जन्म : 15 अगस्त 1926 मृत्यु : 13 मई 1947
हम सीढ़ियां हैं
तुम हमें पैरों तले रौंदकर
हर रोज बहुत ऊपर उठ जाते हो
फिर मुड़कर भी नहीं देखते पीछे की ओऱ
तुम्हारी चरणधूलि से धन्य हमारी छातियां
पैर की ठोकरों से क्षत-विक्षत हो जाती हैं रोज ही।
तुम भी यह जानते हो
तभी कालीन में लपेट कर रखना चाहते हो
हमारे सीने के घाव
छुपाना चाहते हो अपने अत्याचार के निशान
और दबाकर रखना चाहते हो धरती के सम्मुख
अपनी गर्वोद्धत अत्याचारी पदचाप!
फिर भी हम जानते हैं
दुनिया से हमेशा छुपे न रह सकेंगे
हमारी देह पर तुम्हारे पैरों की ठोकरों को निशान
और सम्राट हुमायूं की तरह
एक दिन
तुम्हारे भी पैर फिसल सकते हैं!
साभार : www.hindwi.org