सेवा में, <br />
श्रीमान् प्रभारी निरीक्षक<br />
कोतवाली रामनगर<br />
विशयः ग्राम पूछड़ी में अवैध रूप से बिक रही शराब पर रोक लगाये जाने के सम्बंध में।<br />
महोदय,<br />
ग्राम पूछडी नई बस्ती में नवीन भूरा व मल्कियत शराब के कारोबार में लिप्त हैं। दिन-रात उक्त व्यक्ति अपने घरों व दुकानों से शराब बेचते हैं तथा मना करने पर झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं। शराब की इस बिक्री के कारण गांव का माहौल खराब हो रहा है। हम ग्रामवासियों के घरों में न तो पीने का पानी है और न ही बिजली। परतंु उक्त शराब विक्रेता घर-घर शराब जरूर भिजवा देते हैं। छोटे बच्चे, पुरुष यहां तक कि कुछ महिलाओं को भी शराब का आदी बना दिया गया है। शराब के कारण परिवार बिखराव की तरफ बढ़ रहे हैं। पति अपनी पत्नी के साथ मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। नियमानुसार गंाव व रिहायशी इलाकों में इस तरह की शराब नहीं बेची जा सकती। परतंु पुलिस प्रशासन की ढील के कारण गांव में शराब का कारोबार फल-फूल रहा है। <br />
हम आपसे मांग करते हैं कि-<br />
आप तत्काल कार्यवाही कर गांव में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाएं तथा अवैध शराब बेेचने वाले व बनाने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही करने की कृपा करें। <br />
महोदय, आपके द्वारा कार्यवाही न किये जाने पर महिला संघर्ष समिति आंदोलन के लिए बाध्य होगी जिसकी पूरी जिम्मेदारी पुलिस-प्रशासन की होगी। निवेदक अध्यक्ष (सीमा तिवारी)<br />
अवैध रूप से बिक रही शराब पर रोक लगायें
राष्ट्रीय
आलेख
ट्रम्प द्वारा फिलिस्तीनियों को गाजापट्टी से हटाकर किसी अन्य देश में बसाने की योजना अमरीकी साम्राज्यवादियों की पुरानी योजना ही है। गाजापट्टी से सटे पूर्वी भूमध्यसागर में तेल और गैस का बड़ा भण्डार है। अमरीकी साम्राज्यवादियों, इजरायली यहूदी नस्लवादी शासकों और अमरीकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की निगाह इस विशाल तेल और गैस के साधन स्रोतों पर कब्जा करने की है। यदि गाजापट्टी पर फिलिस्तीनी लोग रहते हैं और उनका शासन रहता है तो इस विशाल तेल व गैस भण्डार के वे ही मालिक होंगे। इसलिए उन्हें हटाना इन साम्राज्यवादियों के लिए जरूरी है।
आज भी सं.रा.अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक और सामरिक ताकत है। दुनिया भर में उसके सैनिक अड्डे हैं। दुनिया के वित्तीय तंत्र और इंटरनेट पर उसका नियंत्रण है। आधुनिक तकनीक के नये क्षेत्र (संचार, सूचना प्रौद्योगिकी, ए आई, बायो-तकनीक, इत्यादि) में उसी का वर्चस्व है। पर इस सबके बावजूद सापेक्षिक तौर पर उसकी हैसियत 1970 वाली नहीं है या वह नहीं है जो उसने क्षणिक तौर पर 1990-95 में हासिल कर ली थी। इससे अमरीकी साम्राज्यवादी बेचैन हैं। खासकर वे इसलिए बेचैन हैं कि यदि चीन इसी तरह आगे बढ़ता रहा तो वह इस सदी के मध्य तक अमेरिका को पीछे छोड़ देगा।
ट्रम्प ने घोषणा की है कि कनाडा को अमरीका का 51वां राज्य बन जाना चाहिए। अपने निवास मार-ए-लागो में मजाकिया अंदाज में उन्होंने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को गवर्नर कह कर संबोधित किया। ट्रम्प के अनुसार, कनाडा अमरीका के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है, इसलिए उसे अमरीका के साथ मिल जाना चाहिए। इससे कनाडा की जनता को फायदा होगा और यह अमरीका के राष्ट्रीय हित में है। इसका पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और विरोधी राजनीतिक पार्टियों ने विरोध किया। इसे उन्होंने अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता के खिलाफ कदम घोषित किया है। इस पर ट्रम्प ने अपना तटकर बढ़ाने का हथियार इस्तेमाल करने की धमकी दी है।
आज भारत एक जनतांत्रिक गणतंत्र है। पर यह कैसा गणतंत्र है जिसमें नागरिकों को पांच किलो मुफ्त राशन, हजार-दो हजार रुपये की माहवार सहायता इत्यादि से लुभाया जा रहा है? यह कैसा गणतंत्र है जिसमें नागरिकों को एक-दूसरे से डरा कर वोट हासिल किया जा रहा है? यह कैसा गणतंत्र है जिसमें जातियों, उप-जातियों की गोलबंदी जनतांत्रिक राज-काज का अहं हिस्सा है? यह कैसा गणतंत्र है जिसमें गुण्डों और प्रशासन में या संघी-लम्पटों और राज्य-सत्ता में फर्क करना मुश्किल हो गया है? यह कैसा गणतंत्र है जिसमें नागरिक प्रजा में रूपान्तरित हो रहे हैं?
सीरिया में अभी तक विभिन्न धार्मिक समुदायों, विभिन्न नस्लों और संस्कृतियों के लोग मिलजुल कर रहते रहे हैं। बशर अल असद के शासन काल में उसकी तानाशाही के विरोध में तथा बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लोगों का गुस्सा था और वे इसके विरुद्ध संघर्षरत थे। लेकिन इन विभिन्न समुदायों और संस्कृतियों के मानने वालों के बीच कोई कटुता या टकराहट नहीं थी। लेकिन जब से बशर अल असद की हुकूमत के विरुद्ध ये आतंकवादी संगठन साम्राज्यवादियों द्वारा खड़े किये गये तब से विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के विरुद्ध वैमनस्य की दीवार खड़ी हो गयी है।