सेवा में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, नई दिल्ली, भारत
विषय : अपनी बहिन पिंकी गंगवार की अंतिम इच्छा पूरी करते हुए मेरा अंतिम संस्कार उत्तराखंड के श्रम मंत्री/मुख्यमंत्री उत्तराखंड श्री पुष्कर सिंह धामी जी के खटीमा स्थित आवास पर सम्पन्न होना सुनिश्चित कराने हेतु।
महोदय
मैं पिंकी गंगवार डाल्फिन कंपनी सिडकुल पंतनगर जिला उधमसिंह नगर (उत्तराखंड) में कार्यरत स्थाई महिला मजदूर हूं। उत्तर प्रदेश और भारत देश की बेटी हूं। डाल्फिन कंपनी में बुनियादी श्रम कानूनों को लागू कराने हेतु करीब 500 श्रमिकों के साथ में विगत जनवरी माह 2024 से निरंतर संघर्षरत हूं। किन्तु उत्तराखंड में आपकी भाजपा पार्टी की डबल इंजन की सरकार में श्रम विभाग और जिला प्रशासन बुनियादी श्रम कानूनों के उल्लंघन पर रोक लगाने और डाल्फिन कंपनी मालिक पर कार्यवाही करने के स्थान पर हम गरीब मजदूरों को ही दबा रहे हैं। उच्च न्यायालय उत्तराखंड द्वारा हम पीड़ित मजदूरों की याचिका संख्या -2128/2024 पर 07/08/2024 को दिए गए आदेश के पश्चात भी बुनियादी श्रम कानूनों के उल्लंघन पर रोक लगाने हेतु कोई भी कार्यवाही नहीं की गई।
महोदय, हम मजदूर कानून के हिसाब से सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन और बोनस देने की ही तो मांग कर रहे हैं। डाल्फिन कंपनी में आठ-दस वर्षों से और इससे भी ज्यादा समय से कार्यरत हम स्थाई महिला मजदूरों को जनवरी माह 2024 तक मात्र 5500-6000 रुपये ही मासिक वेतन दिया जाता था, क्या यह उचित था? हम स्थाई मजदूरों को मात्र 300-500 रुपये ही बोनस दिया जाता है, क्या यह नैतिक और कानूनी रूप से उचित है? हम स्थाई मजदूरों को अवैध रूप से ठेके की नौकरी में किस कानून के तहत धकेलकर भविष्य बर्बाद कर दिया गया और अंतिम हिसाब भी चुकता नहीं किया गया, हम यही जायज सवाल तो उठा रहे थे। हम स्थाई श्रमिकों को आरोप पत्र और नोटिस जारी किये बिना और अंतिम भुगतान चुकता किये बिना हमारी किस कानून के तहत अवैध गेटबंदी कर दी गई है, हम यही मासूम सवाल तो उठा रहे थे। कानून के हिसाब से जिन कम्पनियों में 250 या उससे ज्यादा मजदूर नियोजित होते हैं वहां कैंटीन व्यवस्था उपलब्ध कराना अनिवार्य शर्त है और हमारी कम्पनी में 1000 से भी ज्यादा मजदूर कार्यरत हैं तो हमें कैंटीन की सुविधा क्यों नहीं दी जाती है, हम यही जायज सवाल तो उठे रहे हैं।
महोदय, बुनियादी श्रम कानूनों को लागू कराना क्या उत्तराखंड के श्रम मंत्री, श्रम विभाग और जिला प्रशासन का संवैधानिक दायित्व नहीं है। और उन्होंने इस दायित्व का निर्वाह क्यों नहीं किया? और आपकी भाजपा पार्टी की डबल इंजन की सरकार में कोई सुनवाई ना होने पर बुनियादी श्रम कानूनों को लागू कराने की मांग को लेकर मैं पिंकी गंगवार तीन अन्य महिला मजदूर बहिनों और दो पुरुष मजदूर भाइयों के साथ में विगत 21 अक्टूबर 2024 से आमरण अनशन पर बैठी हूं।
महोदय 24 अक्टूबर 2024 को उपश्रमायुक्त महोदय द्वारा मजदूरों की कार्यबहाली हेतु जारी नोटिस से उपश्रमायुक्त रुद्रपुर और अपर जिलाधिकारी रुद्रपुर अगले ही दिन मुकर गए हैं। 23 अक्टूबर 2024 को हमें उप श्रमायुक्त महोदय की ओर से नोटिस जारी हुआ था कि 25 अक्टूबर 2024 को अपर जिलाधिकारी नजूल/प्रशासन रुद्रपुर की मध्यस्थता में वार्ता होगी किन्तु उक्त वार्ता में कंपनी प्रबंधक को बुलाया ही नहीं गया, जबकि उपरोक्त नोटिस कंपनी प्रबंधक को ही प्रेषित था और एकतरफा हुई वार्ता के दौरान अपर जिलाधिकारी महोदय द्वारा हमारे प्रतिनिधियों को ही डराया-धमकाया गया। जिससे स्पष्ट है कि जिला प्रशासन, सरकार और श्रम विभाग पूरी तरह से कंपनी मालिक के साथ में खड़े हैं।
