संघी लम्पटों का आतंक

संघ-भाजपा का नफरती चेहरा दिन-प्रतिदिन जनता के सामने उजागर होता जा रहा है। संघ भाजपा के ढेरों लोग संवैधानिक पदों पर विराजमान हैं। संघी मण्डली के लोग मुस्लिम समुदाय के लोगो
संघ-भाजपा का नफरती चेहरा दिन-प्रतिदिन जनता के सामने उजागर होता जा रहा है। संघ भाजपा के ढेरों लोग संवैधानिक पदों पर विराजमान हैं। संघी मण्डली के लोग मुस्लिम समुदाय के लोगो
एक कमजोर हैसियत का इंसान, इतना कमजोर कि दो जून की रोटी के भी लाले पड़े हैं। पर वैचारिक रूप से बिलकुल रूढ़िवादी हो और रूढ़िवाद का प्रचारक भी हो। रूढ़िवादी साहित्यों के अलावा अ
सिस्टम की लापरवाही ने स्कूल जा रही छात्रा की जान ले ली। 7 जुलाई 2023 को 10वीं में पढ़ने वाली मठ लक्ष्मीपुर की छात्रा लक्ष्मी स्कूल जाते समय पानी भरी सड़क में फिसल गई। क्यूं
फरीदाबाद/ समाज में बढ़ती महिला हिंसा व यौन अपराधों की शिकार आम तौर पर मजदूर-मेहनतकश वर्ग की महिलाएं-बच्चियां होती रही हैं। इसी के हिस्से के बतौर 11 अगस्त 2022 को रक्षाबंधन के दिन एक
हरियाणा में सूरजमुखी के बीज के समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद के मसले पर किसानों के जुझारू संघर्ष ने खट्टर सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। इस तरह किसान संघर्ष ने दिखा दिया कि दिल्ली में चले किसान आंद
आईएमटी मानेसर में मजदूरों के हालात बहुत बुरे हैं। ज्यादातर कंपनियों में सौ प्रतिशत अस्थाई मजदूर कार्य कर रहे हैं। ज्यादातर कंपनियों में सिंगल ओवरटाइम दिया जा रहा है। ज्यादातर कंपनियों में बोनस नहीं
30 अप्रैल को संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली में अपनी बैठक की। इस बैठक में आगामी 6 माह के लिए संघर्ष की रूपरेखा तैयार कर किसान आंदोलन फिर से खड़ा करने का संकल्प लिया गया। बैठक में ज्यादातर प्रमुख संग
बेलसोनिका के मजदूर अपनी एकता को और ज्यादा मजबूत कर मजदूर आंदोलन के लिए उदाहरण पेश कर रहे हैं।
संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।
आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता।
अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।
पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।
उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता