मारुति सुजुकी द्वारा 2012 में निकाले गए मज़दूरों ने आंदोलन एक बार फिर तेज कर दिया है। मारुति सुजुकी स्ट्रगल कमेटी के नेतृत्व में निकाले गए मजदूरों ने 18 सितंबर को डीसी कार्यालय से मारुति गेट नंबर 2 तक का पैदल मार्च और उसके बाद वहां पर अनिश्चितकालीन धरने का कार्यक्रम लिया। 28 सितंबर को निकाले गए मजदूर अलग-अलग राज्यों से आकर इकट्ठा हुए पर पुलिस प्रशासन ने उन्हें मार्च निकालने की इजाजत नहीं दी और चुनाव आचार संहिता का हवाला देकर सीधा मानेसर जाने के लिए कहा। उसके बाद मजदूर अलग-अलग वाहनों में मानेसर चौक पहुंचे जहां पर पहले से ही मौजूद पुलिस वालों ने उन्हें रोक लिया। मारुति सुजुकी स्ट्रगल कमेटी के नेतृत्व ने पुलिस वालों से मारुति गेट तक जाने और वहां पर धरना के लिए कहा पर पुलिस प्रशासन ने फिर वही चुनावी आचार संहिता और धारा 144 का हवाला देकर इसके लिए मना कर दिया और कहा कि आप लोगों के पास धरना लगाने की परमिशन नहीं है इसलिए हम आपको धरना नहीं लगाने देंगे।
जब मज़दूरों ने पुलिस प्रशासन को कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि मज़दूर मारुती के गेट न. 2 से 500 मीटर की दूरी पर धरना दे सकते है तो पुलिस प्रशासन ने उनकी मांग को मानने से इंकार कर दिया। प्रशासन ने कहा कि हम आपको मारुति गेट पर तो बैठने नहीं देंगे आप यहीं पर बैठ जाइए। जब मज़दूर मानेसर तहसील पर ही धरना देने के लिए तैयार हो गए तो उसके बाद पुलिस ने कहा कि आप यहां पर भी नहीं बैठ सकते। आप अपना ज्ञापन देकर चले जाइए।
पर मजदूर इस बात पर अड़े रहे कि वे घर नहीं जाएंगे। पिछले 12 साल से वे लगातार संघर्ष कर रहे हैं। उनके घरों के हालात काफी खराब हैं। काफी बहस के बाद प्रशासन ने कहा कि आप लोगों के पास दो ही रास्ते हैं या तो आप ज्ञापन देकर अपने-अपने घर चले जाइए या फिर हम आपको गिरफ्तार करेंगे।
मजदूरों ने वहीं डटे रहकर विरोध व्यक्त करने का फैसला किया। रात भर मजदूर मानेसर तहसील पर ही बैठे रहे। सुबह होते ही मजदूर मानेसर तहसील से गुजरने वाली रोड के किनारे पर बैठ गए और वहीं पर अपना मोर्चा लगा लिया। मज़दूरों का मारुति गेट पर धरना लगाने के लिए संघर्ष जारी है।
गौरतलब ये है कि उनको निकालने का मज़दूर लगातार पिछले 12 साल से संघर्ष चला रहे हैं और हर 18 जुलाई को कार्यक्रम लेकर संघर्ष को फिर से तेज करने का तय करते हैं। इस बार 18 जुलाई से पहले मजदूरों ने कई कार्यक्रम लिए जिसमें डीसी कार्यालय गुड़गांव पर 2 दिन का धरना भी लगाया और 18 जुलाई को पूरे दिन का कार्यक्रम किया। उसके बाद अपने संघर्ष को तेज करने के लिए एक न्याय कन्वेंशन भी किया और उसके बाद लंबी बातचीत के बाद 18 सितंबर को पैदल मार्च और अनिश्चितकालीन धरने करने का कार्यक्रम लिया।
मारुति मज़दूरों का संघर्ष लम्बे समय से निरन्तर जारी है। शासन-प्रशासन मजदूरों के संघर्ष को निरन्तर रोक रहा है, मौजूदा घटनाक्रम प्रशासन के इसी रवैये को दिखा रहा है।