देश के कई हिस्सों में गर्मी का पारा चढ़ा हुआ है। बेतहाशा गर्मी के कारण हीट स्ट्रोक होने से देश में कई जगह मेहनतकश लोगों के मरने की दुखद घटनाएं घट रही हैं।
सरकार, अधिकारी आंकड़ों को छिपाने के लिए लीपापोती कर रहे हैं। आंकड़ों को कम से कम बताने का रवैया है। तब भी लू के कारण कई मौतों की आधिकारिक पुष्टि की गयी है और कई मौतों के कारण पर अभी जांच चल रही है।
लू के कारण 14 बिहार में, 5 उडीसा में 18 मौतों की जांच चल रही है। 2 उत्तर प्रदेश, 2 दिल्ली, 5 राजस्थान कई शवों की जांच चल रही है, लोगों की मृत्यु हुई है।
किसी भी मौसम की मार सबसे अधिक गरीब को ही झेलनी पड़ती है। गर्मी की गरम हवाओं को भी वही अधिक झेल रहा है।
इतनी गर्मी में भी उसे कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। काम की जगह में कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं होते। पानी, छांव, शौचालय तक का इंतजाम नहीं होता है। ऊपर से मालिक, ठेकेदार का डंडा उसे सांस लेने तक की फुरसत नहीं देता।
बस, ट्रेन, आटो में ठूस-ठूसाकर कर पसीने में लथपथ वह अपने दरबे जैसे कमरे में पहुंचता है। जहां ना साफ हवा मिलती है ना उसकी बस्ती में साफ पानी। गर्मी में सारी रात काटता है और फिर अगले दिन बस, ट्रेन, आटो में ठूसकर काम पर जाता है।
इतनी कड़ी मेहनत के बाद उसे इतना वेतन नहीं मिलता कि वह साफ-सुथरे हवादार कमरे में रह सके। अच्छा भोजन, साफ पानी पी सके।
पूंजीवादी शासक गरीब मजदूर-मेहनतकशों के जीवन के इन हालातों पर भी परदा डालते हैं। इन हालातों में जब उसकी मौत हो जाती है तो उसे भी छिपाया जा रहा है या सारा दोष चढ़ती गरमी को बताकर अपनी जिम्मेदारियों से बचा जा रहा है।