उत्तरकाशी मामला : मुस्लिम व्यापारियों पर आर्थिक हमला

नाज़ियों के नक़्शे कदम पर हिंदू फासीवादी

उत्तरकाशी के पुरोला में एक नाबालिग हिन्दू लड़की के गायब होने और उसके बाद इस मामले में एक हिन्दु लड़के और एक मुस्लिम लड़के के शामिल होने की बात सामने आने पर साम्प्रदायिक तनाव बढ़ गया है या सही कहें तो मुस्लिमों में आतंक पैदा हो गया है। 26 मई देवभूमि रक्षा अभियान सहित अन्य हिंदूवादी संगठनों द्वारा जुलूस निकालने के बाद मुस्लिम व्यापारियों को 15 जून की महापंचायत के पहले तक दुकानें खाली कर जाने का फरमान सुना दिया गया है। उनकी दुकानों के होर्डिंग भी हटाए जा रहे हैं।

जब मुस्लिम व्यापारियों ने इस मामले में थाने में अपनी सुरक्षा की गुहार लगायी तो पहले तो पुलिस ने उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया गया लेकिन बाद में उनसे दुकान न खोलने को कहा गया। व्यापार मंडल भी मुस्लिम व्यापारियों की सहायता करने में आना कानी कर रहा है। 27 मई से मुस्लिमों की दुकानें बंद हैं। कई लोग तो दहशत के मारे पलायन कर गये हैं।

ज्ञात हो कि एक हिंदू लड़का और एक हिंदू लड़की आपस में प्यार करते थे। लड़की नाबालिग थी। मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़के में आपसी दोस्ती थी। इसी दोस्ती की खातिर मुस्लिम लड़के ने हिंदू लड़के की लड़की से मिलने में मदद की। हिंदू कटटरपंथी तो ऐसे मामले की तलाश में रहते ही हैँ। उन्होंने इसे लव जिहाद का मामला बना दिया। और मुस्लिमों के खिलाफ माहौल बनाना शुरु कर दिया। देवभूमि रक्षा अभियान संगठन के नाम से रातों रात शहर में मुस्लिमों को क्षेत्र छोड़कर जाने की धमकी भरे पोस्टर लगा दिये।

उत्तरकाशी के पुरोला में लगभग 40 मुस्लिम परिवार रहते हैँ। कई परिवार तो 25 30 सालों से यहाँ रह रहे हैँ और यहाँ के स्थायी निवासी हैं। इनमें कुछ व्यापारी ही हैं जिनके अपने दुकान या मकान हैं वरना ज्यादातर मुस्लिम परिवार किराये पर रह रहे हैँ। कुछ मुस्लिम व्यापारियों की स्थिति तो ठीक है लेकिन ज्यादातर मुस्लिम आबादी छोटे छोटे काम धंधों मसलन मैकेनिक पंचर बनाने आदि में लगी है। ज्ञात हो कि पुरोला में 650-700 दुकानें हैँ इसमें मात्र 40 के करीब दुकानें ही मुस्लिमों की हैँ। मुस्लिमों की इस आबादी को रोहिंग्या और बांग्लादेशी कहकर उनके खिलाफ घृणा का माहौल बनाया जा रहा है।

हिंदू फासीवादियों की इस मुहिम को आगे बढ़ाने में स्वयं मुख्यमंत्री से लेकर पूरा प्रशासनिक अमला सक्रिय है। कुछ समय पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लैंड जिहाद या मज़ार जिहाद का नारा दिया था। और मुस्लिम धार्मिक ढांचों को ढहाने का खूब प्रचार किया गया और धामी को धर्म रक्षक घोषित कर दिया गया। अब प्रशासनिक अमला इस कार्यवाही में क्यों पीछे रहेगा। उत्तरकाशी के पुरोला में पहले पुलिस द्वारा मुस्लिम व्यापारियों को दुकानें खोलने का आश्वासन देना और बाद में दुकान न खोलने की बात कहना सब कुछ बयां कर देता है। इसके अलावा पुलिस की मौजूदगी में मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों पर क्रॉस के निशान बनाये जा रहे हैं।

इसके साथ ही हिंदू फासीवादी मकान मालिकों को मुस्लिम लोगों को दुकान और घर खाली करने के लिए दबाव भी बना रहे हैं। जिन भी मकान मालिकों ने मुस्लिमों को किराये पर घर या दुकान दिये हैं उनसे कहा जा रहा है कि अपने किरायेदार द्वारा कोई घटना अंजाम दिये जाने की जिम्मेदारी उनकी होगी।

हिंदू फासीवादियों को शह देने के अपने कुकृत्यों पर शासन प्रशासन लीपा पोती कर रहा है। वह संविधान की इस बात को कह रहा है कि हर किसी को कहीं भी जाकर बसने और काम करने की आज़ादी है लेकिन देवभूमि रक्षा अभियान के प्रनुख दर्शन भारती के खुलेआम संविधान की धज्जियाँ उड़ाने के बयानों पर चुप्पी साध लेता है। जब मुस्लिमों से 15 जून की महापंचायत तक पुरोला छोड़ने के पोस्टर के बारे में दर्शन भारती से पूछा गया तो वह अपने संगठन द्वारा पोस्टर लगाए जाने को मना करता है लेकिन साथ में यह भी कहता है कि जिसने भी हमारे संगठन के नाम से पोस्टर लगाए हैँ बिल्कुल सही लगाए हैँ। संघियों की यही रणनीति रही है। उसके इस बयान के बावजूद भी उस पर कोई कार्यवाही न होना उसे राजनीतिक संरक्षण होने की पुष्टि करने के लिए काफी है।

अभी हाल में ही भाजपा नेता यशपाल रावत की बेटी की शादी एक मुस्लिम लड़के के साथ पारिवारिक मर्ज़ी से तय हुई थी लेकिन हिंदू फासीवादियों द्वारा इसे भी लव जिहाद करार देकर बवाल करने की वजह् से समारोह को रद्द करना पड़ा था। हिंदू फासीवादी संगठनों द्वारा पुरोला कस्बे में की जा रही कार्यवाही का असर आस-पास के कस्बों और गाँवो में भी पड़ने लगा है। यहाँ भी मुस्लिमों के खिलाफ जुलूस निकलने लगे हैं।

हिंदू फासिवादियों द्वारा की जा रही ऐसी कार्यवाहियाँ उत्तराखंड की हवा में जहर घोल रही हैँ। और हवा में घोले जा रहे इस जहर का असर सब पर पडेगा चाहे वो किसी धर्म या जाति का हो।

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