इजरायल द्वारा गाजापट्टी में जारी नरसंहार का विश्वव्यापी विरोध

7 अक्टूबर के बाद से इजरायल द्वारा गाजापट्टी में नरसंहार जारी है। अब तक गाजापट््टी में 5700 से ज्यादा फिलीस्तीनी मारे जा चुके हैं। अब एक दिन में ही 700 से ऊपर फिलीस्तीनी लोगों को इजरायली हवाई हमलों में मारा जा रहा है। घायल होने वालों की संख्या दसियों हजार में पहुंच गयी है। अस्पतालों को हमलों का निशाना बनाया जा रहा है। लाखों लोगों के घर मलबों में तब्दील हो चुके हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी फिलीस्तीनी प्रतिरोध जारी है। इस फिलिस्तीनी प्रतिरोध के समर्थन में और इजरायल द्वारा जारी नरसंहार और गाजापट्टी पर हमले के विरोध में दुनिया भर में प्रदर्शनों की बाढ़ आ गयी है। इन प्रदर्शनों का अमरीका के भीतर अपराधीकरण किया जा रहा है। प्रदर्शनों में शामिल लोगों को नौकरी से निकालने की धमकी दी जा रही है।  छात्रों को विश्वविद्यालय अधिकारियों द्वारा चिन्हित करके उन्हें शिक्षा लेने और शिक्षा के बाद नौकरी से वंचित करने की धमकियां मिल रही हैं। इसके साथ ही, इजरायल की यहूदी नस्लवादी सरकार के समर्थकों द्वारा फिलिस्तीन के समर्थन में आये लोगों को धमकी दी जा रही है और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। इन सबके बावजूद, इजरायल द्वारा गाजापट्टी में किये गये नरसंहार और पश्चिमी किनारे पर बड़े पैमाने पर की जा रही गिरफ्तारियों के विरुद्ध प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती जा रही है। हाथों में तख्तियां लिए हुए ‘‘आजाद फिलिस्तीन’’, ‘‘मुक्त फिलिस्तीन’’, ‘‘नदी से लेकर सागर तक फिलिस्तीनी हमारा है’’, ‘‘इजरायली कब्जाकारी फिलिस्तीन छोड़ो’’ के नारों से अमरीका के विभिन्न शहरों में सड़कें गूंज उठी हैं। 
    
इसी प्रकार, यूरोप के विभिन्न देशों के अलग-अलग शहरों में इजरायली नरसंहार के विरुद्ध और फिलिस्तीनियों के समर्थन में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए हैं। ब्रिटेन में लंदन में करीब 3 लाख लोगों ने प्रदर्शन किया है। यह प्रदर्शन 2003 में इराक युद्ध के बाद का सबसे बड़ा प्रदर्शन है। ब्रिटेन में भी इन प्रदर्शनों को आपराधिक घोषित किया गया। इन प्रदर्शनों में बड़े पैमाने पर छात्र, युवा और मजदूर शामिल थे। प्रदर्शनकारी फिलिस्तीन का झंडा बुलंद रखते हुए तख्तियां लेकर चल रहे थे। तख्तियों में लिखा था ‘‘नदी समुद्र तक फिलिस्तीन आजाद होगा’’। इसके अतिरिक्त ‘‘बच्चों को मारना बंद करो’’, ‘‘आजाद, आजाद फिलीस्तीन’’ और ‘‘कब्जा खत्म करो’’ जैसे नारे थे। इन प्रदर्शनों में यहूदी प्रदर्शनकारियों ने भी अच्छी खासी संख्या में हिस्सा लिया। लंदन के अतिरिक्त सैलफोर्ड, लीड्स और शेफील्ड में विरोध प्रदर्शन हुए। कनाडा के माण्ट्रियल और टोरण्टो में प्र्रदर्शन हुए। 
    
