प्रबंधन की तानाशाही के खिलाफ बेलसोनिका मजदूर परिवारों का प्रदर्शन

गुड़गांव/ हरियाणा के मानेसर में ऑटो पार्ट्स बनाने वाली बेलसोनिका कंपनी का प्रबंधन लगातार कंपनी में मजदूर विरोधी नीतियां लागू कर रहा है। बेलसोनिका मजदूर यूनियन पिछले दो वर्षों से लगातार कंपनी के अंदर फर्जी दस्तावेजों के नाम पर छंटनी और ठेका प्रथा का विरोध कर रही है। पिछले वर्ष प्रबंधन ने तीन मजदूरों को छुट्टियों की आड़ में काम से निकाल दिया था जिसके खिलाफ कंपनी के अंदर लगातार बेलसोनिका मजदूर यूनियन के नेतृत्व में बेलसोनिका के मजदूर संघर्ष कर रहे थे। कंपनी की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ निरंतर संघर्ष की वजह से 17 मार्च 2023 को कंपनी प्रबंधन ने बेलसोनिका मजदूर यूनियन के तीन पदाधिकारियों को निलंबित कर दिया। तीनों ही पदाधिकारियों को कंपनी में आने से रोकने के लिए प्रबंधन ने कंपनी परिसर के अंदर भारी मात्रा में बाउंसर्स और पुलिस बल तैनात कर दी है जिससे मजदूरों के बीच भय का माहौल बन गया है।

कंपनी के इस तानाशाहीपूर्ण रवैये के खिलाफ बेलसोनिका कंपनी के मजदूरों के परिवारजनों ने 22 मार्च 2023 को प्रगतिशील महिला एकता केंद्र के नेतृत्व में गुड़गांव के लघु सचिवालय में डीसी ऑफिस के सामने जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया। लगभग एक घंटे चली सभा में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की कार्यकर्ता तथा बेलसोनिका मजदूर यूनियन के प्रधान मोहिंदर कपूर की पत्नी रीना ने कहा कि आज खुली-छिपी छंटनी के रूप में जो हमला बेलसोनिका प्रबंधन मजदूरों के ऊपर कर रहा है वह हमला सिर्फ मजदूरों पर नहीं उनके परिवारों के ऊपर भी है। आज की बढ़ती मंहगाई में जब वेतन से पूरे घर को चलाना मुश्किल हो रहा है ऐसे में मजदूरों के ऊपर लटकती छंटनी की तलवार उनके परिवार व बच्चों के भविष्य को और खतरे में डाल देती है। रीना ने कहा कि प्रबंधन फर्जी दस्तावेजों के नाम पर 15-15 साल से काम कर रहे स्थाई मजदूरों को निकाल कर ठेके पर मजदूर भर्ती करना चाहता है जिससे कि मजदूरी में बचत कर वह अपने मुनाफे को और बढ़ा सके। उन्होंने कहा कि बेलसोनिका मजदूर यूनियन तथा बेलसोनिका मजदूरों द्वारा प्रबंधन की इस मनमानी के खिलाफ उनके संघर्ष में उनके परिवार उनके साथ खड़े हैं तथा वह तब तक मिलकर लड़ेंगे जब तक कि प्रबंधन द्वारा किया जा रहा अन्याय खत्म न हो जाए।

बेलसोनिका मजदूर यूनियन के संगठन सचिव सुनील कुमार की पत्नी दीपिका, जो कि 7 माह की गर्भवती हैं, ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज यदि गर्भवती होने के बावजूद मुझे यहां आकर खड़ा होना पड़ रहा है तो यह इस कंपनी की मुनाफाखोर प्रवृत्ति को दिखाता है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई अकेले बेलसोनिका मजदूर यूनियन की या बेलसोनिका मजदूरों की नहीं है। यह लड़ाई पूरे मजदूर वर्ग की है और जब तक हम इस लड़ाई में अपनी एकजुटता नहीं दिखाएंगे तब तक यूं ही कंपनी प्रबंधन और प्रशासन का गठजोड़ मजदूरों का शोषण और उत्पीड़न करता रहेगा।

बेलसोनिका मजदूर यूनियन के विभिन्न पदाधिकारियों ने कहा कि कंपनी में सभी स्थाई मजदूर 10 से 15 साल से काम कर रहे हैं फिर अचानक इतने सालों बाद हम कैसे फर्जी हो गए। कंपनी ने 15 साल तक हमारे श्रम का शोषण किया और अब वह हमें रास्ते से हटाकर ठेके पर मजदूर लगाना चाहती है जिससे कि सस्ते दाम पर मजदूर लगाकर वह अपने मुनाफे को और बढ़ा सके। यूनियन पदाधिकारियों ने बताया कि पिछले दो सालों से कंपनी अलग-अलग हथकंडे अपना कर यूनियन को तोड़ने का काम कर रही है। एक ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता देने के नाम पर उसने यूनियन का पंजीकरण रद्द करने की कोशिश की। इन सबके बावजूद जब प्रबंधन मजदूरों के संघर्ष को नहीं दबा पाया तो अब वह यूनियन के पदाधिकारियों को निलंबित कर कंपनी परिसर में बाउंसर्स और पुलिस फोर्स के जरिए मजदूरों को दबाने की कोशिश कर रहा है। यूनियन ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ एक कंपनी की नहीं है यह लड़ाई पूरे मजदूर वर्ग की है और बेलसोनिका यूनियन इस लड़ाई को तब तक लड़ती रहेगी जब तक कि वह इस लड़ाई को अपने सफल मुकाम तक नहीं पहुंचा देती।

