पछास के नेताओं पर हमला करने वाले विद्यार्थी परिषद के गुण्डों की गिरफ्तारी की मांग

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भगत सिंह के जन्म दिवस पर कार्यक्रम करने पर पछास के कार्यकर्ताओं पर एबीवीपी के गुंडों ने जानलेवा हमला किया जिसके विरोध में हरिद्वार में इमके, प्रमएके, पछास, बीएचईएल ट्रेड यूनियन और संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन ने महदूद हरिद्वार में एक विरोध सभा की।
    
सभा में इंकलाबी मजदूर केन्द्र  के उपाध्यक्ष पंकज कुमार ने कहा कि एमबीपीजी कालेज हल्द्वानी में परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) के साथी भगत सिंह को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम कर रहे थे। कार्यक्रम के दौरान एबीवीपी के गुंडों ने पछास कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की और कार्यक्रम नहीं होने दिया। कार्यकर्ताओं पर हमला करने में ABVP का वर्तमान छात्र संघ अध्यक्ष भी शामिल था।
    
प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र की हरिद्वार प्रभारी नीता ने कहा कि परिषद के गुंडों द्वारा पछास के कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की यह पहली घटना नहीं है बल्कि पूर्व में भी विद्यार्थी परिषद भगत सिंह के कार्यक्रमों को रोकने की कोशिश करता रहा है। जहां एक तरफ ।ठटच् जैसा सांप्रदायिक संगठन देश को हिंदू-मुस्लिम के नाम पर लड़वाना चाहता है वहीं दूसरी तरफ भगत सिंह जीवन पर्यन्त हिंदू-मुस्लिम एकता के हिमायती और सांप्रदायिक शक्तियों के विरोधी थे। जहां ABVP देश को अडानी-अंबानी को बेचने वाली भाजपा सरकार के साथ खड़ा है वहीं भगत सिंह देशी-विदेशी लुटेरों के खिलाफ छात्रों-नौजवानों को संगठित होकर लड़ने का संदेश देते हैं। ऐसे में ABVP और भगत सिंह के विचार एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। इसलिए ABVP के गुंडों को भगत सिंह के विचारों से हमेशा दिक्कत होती है। और वह भगत सिंह के विचारों के प्रचार को रोकने के लिए गुंडागर्दी पर उतर आता है। 
    
भेल मजदूर ट्रेड यूनियन के कोषाध्यक्ष नीशू कुमार ने कहा कि आज ABVP के गुंड़ों द्वारा किए गए कायराना हमले में डठच्ळ कालेज प्रशासन भी इन्हीं गुंड़ों के साथ खड़ा था। कालेज में हर कार्यक्रम हो सकता है लेकिन भगत सिंह को याद नहीं किया जा सकता? जब कालेज कैंपस में शहीदों को याद किया जाता है तो ABVP के गुंडे़ मारपीट करते है और एमबीपीजी कालेज का प्रशासन चुप रहता है। वह ABVP के गुंड़ों पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।
    
संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा के संयोजक एवम फूड्स श्रमिक यूनियन (ITC) के अध्यक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि पछास पर ।ठटच् का हमला यह दिखाता है कि ABVP भगत सिंह के विचारों से कितना ज्यादा डरता है। लेकिन ये जितना भगत सिंह के विचारों को रोकने की कोशिश करेंगे हम उतना ही भगत सिंह के विचारों को छात्रों-नौजवानों, मजदूरों-मेहनतकशों के बीच ले जायेंगे और एबीवीपी जैसे संगठनों का डट कर मुकाबला करेंगे। 
    
सभी वक्ताओं ने मांग की कि एबीवीपी के गुंड़ों पर मुकदमा दर्ज कर जेल में डाला जाए व महाविद्यालय के लंपट छात्र संघ अध्यक्ष को बर्खास्त किया जाए।
    
29 सितम्बर को लालकुंआ में इंकलाबी मजदूर केन्द्र, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र व प्रगतिशील भोजनमाता संगठन ने संयुक्त रूप से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लम्पट कार्यकर्ताओं का पुतला दहन कर सभा की। सभा में वक्ताओं ने हिटलर की नाजी पार्टी की तर्ज पर काम कर रहे संघ व उसके संगठनों पर प्रतिबंध लगाने व उक्त घटना के दोषी एबीवीपी के गुण्डों की गिरफ्तारी की मांग की।
    
29 सितम्बर को ही काशीपुर में इमके, क्रालोस, प्रमएके व प्रगतिशील भोजनमाता संगठन द्वारा संयुक्त रूप से स्थानीय महाराणा प्रताप चौक पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का पुतला दहन किया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने उक्त घटना के दोषी एबीवीपी के गुण्डों की गिरफ्तारी की मांग की। इस दौरान मौके पर पहुंचे एबीवीपी के लम्पट तत्वों ने न केवल कार्यक्रम में व्यवधान डालने की कोशिश की बल्कि कार्यक्रम कर रहे लोगों से तीखी नोंक-झोंक भी की। इन लम्पटों का जब कार्यक्रम कर रहे लोगों ने माकूल जवाब दिया तो ये एबीवीपी के पक्ष में नारेबाजी करने लगे और पुलिस बुला मुकदमा दर्ज कराने की धमकी देने लगे।    
    