फ्रांस की राजधानी पेरिस में 15 हजार लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया। जर्मनी के शहरों- बर्लिन, कोलोन, फ्रैंकफर्ट, हैनोवर, कार्लगुए, मुंस्टर और स्टुटगार्ट में फिलिस्तीन के समर्थन में लोगों ने मार्च किया। जर्मनी के ही डसेलडोर्फ शहर में 10,000 के आस-पास लोगों ने प्रदर्शन किया। 
    
पश्चिम एशिया में लेबनान, तुर्की, इराक, जार्डन, यमन, मोरक्को तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में मलेशिया और इण्डोनेशिया में लोगों ने लगातार हो रहे प्रदर्शनों में हिस्सा लिया है। पाकिस्तान और अल्जीयर्स में लाखों-लाख लोगों ने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया है। 
    
इजरायली कब्जाकारियों द्वारा गाजापट्टी में बड़े पैमाने पर नरसंहार के विरोध में दुनिया भर के मजदूर-मेहनतकश जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन करके बहादुर फिलिस्तीनी अवाम के साथ एकजुटता प्रदर्शित कर रहे हैं। इन विरोध प्रदर्शनों का और फिलिस्तीनी प्रतिरोध संघर्ष के जारी रहने का यह परिणाम रहा है कि अब इजरायली हमलावरों का समर्थन करने वाले साम्राज्यवादी देशों के शासकों के बयानों में किंचित परिवर्तन आना शुरू हो गया है। जो शासक अभी तक सिर्फ यह कहने पर जोर देते थे कि इजरायल को अपनी आत्मरक्षा का अधिकार है और गाजापट्टी की नाकाबंदी और नरसंहार पर चुप थे, वे अब यह कहने लगे हैं कि बुनियादी दवाओं और खाद्य सामग्री को भेजने के लिए उपाय  किये जायें। जिस यूरोपीय संघ ने गाजापट्टी की मानवीय सहायता राशि को रोकने की घोषणा की थी, वह अब राहत सामग्री भेजने पर सहमत हो गया है। लेकिन साम्राज्यवादियों का पाखण्ड यहां भी दिखाई देता है। वे जहां इजरायल की अरबों डालर के हथियार और गोलाबारूद की आपूर्ति की मदद करते हैं, वहीं गाजापट्टी के लिए कुछ ट्रकों में दवायें और अन्य सामग्री भिजवाते हैं जो दाल में नमक के बराबर है। 
    
साम्राज्यवादी प्रचार तंत्र हमास की भर्त्सना करने और फिलिस्तीनी प्रतिरोध को ‘आतंकवादी’ कहने में अपनी पूरी ताकत लगाये हुए है। इसी के साथ ही वे इसे धर्म से जोड़कर मुसलमानों के विरुद्ध एक माहौल बना रहे हैं। इसमें हमास का कट्टर इस्लामपंथी दृष्टिकोण भी उनका मददगार है। लेकिन फिलिस्तीनी प्रतिरोध में सिर्फ हमास ही नहीं है। प्रतिरोध में ऐसे संगठन भी शामिल हैं जिनका दृष्टिकोण कट्टर इस्लामपंथी नहीं है। वे फिलिस्तीनी अवाम को साम्राज्यवाद, यहूदी नस्लवादी कब्जाकारी इजरायली पूंजीवादी सत्ता के विरुद्ध गोलबंद करने की कोशिश कर रहे हैं। यहां हम ऐसे ही एक संगठन फिलिस्तीन की मुक्ति के लिए लोकप्रिय मोर्चा की ओर से दुनिया के लोगों से एक अपील के साथ ही फिलिस्तीन के ट्रेड यूनियनों की ओर से दुनिया भर के ट्रेड यूनियनों के नाम पर एक अपील को दे रहे हैं। ये अपीलें यह बताती हैं कि फिलिस्तीन की आजादी और उसके आगे के भविष्य के बारे में ये संगठन क्या कुछ सोचते हैं। 

