
महाराष्ट्र मेें जनवरी से मार्च तक महज तीन महीने में कुल 823 साम्प्रदायिक घटनाएं घटी। इन घटनाओं में छावा फिल्म के बाद पूरे महाराष्ट्र में पैदा किये उन्माद और उसके बाद की घटी साम्प्रदायिक घटनाएं शामिल हैं। इसके अलावा कई धार्मिक त्यौहारों के जुलूस, जुलूस में भड़काऊ नारे आदि के विवाद के कारण साम्प्रदायिक घटनाएं घटी।
महाराष्ट्र के नागपुर, कोनकण, रत्नागिरी सहित कई इलाके हैं जिनमें साम्प्रदायिक घटनाओं का कोई इतिहास नहीं रहा है। लेकिन दक्षिणपंथियों के निरंतर फैलाये जहर से यह इलाके भी साम्प्रदायिकता के गवाह बन गये हैं।
महाराष्ट्र में निरंतर साम्प्रदायिक राजनीति का गंदा खेल जारी है। भाजपा इसी राजनीति के भरोसे ही अपनी चुनावी नैय्या पार लगा पा रही है। पिछले वर्ष 2024 में महाराष्ट्र में कुल 4,836 साम्प्रदायिक घटनाएं अंजाम दी गयीं।
शायद इसे ही उन्माद से जनाधार कहा जाता है।