ब्रिटेन चुनाव : ऋषि सुनक हारे, कियर स्टार्मर जीते

4 जुलाई को ब्रिटेन में हुए चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। इन चुनावों में ऋषि सुनक यानी कंजरवेटिव (टोरी पार्टी) को करारी हार का सामना करना पड़ा है वहीं कियर स्टार्मर यानी लेबर पार्टी को भारी बहुमत से जीत मिली है। लेबर पार्टी को कुल 650 सीटों में से जहां 412 सीटें (33-34 प्रतिशत मत) मिली हैं वहीं कंजरवेटिव पार्टी महज 121 सीटों (23-24 प्रतिशत मत) पर सिमट गयी। सदन (हाउस आफ कामन्स) में बहुमत के लिए 326 सीटों की आवश्यकता होती है। तीसरे स्थान पर लिबरल डेमोक्रेट रही जिसे 71 सीटें मिली हैं। वहीं नाइजल फराज की पार्टी रिफार्म यू के को 5 सीटें (14 प्रतिशत मत) मिली हैं। स्कोटिश नेशनल पार्टी को 9 और निर्दलीय 6 सीटों पर जीते हैं। इसके अलावा अन्य सीटें छोटे दलों को मिली हैं।
    
ऋषि सुनक की हार की वजह जनता के बीच फैला व्यापक आक्रोश था जो कंजरवेटिव पार्टी के 14 साल के कुशासन से पैदा हुआ था। 2010 में कंजरवेटिव पार्टी 365 सीटें जीतकर सत्ता में आयी थी तब डेविड कैमरुन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे। उसके बाद बोरिस जानसन प्रधानमंत्री बने जो कोरोना काल में पार्टीगेट कांड (कोरोना काल में आफिस में पार्टी करना) के कारण बदनाम हुए और पार्टी की छवि भी बिगड़ी। इसके बाद बोरिस जानसन ने एक भ्रष्टाचार के आरोप लगे पार्टी के आदमी को बचाने की कोशिश की जिसके बाद उनकी ही पार्टी के सांसद उनके खिलाफ हो गये और उन्होंने अपने पदों से इस्तीफे देने शुरू कर दिये। बाद में उनके इस्तीफे के बाद लिज ट्रस प्रधानमंत्री बनीं लेकिन कोरोना और ब्रेक्जिट के बाद खराब होती अर्थव्यवस्था को वे नहीं संभाल पायीं और उनके पद से हटने के बाद ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बने। 
    
ऋषि सुनक भारतीय मूल के व्यक्ति हैं जो ब्रिटेन में इस पद पर पहुंचे थे। उनकी पत्नी भारतीय उद्योगपति और इन्फोसिस के चेयरमैन नारायणमूर्ति की बेटी हैं। ऋषि सुनक ने भारतीय मूल के वोटरों को रिझाने के लिए इस सबका इस्तेमाल भी किया, मंदिरों में पूजा अर्चना भी की लेकिन वे सफल नहीं हो पाये। दरअसल अपनी खराब होती स्थिति को ऋषि सुनक पहचान गये थे इसलिए उन्होंने 6 महीने पहले चुनाव करवाकर एंटी इनकम्बेंसी (सत्ता पक्ष के खिलाफ माहौल) कम कर जीतने की उम्मीद की थी।
    
ऋषि सुनक या कंजरवेटिव पार्टी की हार की वजहों में महंगी होती शिक्षा और महंगा होता स्वास्थ्य खर्च, अप्रवासी समस्या, निजीकरण की नीतियां आदि हैं। 2016 के बाद प्रति व्यक्ति आय कम हुई है। कोरोना के बाद तो लोगों की स्थिति और खराब हुई है। इसके अलावा साफ पानी भी इस चुनाव में एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा था। टेम्स नदी समेत कई झीलों की सफाई के मुद्दे ने इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। और इस सबका परिणाम इस रूप में देखने को मिला कि पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस समेत 11 कैबिनेट मंत्री चुनाव हार गये। 
    
ऋषि सुनक ने अप्रवासी मुद्दे को भी उछाला और चुनाव अभियान के दौरान एक वीडियो बनाया जिसमें दिखाया गया कि यदि लेबर पार्टी सत्ता में आती है तो वह अप्रवासियों के लिए लाल कालीन बिछायेगी। ऋषि सुनक ने अप्रवासियों की समस्या से निपटने के लिए एक प्लान भी तैयार किया था। उन्होंने रवांडा के राष्ट्रपति से बात कर 320 मिलियन पांड की एक योजना बनायी जिसमें ब्रिटेन आने के इच्छुक लोगों को रवांडा के एक द्वीप पर बसाया जायेगा। हालांकि ऋषि सुनक की इस योजना के लिए उनकी खूब खिंचाई हुई जिसके बाद उन्होंने अपनी योजना को 4 जुलाई के चुनाव के बाद लागू करने की बात की। यह मुद्दा एक महत्वपूर्ण मुद्दा था और स्टार्मर को भी इसमें पक्ष रखना पड़ा। अप्रवासियों की समस्या के बारे में कियर स्टार्मर ने भी कहा कि वे अप्रवासियों को ब्रिटेन आने से रोकेंगे लेकिन उन्हीं लोगों को जो ब्रिटेन के लिए खतरनाक होंगे। यानी कियर स्टार्मर जानते हैं कि इस समस्या से उन्हें भी सावधानी से निपटना होगा।
    