फिलिस्तीन की मुक्ति के लिए लोकप्रिय मोर्चा की विश्व से अपील

फिलिस्तीन की मुक्ति के लिए लोकप्रिय मोर्चा (पी.एफ.एल.पी.) प्रत्येक बहादुर शहीदों के उन फिलिस्तीनी परिवारों को अपना गहनतम दुख व्यक्त करता है जिन्होंने सम्मानित और आजादी के लिए चल रही लड़ाई में दृढ़तापूर्वक और इज्जत के साथ अपने जीवन को कुर्बान किया है। 
    
यहूदी नस्लवादी औपनिवेशिक राज्य हमारे अवाम को मिटा देने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहा है। यहूदी नस्लवादी कब्जाकारी बलों ने 17 अक्टूबर, 2023 को बापिस्ट अस्पताल (अल-अहली अस्पताल) को निशाना बनाकर बमबारी करके कायराना हमले में 600 से ज्यादा लोगों का भयावह नरसंहार किया है। और, अभी भी यह औपनिवेशिक सत्ता हमारी गृहभूमि का नस्लीय सफाया करना जारी किये हुए है और इसे जारी करते रहने की सार्वजनिक तौर पर हिमायत करती है। हम इस बात के प्रत्यक्षदर्शी हैं कि किस तरह वैश्विक साम्राज्यवादी शक्तियां हमारे लोगों के हो रहे नरसंहार में क्षोभकारी और अडिग सैनिक व राजनीतिक समर्थन करके साझीदार बनी हुई हैं। 
    
आज, मुक्ति और आजादी के लिए हमारा संघर्ष पहले के किसी भी समय से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। हम प्रतिरोध करने के अपने अधिकार और सात दशकों के औपनिवेशीकरण, अकल्पनीय पीड़ा, अपमान और संहार का खात्मा करने का पूरी ताकत के साथ दावा करते हैं। इसलिए हम अपनी राजनीतिक कार्रवाई और प्रतिरोध के अपराधीकरण करने से इंकार करते हैं, हम अपनी आजाद आत्माओं के विरुद्ध भेदभाव भरे फिलिस्तीन विरोधी हमलों को अस्वीकार करते हैं। हमारे प्रतिरोध के प्रति दोहरे मानदण्ड की पहुंच को प्रमाण के बतौर दूसरे लोगों के साथ, उदाहरण के लिए यूक्रेन के लोगों के साथ तुलना करने पर देखा जा सकता है जो कुत्सित है। इस लड़ाई में हमारे द्वारा उठाया गया प्रत्येक कदम विजय हासिल करने और उन औपनिवेशिक स्वार्थों का नामोनिशान मिटाने की ओर प्रतिबद्ध है जो इस अन्याय को जारी रखे हुए है। हमारी आजादी और सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता। हम या तो आजादी के साथ जियेंगे और या बलिदान की बगैर परवाह किये हुए अपने प्रतिरोध को बिना झुके जारी रखेंगे। 
    
पी.एफ.एल.पी. दुनिया भर के सभी विवेकशील व्यक्तियों का आह्वान करती है कि वे प्रभुत्व और उपनिवेशवाद के विरुद्ध फिलिस्तीनी संघर्ष के साथ एकजुट हों। हमारी लड़ाई इस ग्रह पर तमाम उत्पीड़ित लोगों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण के बतौर काम करती है। हमारा संघर्ष तमाम किस्म के उत्पीड़न, वर्चस्व और अन्याय पर काबू पाने का दृढ़ निश्चय समेटे हुए है। 
    
