
कपड़ा(टेक्सटाइल) मंत्रालय अब महिलाओं को रात्रि की पाली में भी काम करने से संबंधित कानून बनाने जा रहा है। अब तक मौजूद श्रम कानून से हिसाब से महिलाओं से रात्रि की पाली में उद्योगों में काम नहीं कराया जा सकता। यह बात टेक्सटाइल मंत्री के सम्बाशिव राव ने सीआईआई के एक समारोह के दौरान कही।<br />
बकौल कपड़ा मंत्री महिलायें भी रात्रि की पाली में काम करना चाहती हैं परन्तु मौजूदा कानून में प्रावधान न होने के चलते वे रात्रि की पाली में काम नहीं कर पातीं। अतः इस संबंध में एक नोट केबिनेट में रखा जायेगा।<br />
आज की स्थिति में कपड़ा क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें महिलायें भारी संख्या में काम करती हैं। महिलायें पूंजीपति वर्ग के लिए एक सस्ता श्रम का साधन है। महिलाओं की यूनियन में जुड़ने की दर भी कम है। अतः महिलायें पूंजीपति वर्ग के लिए आज यूनियनबाजी की भी समस्या पेश नहीं करती हैं। पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं की दोयम दर्जे की स्थिति का लाभ उठाते हुए उसे कम तनख्वाह पूंजीपति वर्ग देता है। ऐसे सस्ते मजदूर के श्रम का दोहन करने के लिए वह तमाम हथकण्डे अपनाता है। मसलन् तमिलनाडु के अंदर उसने ‘सुमंगला’ नामक स्कीम लड़कियों के लिए चलाई। जिसमें वह लड़कियों से तीन साल तक का अनुबंध करता है। खाने-पीने व रहने की सुविधा मालिक देता है। बाद में वह एक मुश्त चालीस-पचास हजार देता है। ताकि वह शादी के लिए दहेज जुटा सके। इसके अलावा वह इस क्षेत्र में मनरेगा की तर्ज पर काम कराने की मांग करता रहा है। ताकि कम मजदूरी पर काम करवा सके। और पूंजीपति वर्ग की इसी तरह की इच्छा को सरकार अब पूरा कर रही है। और महिलाओं से रात्रि की पाली में काम कराने का कानून पास कराने जा रही है।<br />
पिछले कुछ सालों में आई मंदी के कारण कपड़ा क्षेत्र के निर्यात में कमी आई है। ऐसे में निर्यात के लिए अलग क्षेत्र खोजने के अलावा निर्यात का पुराना स्तर बरकरार रखने की समस्या इस क्षेत्र के पूंजीपति वर्ग के सामने आ खड़ी है और उसकी इस समस्या का हल उसकी सरकार महिला मजदूरों पर काम का बोझ बढ़ाकर हल कर रही है। विश्व के स्तर पर प्रतियोगिता में टिके रहने के लिए अन्य देशों की तकनीक के मुकाबले पुरानी तकनीक होने के चलते श्रम का अत्यधिक दोहन करके ही प्रतियोगिता में टिका जा सकता है एवम् मुनाफा बढ़ाया जा सकता है। अतः महिलाओं के लिए रात्रि की पाली में काम करवाने वाला कानून पास किया जा रहा है।<br />
मंत्री महोदय कहते हैं कि जिस तरह बीपीओ में महिलायें रात्रि में भी काम करती हैं उसी तरह उन्हें यहां भी रात्रि की पाली में काम करने की छूट होनी चाहिए। इसका मतलब साफ है कि पूंजीपति वर्ग को हर जगह महिलाओं के शोषण, उत्पीड़न का अधिकार होना चाहिए।<br />
जुलाई के प्रथम सप्ताह में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली मेन्युफेक्चरिंग क्षेत्र की उच्चस्तरीय कमेटी के सामने टैक्सटाइल के निर्यात को 30 प्रतिशत बढ़ाने की बात की गयी थी। कमेटी में 2013-14 के लिए 44 अरब डालर तक का निर्यात करने की बात की गयी। 2012-13 में यह निर्यात 34 अरब डालर था। ऐसी स्थिति में जाहिर है कि मजदूरों पर इसका दबाव पड़ना तय है और महिलाओं पर काम का दबाव बढ़ना इसी का एक हिस्सा है।