कार्यक्रम में भाग लेने वाले अन्य मजदूर संगठनों तथा ट्रेड यूनियनों ने कहा कि हरियाणा के औद्योगिक क्षेत्र में लंबे समय से विभिन्न कंपनियों द्वारा स्थाई मजदूरों को हटाकर ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जब भी इन कंपनियों में किसी भी तरह का संघर्ष उठता है तो उसे उसी तरह दबा दिया जाता है जैसे आज बेलसोनिका की यूनियन को दबाया जा रहा है। आज जरूरत है कि तमाम ट्रेड यूनियन तथा मजदूर संगठन मिलकर मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाएं।

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र तथा बेलसोनिका मजदूरों के परिवारों की महिलाओं द्वारा डी.सी. को निम्न मांगों के साथ ज्ञापन भी सौंपा :- 1. कंपनी में ठेका प्रथा को बंद किया जाए तथा सभी ठेके के मजदूरों को स्थाई किया जाए। 2. हर तरह की खुली-छिपी छंटनी को तत्काल बंद किया जाए। 3. मजदूर साथियों को जिन्हें कंपनी प्रबंधन ने बर्खास्त कर दिया है उन्हें तुरंत वापस लिया जाए। 4. तीनों पदाधिकारियों का निलंबन तत्काल रद्द कर उन्हें बहाल किया जाए।

कार्यक्रम में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, बेलसोनिका मजदूर यूनियन तथा इंकलाबी मजदूर केंद्र के साथ मजदूर सहयोग केंद्र, श्रमिक संग्राम कमेटी, हिटैची ठेका मजदूर यूनियन, तथा 2012 के मारूती से बर्खास्त मजदूर शामिल रहे। -गुड़गांव संवाददाता

आलेख

/ceasefire-kaisa-kisake-beech-aur-kab-tak

भारत और पाकिस्तान के इन चार दिनों के युद्ध की कीमत भारत और पाकिस्तान के आम मजदूरों-मेहनतकशों को चुकानी पड़ी। कई निर्दोष नागरिक पहले पहलगाम के आतंकी हमले में मारे गये और फिर इस युद्ध के कारण मारे गये। कई सिपाही-अफसर भी दोनों ओर से मारे गये। ये भी आम मेहनतकशों के ही बेटे होते हैं। दोनों ही देशों के नेताओं, पूंजीपतियों, व्यापारियों आदि के बेटे-बेटियां या तो देश के भीतर या फिर विदेशों में मौज मारते हैं। वहां आम मजदूरों-मेहनतकशों के बेटे फौज में भर्ती होकर इस तरह की लड़ाईयों में मारे जाते हैं।

/terrosim-ki-raajniti-aur-rajniti-ka-terror

आज आम लोगों द्वारा आतंकवाद को जिस रूप में देखा जाता है वह मुख्यतः बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध की परिघटना है यानी आतंकवादियों द्वारा आम जनता को निशाना बनाया जाना। आतंकवाद का मूल चरित्र वही रहता है यानी आतंक के जरिए अपना राजनीतिक लक्ष्य हासिल करना। पर अब राज्य सत्ता के लोगों के बदले आम जनता को निशाना बनाया जाने लगता है जिससे समाज में दहशत कायम हो और राज्यसत्ता पर दबाव बने। राज्यसत्ता के बदले आम जनता को निशाना बनाना हमेशा ज्यादा आसान होता है।

/modi-government-fake-war-aur-ceasefire

युद्ध विराम के बाद अब भारत और पाकिस्तान दोनों के शासक अपनी-अपनी सफलता के और दूसरे को नुकसान पहुंचाने के दावे करने लगे। यही नहीं, सर्वदलीय बैठकों से गायब रहे मोदी, फिर राष्ट्र के संबोधन के जरिए अपनी साख को वापस कायम करने की मुहिम में जुट गए। भाजपाई-संघी अब भगवा झंडे को बगल में छुपाकर, तिरंगे झंडे के तले अपनी असफलताओं पर पर्दा डालने के लिए ‘पाकिस्तान को सबक सिखा दिया’ का अभियान चलाएंगे।

/fasism-ke-against-yuddha-ke-vijay-ke-80-years-aur-fasism-ubhaar

हकीकत यह है कि फासीवाद की पराजय के बाद अमरीकी साम्राज्यवादियों और अन्य यूरोपीय साम्राज्यवादियों ने फासीवादियों को शरण दी थी, उन्हें पाला पोसा था और फासीवादी विचारधारा को बनाये रखने और उनका इस्तेमाल करने में सक्रिय भूमिका निभायी थी। आज जब हम यूक्रेन में बंडेरा के अनुयायियों को मौजूदा जेलेन्स्की की सत्ता के इर्द गिर्द ताकतवर रूप में देखते हैं और उनका अमरीका और कनाडा सहित पश्चिमी यूरोप में स्वागत देखते हैं तो इनका फासीवाद के पोषक के रूप में चरित्र स्पष्ट हो जाता है। 

/jamiya-jnu-se-harward-tak

अमेरिका में इस समय यह जो हो रहा है वह भारत में पिछले 10 साल से चल रहे विश्वविद्यालय विरोधी अभियान की एक तरह से पुनरावृत्ति है। कहा जा सकता है कि इस मामले में भारत जैसे पिछड़े देश ने अमेरिका जैसे विकसित और आज दुनिया के सबसे ताकतवर देश को रास्ता दिखाया। भारत किसी और मामले में विश्व गुरू बना हो या ना बना हो, पर इस मामले में वह साम्राज्यवादी अमेरिका का गुरू जरूर बन गया है। डोनाल्ड ट्रम्प अपने मित्र मोदी के योग्य शिष्य बन गए।