महोदय, आपके चहेते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी उत्तराखंड के श्रम मंत्री भी हैं इसलिए हम महिला मजदूरों के साथ में हो रहे इस अत्याचार के लिए मुख्य जिम्मेदार भी वही हैं। महोदय, इससे भी शर्मनाक विषय यह है कि आपकी पार्टी के स्थानीय विधायक श्री शिव अरोरा जी ने करीब आठ-दस बार सार्वजनिक रूप से हम महिलाओं को वचन दिया था कि वो दो-चार दिन के भीतर ही हमारी समस्याओं का समाधान और सभी मजदूरों की कार्यबहाली करा देंगे जो कि सोशल मीडिया में आज भी उपलब्ध है किन्तु वो हर बार अपनी बात से शर्मनाक रूप से मुकरते रहे हैं।
महोदय, आप खुद को ओबीसी समाज का बेटा और सबसे ज्यादा हितैषी घोषित करते रहे हैं। बनारस से चुनाव लड़ते समय खुद को गंगा मैय्या और उत्तर प्रदेश का बेटा बोलते रहे हैं। मैं भी ओबीसी समाज की और उत्तर प्रदेश की ही बेटी हूं। इसलिए मैं आपकी बहन हुई और आप मेरे भाई। किन्तु आपकी डबल इंजन की सरकार में हमारी इसलिए कोई सुनवाई नहीं हो रही है क्योंकि मैं मजदूर वर्ग की सदस्य हूं और गरीब हूं। और आपकी डबल इंजन की सरकार में हम मजदूरों और गरीबों की कोई भी सुनवाई नहीं है। इसलिए आज मैं आमरण अनशन पर जीवन और मौत से जूझ रही हूं। सुना है कि आपकी डबल इंजन की सरकार के अपर जिलाधिकारी नजूल और प्रशासन का कहना है कि आमरण अनशन पर बैठी हम तीन-चार महिलाएं मर भी जाएं तो उन्हें कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि भारत की जनसंख्या बहुत ज्यादा है। महोदय आपकी डबल इंजन की उत्तराखंड सरकार में यह कैसा रामराज्य है जहां एक प्रशासनिक अधिकारी हम आमरण अनशनकारियों के प्रति इतने असंवेदनशील हो सकते हैं? क्या ये अफसर अपनी सगी मां-बहिनों के प्रति भी ऐसी ही सोच रखते हैं? क्या आपकी सरकार में यही रामराज्य है और यही नारी सम्मान है?
महोदय मैं मरना नहीं चाहती हूं बल्कि जीना चाहती हूं, और जीवन से बहुत ज्यादा प्यार करती हूं। किन्तु जतिनदास और भगतसिंह जैसे अपने महापुरुषों से प्रेरित होकर यह सोच रखती हूं कि देश व समाज के हित में, मजदूरों-गरीबों की आजादी और अधिकारों के लिए आमरण अनशन पर बैठकर प्राण न्यौछावर करना बहुत सौभाग्य की बात है और अंतिम सांस तक आमरण अनशन में बैठकर अपने मजदूर भाइयों के अधिकारों को हासिल करने के लिए बहादुरी के साथ में लड़ती रहूंगी। यह मेरा आपसे वादा है।
महोदय, मुझे पूर्ण विश्वास है कि यदि आमरण अनशन करते हुए मुझे प्राण त्यागने पड़े तो मेरे डाल्फिन कम्पनी के और सिडकुल के मजदूर भाई-बहिन इसका बदला जरूर लेंगे और संघर्ष को जारी रखेंगे।
महोदय, मेरे जीते जी आप और आपकी डबल इंजन की सरकार अपनी इस बहन को न्याय नहीं दिला पाए। किन्तु मुझे पूरा भरोसा है कि आप मेरे मरने के पश्चात मेरी इस अंतिम इच्छा को जरूर पूरा करेंगे कि मेरा अंतिम संस्कार उत्तराखंड सूबे के श्रम मंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के खटीमा स्थित आवास पर ससम्मान करना सुनिश्चित करेंगे ताकि उत्तराखंड और भारत देश की जनता यह देख और महसूस कर सके कि आपकी पार्टी भाजपा की डबल इंजन की सरकार के श्रम मंत्री हम मजदूरों-महिलाओं के प्रति कितने लापरवाह, निर्दयी और निरंकुश हैं।
आपके सहयोग की आकांक्षी
आपकी बहन
पिंकी गंगवार
प्रति प्रेषित :-
(1) अध्यक्ष/महासचिव महोदय श्रमिक संयुक्त मोर्चा ऊधम सिंह नगर
(2) प्रभारी महोदय संयुक्त किसान मोर्चा
(3) भारत देश के नेता प्रतिपक्ष माननीय राहुल गांधी जी
(4) मुख्यमंत्री महोदय उत्तराखंड सरकार, देहरादून
दिनांक 25 अक्टूबर 2024