नक्शे में निशान -अलिंद उपाध्याय

दुनिया के नक्शे में

चौकोर-गोल-तिकोने निशानों से

दिखाए जाते हैं वन, मरुस्थल, नदियां, डेल्टा, पर्वत, पठार

दिखाया जाता है इन्हीं से

पायी जाती है कहां-कहां

दोमट, लाल, काली या किसी और प्रकार की मिट्टी

कविता की मिट्टी में सरहद नहीं होती

निशान नज़र आते हैं

किसी न किसी सरहद में ही

 

दिखायी जाती हैं इन्हीं डिज़ाइनर निशानों से

लोहा, कोयला, सोना, तांबा, अभ्रक और हीरे की खानें

लेकिन खदानों के श्रमिकों की पीड़ा

और उनके मालिकों की विलासिता

नहीं दिखा सकता है कोई निशान

 

ये दिखाते हैं हमें

तेल और गैस के प्रचुर क्षेत्र

कोई निशान नहीं दिखाता इनके इर्द-गिर्द का वह क्षेत्र

जहां मिट गया आबादी का नामोनिशान

अमेरिकी बमबारी से

 

एक काला गोल निशान दिखता है

जहां कहीं भी होती है राजधानी

कुछ बडे़-बड़े अक्षरों में नज़र आती है जो

वहीं तैयार किया जाता है दुनिया का नक्शा

जहां दुनिया के ताकतवर देश

उनके हिसाब से नहीं चलने वाले देशों पर

लगाते हैं निशान

अगला निशाना साधने के लिए।

साभार : http://www.anunad.com/

आलेख

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