मैं आजाद हूं?

मैं आजाद हूं?

आम आदमी

मैं एक आम नागरिक हूं
मैं आजाद हूं?
वोट करने के लिए
टैक्स भरने के लिए
मगर मैं अपने नागरिक अधिकारों
की मांग नहीं कर सकता
वरना धर लिया जाऊंगा
साल दो साल के लिए अंदर कर दिया जाऊंगा।

मैं एक आम किसान हूं
मैं आजाद हूं?
धन्नासेठों के गोदाम भरने के लिए
दिन-रात खेतों में मरने के लिए
मगर मैं अपनी फसल का
उचित दाम नहीं मांग सकता
वरना लाठी डंडे और गोली खाऊंगा
आंदोलनजीवी आतंकवादी कहलाऊंगा।

मैं एक मजदूर हूं
मैं आजाद हूं? 
कारखानों में दिन-रात खटने के लिए
मालिकों के गुंडों से पिटने के लिए
मगर मैं न्यूनतम मजदूरी नहीं मांग सकता
वरना गेट से बाहर कर दिया जाऊंगा
गुंडा एक्ट में धर लिया जाऊंगा।

मैं एक नौजवान छात्र हूं
मैं आजाद हूं?
कोचिंग संस्थानों में लुटने के लिए
पढ़ लिखकर पकौड़ा तलने के लिए
मगर मैं नौकरी नहीं मांग सकता
वरना देशद्रोह के जुर्म में अंदर जाऊंगा
वामपंथी नक्सली कहलाऊंगा।

मैं एक महिला हूं
मैं आजाद हूं?
मालों का प्रचार करने के लिए
महफिलों में सजने के लिए
बाजार में बिकने के लिए
मगर मैं आजादी की मांग नहीं कर सकती
वरना बदचलन चरित्रहीन हो जाऊंगी
समाज में कुल्टा कहलाऊंगी।।
        -भारत सिंह, आंवला
 

आलेख

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

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पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

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उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता