विविध

नेहरूवादी, अंबेडकरवादी और समाजवादी

यह आज के पतित पूंजीवादी समाज का ही परिचायक है कि उसके सचेत तत्व यानी पूंजीवादी बुद्धिजीवी छान-बीन या समालोचना की सारी क्षमता खो चुके हैं। उन्हें लगता है कि उनके नायक की कोई भी समालोचना विरोधियों को हथियार प्रदान कर देगी। इसलिए वे केवल तारीफ और प्रोत्साहन में व्यस्त हैं। वे एक नायक के बदले दूसरा नायक खड़ा करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। 

हिन्दू राष्ट्र की प्रतिक्रिया में सिख राष्ट्र

यहां यह बात स्पष्ट है कि भाषावार प्रांतों के गठन की मांग जहां जनता की जनवादी मांग थी वहीं धर्म के आधार पर राष्ट्र गठन की मांग एक प्रतिक्रियावादी व जनता के बीच विभाजन पैदा करने वाली मांग है। बात चाहे धर्म के आधार पर भारत-पाक विभाजन की हो या फिर हिन्दू राष्ट्र या सिख राष्ट्र की, ये सभी मेहनतकश जनता के बीच विभाजन पैदा करने के साथ कट्टरपंथ को बढ़ावा देती हैं।

नयी सरकार : अमीरों द्वारा, अमीरों की, अमीरों के लिए सरकार

देश को नयी सरकार मिल चुकी है। वैसे नयी सरकार में नया क्या है। प्रधानमंत्री वही, वही रक्षामंत्री, वही गृहमंत्री, वही वित्त मंत्री, वही विदेश मंत्री। कृषि मंत्री जरूर नये ह

मजदूर नेताओं पर गुंडा एक्ट लगाने के विरोध में प्रदर्शन

सिडकुल (पंतनगर-रुद्रपुर) में डालफिन मजदूरों के जारी आंदोलन के दौरान उधमसिंह नगर के जिलाधिकारी द्वारा डालफिन मजदूर संगठन के नेताओं- ललित कुमार, सोनू कुमार

उत्तराखण्ड की भोजनमाताओं का वेतन

उत्तराखण्ड सरकार ने 1 अप्रैल 2024 से मजदूरों के लिए नया न्यूनतम वेतनमान लागू किया है। जिसमें कुशल, अकुशल (हेल्पर) अर्ध कुशल आदि का वेतन 12,500 रुपये से लेकर 13,551 रुपये

हल्द्वानी में फिर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश

हल्द्वानी/ बीते 20 जून को बनभूलपुरा थाना क्षेत्र की दो नाबालिग हिंदू लड़कियां व एक नाबालिग मुस्लिम लड़का घर से चले गये। 6 दिन बाद 25 जून को पुलिस-प्रशासन न

एक मजदूर आंदोलन

साथियो, दिनांक 23 जून 2024 को पद्विनी वी एन एन (PADVINI VNA) सेक्टर 35 गुरुग्राम नरसिंहपुर में अचानक मजदूरों का जुझारू आंदोलन सुबह लगभग सुबह 8ः30 बजे शुरू होता है। यह आंद

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को