29 सितम्बर को ही रामनगर में इमके, प्रमएके, पछास, प्रगतिशील भोजनमाता संगठन, उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी, महिल एकता मंच के  कार्यकर्ताओं ने स्थानीय लखनपुर चौक पर एबीवीपी का पुतला फूंका। इस अवसर पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि पूरे देश में कालेज परिसरों में छात्र-शिक्षक सभी एबीवीपी की गुण्डागर्दी से त्रस्त हैं। इनकी सोच भगतसिंह की सोच की विरोधी है इसलिए ये भगत सिंह का जन्म दिवस तक नहीं मनने देना चाहते। वक्ताओं ने हमलावरों पर तत्काल मुकदमा कायम कर उनकी गिरफ्तारी की मांग की।         
    
रामनगर में समाजवादी लोकमंच के मुनीष कुमार ने भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की उक्त गुण्डागर्दी की निंदा करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार और उसकी पुलिस ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को गुण्डागर्दी का लाइसेंस प्रदान कर दिया है। उन्होंने छात्र नेताओं और पत्रकार प्रमोद डालाकोटी पर हमला करने वाले हमलावरों की तत्काल गिरफ्तारी व उन पर कड़ी कानूनी कार्यवाही की मांग की। 
    
इसके अलावा भीम आर्मी व भाकपा (माले) ने भी पछास के कार्यकर्ताओं पर एबीवीपी के लम्पट तत्वों द्वारा किये गये हमले की निन्दा की।             -विशेष संवाददाता

देश में भगत सिंह का जन्मदिन मनाना क्या गुनाह है?

28 सितम्बर शहीद भगत सिंह के जन्मदिवस के अवसर पर एम.बी.पी.जी. महाविद्यालय हल्द्वानी (उत्तराखंड) में परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) ने शहीद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने का कार्यक्रम किया। शहीद भगत सिंह को छात्रों ने सम्मानपूर्वक याद करते हुए पुष्प अर्पित किए। कार्यक्रम शांतिपूर्वक चल रहा था।
    
इसी दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सूरज सिंह रमोला, कौशल बिरखानी, कार्तिक बोरा व अन्य दर्जनों लड़कों ने पछास कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम करने से रोका, उनके साथ मारपीट की। गुण्डागर्दों के इस झुण्ड से चोटिल हो कार्यकर्ता महेश और चन्दन जब महाविद्यालय से बाहर निकले तो वहां भी घेर कर उनको मारा। यह गुण्डागर्दी दिखाती है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं इनके मातृ संगठन आरएसएस, भाजपा ने देश में क्रांतिकारी शहीदों को याद करना भी मुश्किल बना दिया है। इन संगठनों का राष्ट्रवाद क्या यही है जहां शहीदों के दिवसों को भी नहीं मनाने दिया जायेगा।
    
इन लम्पटों का दुस्साहस इतना अधिक था कि इन्होंने हिंदुस्तान के पत्रकार प्रमोद डालाकोटी जी से भी मारपीट की। 

abvp

    
ज्ञात हो कि सूरज रमोला व अन्य लम्पटों ने पिछले दिनों हल्द्वानी के प्रतिष्ठित अस्पताल के डाक्टर के साथ भी मारपीट की थी। ये घटनाएं साबित करती हैं कि ए बी वी पी पूरे सभ्य समाज का ही दुश्मन है।
 
पछास कार्यकर्ता जब मेडिकल जांच कराकर कोतवाली में शिकायत दर्ज कराने गये तो ये लम्पट वहां पहले से मौजूद थे। वहां पछास कार्यकर्ताओं के पक्ष में बात रख रहीं प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की महासचिव रजनी व एक अन्य महिला कार्यकर्ता के साथ भी इन लम्पटों ने अभद्रता की। यही है महिलाओं के सम्मान में बड़ी-बड़ी बातें करने और नारे गढ़ने वाले इन गुण्डों के असली संस्कार- अभद्रता, मारपीट, गाली-गलौज। क्या महिला, क्या पुरुष, क्या बुजुर्ग, क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम, क्या दलित, सबके ये दुश्मन हैं।
    
कभी महान क्रांतिकारियों को याद करते हुए कहा जाता था कि ‘‘शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।’’ जाहिर है कि आज शहीद भगत सिंह की विरासत को मानने वालों को इस ‘‘काली गुलामी’’ के वारिस आरएसएस, भाजपा, एबीवीपी के लम्पटों का सामना करना होगा।         
    -परिवर्तनकामी छात्र संगठन

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