पी.एफ.एल.पी. दुनिया भर के उन मुक्ति आंदोलनों, राजनीतिक पार्टियों, यूनियनों, कार्यकर्ताओं और व्यक्तियों से, जिनके अंदर न्याय का भाव है, अपील करती है कि वे यहूदी नस्लवादी राज्य, उससे जुड़े लोगों और समर्थकों के विरुद्ध प्रत्येक कार्रवाई को आखिर तक अंजाम दें, फिलिस्तीन व फिलिस्तीनी लोगों को ठोस समर्थन व्यक्त करें। हमें उन लोगों की आवाज बननी होगी जिन्हें चुप करा दिया गया है, इनमें वह प्रत्येक बच्चा शामिल है जिसे हम खो चुके हैं और प्रत्येक राजनीतिक कैदी शामिल है जो सीखचों के पीछे पीड़ा झेलता है। हम मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे जबकि हमारी अवाम को मौत के घाट उतारा जाता है और यंत्रणा दी जाती है और हम चल रही नस्लीय सफाई के समक्ष निष्क्रिय नहीं बने रहेंगे। हमारी अवाम को सुरक्षा और सम्मान के साथ रहने का अपरिहार्य अधिकार है। 
    
यह समय अभी ही कार्रवाई करने का है; हम दुनिया भर के तमाम आंदोलनों का आह्वान करते हैं कि अपने तमाम मतभेदों और विवादों को किनारे लगाकर एकता के साथ कार्रवाई करने में केन्द्रित करें, जब तक कि हम विजय और वापस आने का अधिकार न हासिल कर लें। 1 करोड़ 10 लाख से अधिक शरणार्थी अपनी गृहभूमि में वापस आने का सपना देखते आ रहे हैं, और वह दिन दूर नहीं है। हमारी आजादी तब तक कायम रहेगी जब तक हम अपने न्यायपूर्ण ध्येय के प्रति अपने लोगों की तकलीफों का खात्मा लाने के प्रति और अपनी पवित्र भूमि की रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे। 
    
हम स्वतंत्रता के साथ जीने के लिए लड़ रहे हैं, हम अपने अस्तित्व मात्र के लिए प्रतिरोध कर रहे हैं। हमारे साथ के कामरेडों, आपकी आजादी औपनिवेशिक प्रभुत्व और उनसे जो इसके साथ गठजोड़ करते हैं, के खात्मे के साथ अंतर्गुंथित है। आइए, हमारे लोगों के विरुद्ध नरसंहार के खात्मे के लिए एकजुट हों और उस प्रत्येक मां और बच्चे, जो आजादी की चाहत में अपना जीवन खो चुके हैं, द्वारा झेली गयी पीड़़ा के खात्मे के लिए एकजुट हों। आइए, हम अपने शहीदों का सम्मान उस लड़ाई को आगे लड़ कर करें जिस पर वे विश्वास करते थे और जिसके लिए उन्होंने सब कुछ त्याग दिया, जिससे कि स्वतंत्र फिलिस्तीन और मुक्त लोगों के लिए रास्ता प्रशस्त हो। 

नदी से समुद्र तक फिलिस्तीन आजाद होगा! 

