भोजनमाताओं का सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

प्रगतिशील भोजनमाता संगठन द्वारा उत्तराखंड में कुमाऊं के हल्द्वानी में 24 फरवरी और गढ़वाल के हरिद्वार में 25 फरवरी को जोरदार विरोध-प्रदर्शन किए गये।
    
गौरतलब है कि पहले प्रगतिशील भोजनमाता संगठन के बैनर तले भोजनमाताओं ने राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी। यह प्रदर्शन 25 फरवरी 2024 को होना था। इसी दिन संयुक्त रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार आदि राज्यों के मिड डे मील कर्मचारियों का भी कार्यक्रम होना तय था। 
    
लेकिन दिल्ली पुलिस-प्रशासन ने इस कार्यक्रम की अनुमति खारिज कर प्रदर्शन करने से रोक दिया जो कि लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करना है। यह सर्वविदित है कि जंतर-मंतर प्रदर्शन स्थल है लेकिन वहां प्रदर्शन नहीं होने दिए जा रहे हैं जो सरकार की तानाशाही को दिखा रहा है।
      
ये प्रदर्शन निम्न मांगों को लेकर किए गए :-  1. केन्द्र सरकार भोजनमाताओं को मिलने वाली राशि में अपना हिस्सा बढ़ाए। 2. भोजनमाताओं को किसी भी बहाने से नौकरी से न निकाला जाए। 3. भोजनमाताओं से विद्यालयों में अतिरिक्त काम न करवाया जाए। 4. भोजनमाताओं को धुएं से मुक्त किया जाए। 5. भोजनमाताओं को वेतन-बोनस समय से दिया जाए। 6. भोजनमाताओं को न्यूनतम वेतन दिया जाय। 7. सभी भोजनमाताओं की स्थाई नियुक्ति की जाय। 8. भोजनमाताओं को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित किया जाये। 9. स्कूलों में 26 वें विद्यार्थी पर दूसरी भोजनमाता रखी जाए तथा पेंशन, प्रसूती अवकाश जैसी सुविधाएं दी जाएं।

हल्द्वानी/ 24 फरवरी को हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में भोजनमाताएं एकत्रित हुईं। इसमें नैनीताल, भीमताल, रामनगर, कोटाबाग, हल्द्वानी, लालकुआं, पंतनगर आदि जगहों से भोजनमाताएं शामिल हुईं। सभा बुद्ध पार्क में की गई। 
    
सभा में वक्ताओं ने कहा कि मिड-डे-मिल योजना का संचालन केन्द्र सरकार करती है। लेकिन जब से इस योजना को लागू किया गया है तब से केन्द्र ने मिड डे मील वर्करों का कोई पैसा नहीं बढ़ाया है और उत्तराखंड राज्य सरकार भी भोजनमाताओं को 5 हजार का मानदेय देने की बात कहकर मात्र 3 हजार रुपए ही दे रही है। जबकि देश के अलग-अलग राज्यों जैसे पाण्डुचेरी, केरल, तमिलनाडु, लक्षद्वीप आदि में मिलने वाली राशि व उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, राजस्थान जैसे अन्य राज्यों में मिलने वाली राशि में कई गुना का फर्क है। 
    
जबकि उत्तर प्रदेश के माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आदेश संख्या-9927/2020 दिनांक 15/12/202 को फैसला दिया कि सरकार द्वारा कुक कम हैल्पर/रसोईया/मिड-डे-मिल वर्कर से बेगार करवायी जा रही है, उन्हें तत्काल न्यूनतम वेतन दिया जाए। देश के किसी भी उच्च न्यायालय में हुए फैसले को देश के सभी राज्यों को लागू करना होता है लेकिन इस फैसले को अभी तक उत्तर प्रदेश में भी लागू नहीं किया गया। 
    
मिड डे मील वर्करों की समस्याओं को हल करना केन्द्र और राज्य दोनों की जिम्मेदारी बनती है लेकिन दोनों ही जिम्मेदारियों से हाथ खींचने का काम कर रही हैं। भोजनमाताएं केन्द्र सरकार से मांग करती हैं कि सरकार कुक कम हैल्पर/रसोईयों/मिड-डे-मिल वर्करों/भोजनमाताओं को मिलने वाली राशि में अपनी भागीदारी बढ़ाएं। कार्यक्रम के अंत में प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया।
    
कार्यक्रम में प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन आदि शामिल रहे। 

हरिद्वार/ 25 फरवरी को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर भोजनमाताओं ने विकास भवन रोशनाबाद पर एकत्रित होकर सभा की। उसके बाद वहां से जुलूस निकाल कर जिलाधिकारी के आवास पर जाना था लेकिन शासन-प्रशासन ने भोजनमाताओं को विकास भवन पर ही रोक दिया।
    
पुलिस-प्रशासन द्वारा जेल भेजने, मुकदमे लगाने की धमकी भी दी गई। भोजनमाताओं ने पुलिस के रवैये के खिलाफ जमकर विरोध किया। तब जाकर इंटेलिजेंस के अधिकारी ने कहा कि आप कलेक्ट्रेट पर चलो जिलाधकारी महोदय वहीं आयेंगे। लेकिन 2 बजे तक वहां जिलाधकारी नहीं आए तब भोजनमाताओं ने कहा कि हमें झूठ बोल कर यहां बैठा दिया और जिलाधिकारी खुद गायब हो गए। तब भोजनमाताओं ने तय किया कि हम वहीं उनके आवास पर जायेंगे। तब पुलिस प्रशासन ने कलेक्ट्रेट का गेट बंद कर दिया ताकि भोजनमाताएं बाहर न जा सकें। 
    
भोजनमाताओं ने वहां नारे लगाने शुरू कर दिए तब सिटी मजिस्ट्रेट वहां आईं और उन्होंने आश्वासन दिया कि कि कल जिलाधकारी महोदय से भोजनमाताओं के प्रतिनिधि मण्डल को मिलवाया जायेगा। तब सिटी मजिस्ट्रेट को संगठन ने एक ज्ञापन माननीय मुख्यमंत्री के नाम दिया और अपनी स्थानीय समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन जिलाधिकारी महोदय को दिया। 
        -विशेष संवाददाता

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