एक और मजदूर बस्ती पर चला बुलडोजर

रुद्रपुर/ दिनांक 14 जुलाई 2024 को भगवानपुर दानपुर के पास एक बस्ती भगवान पुर मल्ला टोली कालोनी को बुलडोजर चलाकर उजाड़ दिया गया। यहां पर लगभग 46-47 परिवार रहते हैं। यह परिवार सन् 1973 के आस-पास से यहां रह रहे हैं। एक दौर में प्रशासन द्वारा ही इनको बसाया गया था। ऊधमसिंह नगर जिला प्रशासन, पीडब्ल्यूडी और राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारियों के संयुक्त प्रयास के तहत हाईकोर्ट के आदेश के बाद (कंटेम्प्ट आफ कोर्ट के आदेश के बाद) ध्वस्त कर दी गई इस बस्ती में करीब 500 लोग रहते हैं। प्रशासन का कहना है कि पिछले लंबे समय से यह प्रक्रिया चल रही थी। तीन-चार बार कोशिश की गई इनको हटाने की लेकिन बस्तीवासियों के अनुरोध पर स्थानीय भाजपा विधायक के कहने पर प्रशासन से समय मांगा गया।
    
हाईकोर्ट में यह मामला 2016 से चल रहा था। यहां एक फार्म है जो रवि शाह का बताया जा रहा है। यह फार्म 15 एकड़ का है जो अच्छी खासी नजूल भूमि पर कब्जा करके बनाया हुआ है। जमीन मालिक ने यह जमीन पिछले कुछ माह से कोलोनाइजर को बेच दी है या बेचने की प्रक्रिया चल रही है। सारा सवाल जो लगभग 10-12 एकड़ जमीन में प्लाटिंग होगी, उस प्लाटिंग की छवि बिगड़ने का है। करोड़ों की जमीन का मामला है क्योंकि यह बस्ती हाइवे के और फार्म के बीच बसाई गई है। 
    
बताते चलें कि यहां पर तत्कालीन डीएम प्रभाकर दुबे और तत्कालीन एम एल ए देव बहादुर सिंह ने लोगों को बसाया गया था। पूर्व में यह अनुपयोगी जगह थी। लोगों ने बताया कि इस जगह पर हाथी के बराबर गड्ढे थे। लोगों ने इस जमीन को बराबर किया और रहने लायक बनाया। यहां लोगों को इंदिरा आवास मिला हुआ है। बिजली-शौचालय आदि जो भी सरकारी सुविधाएं हैं, मिली हैं। इनके द्वारा ग्राम प्रधान, बीडीसी मेंबर, जिला पंचायत सदस्य, विधायक व सांसद का चुनाव किया जाता रहा है।
    
यहां पर मुख्यतः पूर्वांचल (गोरखपुर, बलिया, गाजीपुर, देवरिया, बहराइच आदि) के लोग बसे हुए हैं। यहां के लोगों का मुख्य पेशा मजदूरी का ही है। इसमें मनरेगा मजदूर, राज मिस्त्री या भवन निर्माण मजदूर, खेत मजदूर आदि हैं। इन लोगों ने कई सालों की कमाई के बाद अपना आशियाना बनाया था जो कि अब अवैध बता कर बुलडोजर चलाकर नेस्तनाबूत कर दिया गया है। 
    
यहां के बस्तीवासियों ने स्थानीय भाजपा विधायक (रुद्रपुर) से अपनी गुहार लगाई। जब 12 जुलाई को प्रशासन पहली बार बस्ती तोड़ने के लिए आया तो कई सारे लड़कों को विरोध करने के लिए पुलिस ने हिरासत में ले लिया और महिलाओं से बदतमीजी की। पुरुष पुलिस वालों ने महिलाओं को मारा-पीटा व सीने में धक्का दिया। इस प्रकार का अमर्यादित व्यवहार पुलिस द्वारा किया गया जिसकी  तमाम सारे संगठनों व राजनीतिक पार्टियों ने निंदा की और अगले दिन एसपी को ज्ञापन देखकर रुद्रपुर कोतवाल जिन्होंने महिलाओं को धक्का दिया था, उनके ऊपर कानूनी कार्यवाही करने का ज्ञापन दिया। 
    
सवाल यह है कि कोर्ट के आर्डर को प्रशासन मुस्तैदी से लागू करवाने के लिए तत्पर रहता है। चाहे वह बनभूलपुरा (हल्द्वानी) का मामला हो, नगीना कालोनी (लालकुंआ) का हो या मौजूदा भगवानपुर मल्ला टोली कालोनी का हो। परंतु दूसरी तरफ मजदूर को राहत देने को अगर कोर्ट से कोई आर्डर आता है, उसमें इतनी तत्परता न दिखाते हुए मालिक को समय दिया जाता है कि वह उसके लिए पूरी तैयारी करे और सिंगल बेंच से डबल बेंच में और लोअर कोर्ट से अपर कोर्ट में अपील कर सके और कोर्ट में ही सारा समय बीत जाए। यह है प्रशासन की पक्षधरता। 
    
जब मजदूरों के पक्ष में कोर्ट से फैसला आता है मामले में हीला हवाली बरती जाती है दूसरी तरफ जब आम जनता के खिलाफ फैसला आता है तो उसे एड़ी चोटी का जोर लगाकर दमन के हर हथकंडे अपना कर बुलडोजर चलाकर पूरा किया जा रहा है। यहां तक कि मकान का मलवा तक उठाकर प्रशासन ले जा रहा है। बस्तीवासियों द्वारा मकान बनाने के लिए खरीदी हुई ईंट तक नहीं छोड़ी गई। क्या हाईकोर्ट में जनता की तरफ से पैरोकारी करने का सरकार का कोई अधिकार नहीं बनता? कि अपनी जनता के पक्ष में हर जगह पैरवी करे। परंतु सवाल पूंजी का है कि वह पूंजीपतियों के पक्ष में हमेशा तत्पर रहती है। 
    
जब से भाजपा सरकार आई है उसने गरीब जनता का जीना दुश्वार किया हुआ है। सरकारों का यह दायित्व बनता है कि अगर किसी कारणवश लोगों को हटाना जरूरी होता है तो उनके पुनर्वास के बिना उजाड़ना न्यायोचित नहीं होता है। परन्तु बिना पुनर्वास के ही भगवानपुर के मजदूरों-मेहनतकशों की एक बस्ती को उजाड़ दिया है। अभी बरसात का मौसम है। ऐसे में लोगों के आशियानों को इस तरीके से बुलडोजर से तोड़ देना कहां तक उचित है?        -रुद्रपुर संवाददाता
 

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को