जब कियर स्टार्मर लेबर पार्टी के नेता बने तो जेरोमी कोरबिन के साथ उनके अंतर्विरोध बढ़ गये और बाद में जेरोमी कोरबिन को पार्टी से निकाल दिया गया। जेरोमी कोरबिन की छवि वामपंथ की ओर झुकाव लिए थी। कियर स्टार्मर ने पार्टी की वामपंथी छवि से पीछा छुड़ाने की कोशिश की और उन्होंने चुनाव में नारा दिया - बदलाव। उन्होंने कहा कि अब यह नयी लेबर पार्टी है। अब यह बदलाव किस दिशा में होगा यह उनके जीतने के बाद दिये बयान से स्पष्ट हो जाता है। इसमें उन्होंने कहा है कि मेरे लिए देश सर्वप्रथम है। इस बयान में पहले किये गये वायदे भुलाये जा सकते हैं।
    
कियर स्टार्मर ने जीतने से पहले क्या कहा। उन्होंने कहा था कि जो अमीर लोग हैं उन पर 5 प्रतिशत टैक्स लगाया जाना चाहिए और कारपोरेट को जो टैक्सों में छूट दी गयी है उसे वापिस लिया जाना चाहिए। और इस प्रकार जो पैसा बचता है उसे श्रमिक वर्ग की भलाई के लिए काम में लगाना चाहिए। अब देखना यह है कि क्या स्टार्मर अपने कहे अनुसार काम करते हैं।
    
ऊपरी तौर पर देखने में लगता है कि इस चुनाव में ऋषि सुनक हार गये हैं और कियर स्टार्मर जीत गये हैं और वह भी भारी बहुमत से। लेकिन बात केवल इतनी नहीं है। इस चुनाव में ब्रिटेन की जनता ने कियर स्टार्मर को जिताने से ज्यादा ऋषि सुनक को हराने के लिए वोट किया है जो कंजरवेटिव के 14 साल के कुशासन से तंग आ चुकी थी। शिक्षा और स्वास्थ्य पर बढ़ता खर्च वह वहन करने की स्थिति में नहीं है। वह भी तब जब उसकी आय गिर रही हो। 
    
इसके अलावा कियर स्टार्मर की इस प्रचंड जीत की आंधी में फिलिस्तीन समर्थक 4 निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते हैं। इसके अलावा लेबर पार्टी के पूर्व नेता जेरोमी केरोबिन जिस सीट से निर्दलीय जीते हैं वहां से लेबर पार्टी का उम्मीदवार जीतता रहा है। यह दिखाता है कि गाजा युद्ध को लेकर जनता की क्या भावनाएं हैं। फिलिस्तीन के समर्थन में ब्रिटेन में बड़े-बड़े प्रदर्शन आयोजित हुए हैं जो मांग कर रहे है कि ब्रिटेन, इजराइल का युद्ध में समर्थन और सहयोग देना बंद करे। 
    
इसके अलावा नाइजल फजार की पार्टी रिफार्म यू के को चुनाव में 4 सीटें भले मिली हों लेकिन उसे 14 प्रतिशत वोट मिले हैं जो कंजरवेटिव पार्टी के वोट बैंक में सेंध मार कर हासिल किये गये हैं। यानी अगर कंजरवेटिव और रिफार्म यू के को मिले वोट मिला दिये जाएं तो वे लेबर पार्टी को मिले वोटों से ज्यादा बैठते हैं। करीब 100 सीटें ऐसी रही हैं जहां रिफार्म यू के पार्टी का उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहा है। 
    
यानी चुनाव परिणाम साफ दिखाता है कि स्टार्मर को कोई बहुत ज्यादा वोट नहीं मिले हैं लेकिन डाले आये वोटों का बंटवारा कुछ इस तरह हुआ कि वे बहुत कम वोट पाकर भी भारी बहुमत से सत्ता में पहुंच गये। जब 1997 में लेबर पार्टी भारी बहुमत (419 सीट) से जीती थी तब उसे 43 प्रतिशत वोट मिले थे। और इस बार महज 33-34 प्रतिशत मत पाकर वे 412 सीट जीत गये हैं।
    
लेकिन यह तो साफ है कि अब ब्रिटेन की सत्ता पर लेबर पार्टी आ चुकी है और जनता को उससे उम्मीद है कि वे निजीकरण को कम करेंगे जैसा कि स्टार्मर ने कहा है कि वे ऊर्जा, रेलवे और पानी की समस्या को हल करेंगे। उसके अलावा जनता को उम्मीद है कि वे इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध में इज़राइल का साथ छोड़ेंगे। 
    
लेकिन पूंजीपतियों की यह लेबर पार्टी इस छुट्टे पूंजीवादी जमाने में मजदूरों के लिए कुछ कर पाए इसकी उम्मीद कम ही है।

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