फिलिस्तीनी ट्रेड यूनियनों की ओर से अत्यावश्यक आह्वान

    इजरायल ने 11 लाख फिलिस्तीनियों को गाजा के उत्तरी हिस्से को खाली करने के लिए उस समय कहा है, जब वह उन्हें निरंतर बमबारी का शिकार बना रहा है। यह निर्मम कदम इजरायली योजना का हिस्सा है, जिसे अमरीका और अधिकांश यूरोपीय राज्यों का अविचल समर्थन और सक्रिय हिस्सेदारी मिली हुई है। इस ताकत के बल पर वह गाजा के 23 लाख फिलिस्तीनियों के विरुद्ध अभूतपूर्व और जघन्य नरसंहार चला रहा है और इसका पूर्णरूप से नस्लीय सफाया कर रहा है। 14 अक्टूबर से इजरायल गाजा पर अंधाधुंध और सघन तरीके से बमबारी कर रहा है और इसे ईंधन, बिजली, पानी, खाद्य सामग्री और दवाओं की आपूर्ति से वंचित कर दिया है। इजरायल ने 2600 से ज्यादा (इस समय 7000 से ज्यादा - ना सं.) फिलिस्तीनियां को मार डाला है, इनमें 724 बच्चे (इस समय 3000 से ज्यादा बच्चे मारे गये हैं- ना सं.)। सारी बस्ती के घरों को जमींदोज कर दिया है, समूचे परिवारों का सफाया कर दिया है, और 10,000 से ज्यादा लोगों को घायल कर दिया है। कुछ अंतर्राष्ट्रीय कानून विशेषज्ञ इजरायल की इन नरसंहारात्मक कार्रवाईयों की चेतावनी देना शुरू कर चुके हैं। 
    कुछ अन्य जगहों पर, इजरायल की घोर दक्षिणपंथी सरकार ने 1948 के फिलिस्तीन में बसाये गये और कब्जा किये गये पश्चिमी किनारे के अतिवादियों को 10 हजार से ज्यादा राइफलें वितरित की हैं, जिससे कि फिलिस्तीनियां के विरुद्ध उनके बढ़ते हुए हमलों और सामूहिक हत्याओं को सुगम बनाया जा सके। इजरायल की कार्रवाईयां, नरसंहार और इसके द्वारा दूसरा नक्बा (महाविनाश) रचने का लम्बे समय से किया गया वादे के इरादे की उन्मादी बातें, यथासम्भव फिलिस्तीनियों को निष्कासित करके और ‘‘नया मध्य पूर्व’’ निर्मित करके जिसमें फिलिस्तीनी निरंतर गुलामी में जियें, यही वह कर रहा है। 
    पश्चिमी राज्यों की प्रतिक्रिया इजरायल के राज्य के पूर्णतया और समग्र रूप से समर्थन की रही है। यहां तक कि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति सरसरी तौर पर भी परवाह नहीं है। इससे इजरायल की निर्द्वन्द्वता कई गुना बढ़ जाती है। इससे वह सीमाहीन होकर नरसंहारात्मक युद्ध बेखौफ होकर चलाता है। कूटनीतिक समर्थन से आगे बढ़कर पश्चिमी राज्य इजरायल को हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं और इजरायल की हथियार निर्माता कम्पनियों के संचालन की अपने देश की सीमाओं के भीतर मंजूरी दे रहे हैं। 
    जैसे-जैसे इजरायल अपना सैन्य अभियान आगे बढ़ा रहा है, फिलिस्तीनी ट्रेड यूनियनें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने समकक्षों और सभी विवेकशील लोगों से इजरायल के अपराधों के साथ सभी प्रकार की मिलीभगत को समाप्त करने का आह्वान करती हैं- इसमें सबसे आवश्यक इजरायल के साथ हथियारों के व्यापार को रोकने के साथ-साथ सभी फंडिंग और सैन्य अनुसंधान को रोकना भी शामिल है। फिलिस्तीनी जीवन अधर में लटका हुआ है। 
    इस तत्काल नरसंहार की स्थिति को केवल फिलिस्तीन के लोगों के साथ वैश्विक एकजुटता को बड़े पैमाने पर बढ़ाकर ही रोका जा सकता है और यही इजरायली युद्ध मशीन पर लगाम लगा सकता है। 
    हम आपसे तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। आप चाहें दुनिया में कहीं भी हों, इजरायली राज्य के हथियारों और नाकाबंदी के बुनियादी ढांचे में शामिल कम्पनियों को रोकने में आप काम कर सकते हैं। हम इटली, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमरीका की ट्रेड यूनियनों की पिछली लामबंदी और 1930 के दशक में इथियोपिया पर इतालवी आक्रमण, 1970 के दशक में चिली की फासीवादी तानाशाही और अन्य जगहों पर जहां वैश्विक एकजुटता ने औपनिवेशिक ताकतों को सीमित किया था, के खिलाफ इसी तरह की अंतर्राष्ट्रीय लामबंदी से प्रेरणा लेते हैं। 
