युद्ध -महेंद्र पाण्डेय

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युद्ध सेनायें नहीं करतीं 
युद्ध शासक करते हैं 
युद्ध में शासक नहीं मरते
सैनिक मरते हैं 
जनता मरती है.. 
शासक हमेशा दूसरे देश से युद्ध नहीं करते
कभी-कभी अपनी जनता से भी युद्ध करते हैं
मीडिया, संवैधानिक संस्थाएं शासक की सहयोगी हैं 
जनता को कुचलते हैं सब मिलकर 
जनता को रौदते हैं 
जनता को लूटते हैं..
भूख, महंगाई, बेरोजगारी घातक हथियार हैं
झूठ, फरेब, साम्प्रदायिकता मिसाइल हैं
लगातार दागी जाती हैं 
शासक जनता की हरेक लाश के पास 
खड़ा वीभत्स अट्ठाहास करते है
अपनी विजय पर गर्व करता है
दो देशों के युद्ध तारीख समेत
दर्ज होते हैं इतिहास के पन्नों पर
शासक द्वारा जनता से किया जाने वाला युद्ध
कहीं दर्ज नहीं होता 
दो देशों के बीच युद्ध 
कुछ दिनों में बंद हो जाते हैं
पर,
शासक द्वारा जनता से किया जाने वाला युद्ध
सालों-साल चलता रहता है 
हमले लगातार घातक होते जाते हैं.
सुनो, 
जनता की चीख-पुकार 
और शासक का अट्ठाहास
 

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