट्टी पलीत होगी।
पर वास्तव में ऐसा होता नहीं। इसका कारण यह है कि भाजपा द्वारा फैलाये जा रहे इन झूठ का लक्ष्य स्वयं भाजपा समर्थक होते हैं। भाजपा विरोधी या बीच-बीच के लोग इनका लक्ष्य नहीं होते। भाजपा आई टी सेल इस बात पर आश्वस्त होता है कि अपने जिन समर्थकों के सामने वह झूठ परोस रहा है वे उस पर विश्वास करेंगे चाहे वह कितना ही सफेद झूठ हो। इसकी सरल सी वजह यह है कि इस सफेद झूठ का पर्दाफाश करने वाली बातें कभी भाजपा समर्थकों तक पहुंचेंगी ही नहीं क्योंकि वे संघी या हिन्दू फासीवादी ‘इकोचैम्बर’ में कैद हैं। ये संघी लोग जिन भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जिन भी समूहों में होते हैं वहां सारे लोग संघी ही होते हैं। वहां कोई बाहरी या विजातीय नहीं होता। इसलिए वहां कोई बाहरी या विजातीय सूचना नहीं पहुंचती। सफेद झूठ का पर्दाफाश करने वाली बात वहां नहीं पहुंचती।
भाजपा समर्थकों या संघियों के इस तरह के ‘इकोचैम्बर’ में कैद होने के चलते भाजपा आई टी सेल य अन्य संघी कारकून झूठ फैलाने के अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं। एक उदाहरण से इसे समझा जा सकता है। बहुत पहले भाजपा आई टी सेल ने राहुल गांधी का एक वीडियो जारी किया जिसमें वे यह कहते सुने जा सकते हैं कि एक ऐसी मशीन बनी है जिसमें एक ओर आलू डालो तो दूसरी ओर से सोना निकलेगा। इसके जरिये राहुल गांधी का मजाक बनाया गया। पर असल में राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाया था कि वे ऐसा कहते हैं। भाजपा द्वारा जारी वीडियो में इसे हटा दिया गया था। आज इतने साल बाद भी भाजपा समर्थक असल बात नहीं जानते क्योंकि उन तक पूरी बात का वीडियो पहुंचा ही नहीं। उनके ‘इकोचैम्बर’ में वह पहुंच भी नहीं सकता था। जो सच्चाई बाकी सारे लोग जानते हैं वे भाजपा समर्थक नहीं जानते।
अपने जन्म के समय से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ झूठ और अर्धसत्य का धड़ल्ले से प्रचार करता रहा है। असल में उसकी पूरी राजनीति उसी पर टिकी है। देश के मुसलमानों के इतिहास और वर्तमान के बारे में झूठ और अर्धसत्य पर ही उसकी सारी साम्प्रदायिक इमारत खड़ी है। पहले यह झूठ और अर्धसत्य कानाफूसी के जरिए प्रसारित होता था। अब उसका स्थान इंटरनेट के ‘इकोचैम्बर’ ने ले लिया है। पूंजीवादी प्रचारतंत्र अपनी तरह से इसमें योगदान कर रहा है- झूठ पर चुप्पी साधकर या कभी-कभी स्वयं उसे फैलाकर।
संघियों के झूठ का ‘इकोचैम्बर’ जहां एक ओर तात्कालिक तौर पर उनकी ताकत को दिखाता है वहीं दूरगामी तौर पर उनकी कमजोरी को भी। जिस विचारधारा और राजनीति को इस कदर झूठ और अर्ध सत्य का सहारा लेना पड़े उसका कोई ऐतिहासिक भविष्य नहीं होता भले ही वह हाल फिलहाल कितनी भी ताकतवर और घातक क्यों न हो।