    हम संबंधित उद्योगों की ट्रेड यूनियनों से आह्वान करते हैंः
1. इजरायल के लिए नियत हथियार बनाने से इंकार करने,
2. इजरायल को हथियार पहुंचाने (परिवहन) से इंकार करने,
3. इस आशय के लिए अपने ट्रेड यूनियनों में प्रस्ताव पारित करने,
4. इजरायल द्वारा क्रूर और अवैध घेरेबंदी को लागू करने में शामिल सहयोगी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करना, खासकर यदि उनका आपकी संस्था के साथ अनुबंध है। 
5. सरकारों पर इजरायल के साथ सभी सैन्य व्यापार बंद करने और अमेरिका के मामले में, उसे वित्त पोषण बंद करने का दबाव डालें। 
    हम यह आह्वान इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हम फिलिस्तीनी लोगों के साथ सभी प्रकार की एकजुटता पर प्रतिबंध लगाने और उन्हें चुप कराने के प्रयासों को देख रहे हैं। हम आपसे अन्याय के खिलाफ बोलने और कार्रवाई करने के लिए कहते हैं जैसा कि ट्रेड यूनियनों ने ऐतिहासिक तौर पर किया है। हम इस विश्वास के साथ यह आह्वान कर रहे हैं कि फिलिस्तीनी न्याय और मुक्ति के लिए संघर्ष क्षेत्रीय और विश्व शोषित लोगों की मुक्ति का साधन हैं। 
हस्ताक्षरकर्ता :
1. फिलिस्तीनी जनरल फेडरेशन आफ ट्रेड यूनियन्स, गाजा 
2. लोकसेवा और व्यापार श्रमिकों का संघ 
3. नगरपालिका श्रमिकों का सामान्य संघ 
4. किंडरगार्टन श्रमिकों का सामान्य संघ 
5. पेट्रोकेमिकल्स वर्कर्स का सामान्य संघ 
6. कृषि श्रमिकों का सामान्य संघ 
7. फिलिस्तीनी महिला समितियों का संघ 
8. मीडिया और प्रिण्ट वर्कर्स का जनरल यूनियन 
9. फिलिस्तीनी जनरल फेडरेशन आफ ट्रेड यूनियन्स 10. फिलिस्तीनी शिक्षकों का सामान्य संघ 
11. फिलिस्तीनी महिलाओं का सामान्य संघ 
12. फिलिस्तीनी इंजीनियरों का सामान्य संघ 
13. फिलिस्तीनी लेखाकार संघ 
14. फिलिस्तीनी डेंटल एसोसिएशन - जेरूशलम सेण्टर
15. फिलिस्तीनी फार्मासिस्ट एसोसिएशन - जेरूशलम सेण्टर
16. मेडिकल एसोसिएशन- जेरूशलम सेण्टर 
17. इंजीनियर्स एसोसिएशन - जेरूशलम सेण्टर 18. कृषि अभियंता संघ - जेरूशलम सेण्टर 
19. पशु चिकित्सक सिंडीकेट - जेरूशलम सेण्टर 20. फिलिस्तीनी पत्रकारों का सिंडीकेट 
21. फिलिस्तीनी बार एसोसिएशन 
22. फिलिस्तीनी नर्सिंग और मिडवाइफरी एसोसिएशन 23. किंडरगार्टन श्रमिकों का संघ 
24. फिलिस्तीनी डाक सेवा श्रमिक संघ 
25. फिलिस्तीनी विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और कर्मचारियों के संघों का संघ 
26. जनरल फेडरेशन आफ इंडिपेंडेंट ट्रेड यूनियन्स, फिलीस्तीन 
27. ट्रेड यूनियनों का फिलिस्तीन न्यू फेडरेशन 
28. फिलिस्तीनी जनरल यूनियन आफ राइटर्स, 29. फिलिस्तीनी ठेकेदार संघ 
30. फेडरेशन आफ हेल्थ प्रोफेशनल्स सिंडीकेट्स 31. मनोवैज्ञानिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का फिलिस्तीनी संघ 

आलेख

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

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पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

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उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता

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इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है। 

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1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।