जब हत्यारे और बलात्कारी पूजे जाएंगे

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गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपी जमानत पर रिहा

कर्नाटक की सेशन कोर्ट ने 9 अक्टूबर को गौरी लंकेश की हत्या के आरोप के दो मुख्य आरोपियों के साथ 6 अन्य लोगों को जमानत दे दी। दो मुख्य आरोपी परशुराम बाघमोरे और मनोहर एडवे हैं जिनको इस बिना पर जमानत पर रिहा किया कि वे 6 साल का समय जेल में बिता चुके हैं। और चुंकि अभी ट्रायल शुरु नहीं हुआ है और भविष्य में भी इसके अभी पूरा होने की संभावना नहीं है अतः अनिश्चित काल तक के लिए इन्हें जेल में नहीं रखा जा सकता। गौरी लंकेश हत्या के सम्बन्ध में 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जिसमें से 16 आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। बाकी दो ने अभी अदालत का रुख नहीं किया है।

गौरी लंकेश कर्नाटक की थीं। और कन्नड भाषा में 'गौरी लंकेश' पत्रिका निकालती थीं। वे दक्षिणपंथियों की मुखर आलोचक थीं। उन्होंने 'गुजरात फाइल्स' का कन्नड भाषा में अनुवाद किया था और लगातार कर्नाटक की जनता को दक्षिणपंथी खतरे से जागरूक करने का काम कर रही थी। उनके इसी काम की वजह से दक्षिणपंथी समूहों की तरफ से जान से मारने की धमकी दी जा रही थी। 5 सितम्बर की शाम को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गयी। उनकी इस हत्या में श्री राम सेना और सनातन संस्था जैसे दक्षिणपंथी समूहों का नाम सामने आया।

लेकिन बात केवल यह नहीं है कि आरोपियों को जमानत दे दी गयी। बात यह है कि दोनों मुख्य आरोपियों परशुराम बाघमोरे और मनोहर एडवे का कलिका मंदिर में फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया और उनको शाल भेंट की गयी। यह काम श्री राम सेना के अध्यक्ष ने किया। गौरी लंकेश की हत्या में श्री राम सेना और सनातन संस्था का नाम सामने आया था। बाद में इन संस्थाओं के 18 लोगों को गौरी लंकेश की हत्या के सम्बन्ध में गिरफ्तार किया गया था।

आज भारत में जब भी हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोग जो बलात्कार या राजनीतिक हत्याओं के सम्बन्ध में रिहा हो रहे हैं उनका फूल माला पहनाकर, मिठाई खिलाकर सम्मान किया जा रहा है और उनके कामों को समाज में वैधता प्रदान की जा रही है। ठीक उसी तरह जैसे गांधी के हत्यारे गोडसे को आर एस एस और उसके अन्य अनुषांगिक संगठन पूजते हैं और उसकी मूर्तियां स्थापित करते हैं।

जब भी हिंदू दक्षिणपंथी समूह ऐसे बलात्कारियों और हत्यारों का सम्मान कर उनको समाज में वैधता प्रदान करते हैं वैसे ही वे समाज में बलात्कारी और हत्यारे पैदा होने की जमीन निर्मित कर देते हैं। वे हर गली-मोहल्ले में गोडसे पैदा होने की परिस्थिति बना देते हैं। जब बिल्कीस बानो के बलात्कारियों को रिहा किया जाता है और उनका फूल माला पहनाकर स्वागत किया जाता है तो वे न केवल मुस्लिम महिलाओं के साथ बलात्कार को जायज ठहराते हैं बल्कि महिलाओं के साथ बलात्कार करने वालों के हैंसले बुलंद कर रहे होते हैं।

यानी कुल मिलाकर सत्ता में बैठे हिंदू फ़ासीवादी भारत को ऐसे समाज में बदल रहे हैं जहाँ हत्यारे और बलात्कारी पूजे जाएंगे।

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