पंतनगर/ डाल्फिन मजदूरों का आमरण अनशन और धरना 26 नवम्बर 2024 को भाजपा प्रदेश मंत्री विकास शर्मा द्वारा मीडिया के समक्ष अनशनकारी महिलाओं सहित सभी मजदूरों की चरणबद्ध रूप में कार्यबहाली कराने को दिए गए आश्वासन के बाद समाप्त कर दिया गया। जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी डाल्फिन कम्पनी मालिक से बातचीत हुई और मालिक इस बात के लिए पूरी तरह से सहमत है कि पहले चरण में सभी महिला मजदूरों और विकलांग मजदूरों की कार्यबहाली की जायेगी। उसके पश्चात अन्य चरणों में शेष मजदूरों की भी कार्यबहाली की जायेगी।
इसके पश्चात् 37 दिनों से आमरण अनशन पर बैठी चारों महिला मजदूरों और विगत 29 दिनों से अनशन पर बैठे डाल्फिन मजदूर संगठन के अध्यक्ष ललित कुमार का अनशन तोड़ा गया। उस दौरान भी विकास शर्मा द्वारा मीडिया के समक्ष अपनी उपरोक्त बात और वचन को दोहराया गया कि पहले चरण में अनशनकारी महिलाओं सहित सभी महिलाओं और विकलांग मजदूरों की कार्यबहाली की जायेगी। फिर बाकी चरणों में अन्य सभी मजदूरों की भी कार्यबहाली करा दी जायेगी। दोनों पक्षों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ पुलिस में और श्रम विभाग में की गई शिकायतों को वापस लिया जायेगा और सभी मुद्दों का आपस में बैठकर समाधान निकाला जायेगा। मीडिया के समक्ष अनशनकारी महिलाओं ने उनसे कहा कि अपने वचन पर कायम रहना, मुकर मत जाना। अब यह समय के गर्भ में है कि भविष्य में क्या होगा। सभी मजदूरों ने उनकी बातों पर भरोसा दिखाया। इसके पश्चात् धरना और अनशन समाप्त कर दिया गया।
26 नवंबर को कुमाऊं आयुक्त महोदय की मध्यस्थता में उनके हल्द्वानी स्थित कैम्प कार्यालय में दोनों पक्षों की वार्ता हुई। जिसमें उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय महासचिव प्रभात ध्यानी, आम आदमी पार्टी के रुद्रपुर नगर अध्यक्ष सतपाल सिंह ठुकराल और इंकलाबी मजदूर केंद्र के कैलाश भट्ट भी शामिल थे। जिसमें न्यूनतम वेतन, बोनस, गेटबंदी और स्थाई मजदूरों को ठेकेदार के अधीन नियोजित करने के अवैध मामलों पर चर्चा की गई। उन्होंने अगली वार्ता में दोनों पक्षों से अपने पक्ष में दस्तावेज प्रस्तुत करने और उक्त वार्ता में कम से कम पांच-पांच पीड़ित महिला और पुरुष मजदूरों को भी प्रस्तुत करने को कहा। प्रभात ध्यानी के अनुरोध पर उन्होंने कहा कि वो समझौते को लेकर जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर को फोन करेंगे। इसके पश्चात् वहां उपस्थित सभी ने यह तय किया कि जैसे भी हो आज अनशनकारी महिलाओं को समझाकर उनके अनशन को तुड़वा दिया जाये। क्योंकि अब उच्च स्तरीय वार्ता शुरू हो चुकी है, इसका भी संज्ञान लेना चाहिए। अनशनकारी महिलाओं की प्राणरक्षा हेतु उनका आज ही अनशन तुड़वा देना चाहिए।
इससे पूर्व 21 नवंबर 2024 को अपर जिलाधिकारी महोदय रुद्रपुर की मध्यस्थता में करीब 350 मजदूरों की चरणबद्ध तरीके से कार्यबहाली हेतु सहमति बन चुकी थी। 61 ऐसे मजदूरों जिन्होंने पुलिस सत्यापन नहीं कराया है उन्हें सत्यापन कराने के बाद ड्यूटी पर लेने पर सहमति बनी थी। 28 अगस्त से पूर्व करीब 10-12 मजदूरों को दिए गए आरोप पत्र पर घरेलू जांच के बाद आये परिणाम पर उन्हें ड्यूटी पर लेने और 28 अगस्त के बाद जिन्हें आरोप पत्र दिए गए हैं उन्हें भी ड्यूटी पर लेने की बात पर सहमति बन चुकी थी। विगत 8-9 माह पूर्व अवैध गेटबंदी के शिकार जिन 48 मजदूरों का मामला लेबर कोर्ट में चला गया है, उनकी कार्यबहाली कोर्ट के निर्णय के आधार पर करने पर भी सहमति बन चुकी थी। करीब सवा दो सौ स्थाई श्रमिकों को ठेकेदार के अधीन नियोजित करने का मामला भी श्रम न्यायालय में चला गया है इसलिए कोर्ट के निर्णय के आधार पर उनके स्थाईकरण के मुद्दे को तय करने और तब तक उन्हें 27 अगस्त की स्थिति में ड्यूटी पर बहाल करने पर भी सहमति बन चुकी थी। किन्तु प्रबंधक चार अनशनकारी महिलाओं को ड्यूटी पर बहाल करने को तैयार नहीं हुए। इसलिए अनशनकारी महिलाओं सहित सभी श्रमिकों ने एक स्वर में उक्त समझौते को अस्वीकार कर दिया। अनशनकारी महिलाओं को छोड़कर मजदूर समझौता करने और ड्यूटी पर जाने को बिल्कुल भी तैयार नहीं थे। ऐसा करना उन्हें अनैतिक और अन्याय पूर्ण प्रतीत हुआ। इसलिए उक्त समझौता प्रस्ताव को मजदूरों ने अस्वीकार कर दिया।
अंततः 26 नवंबर को अनशनकारी महिलाओं सहित सभी मजदूरों की चरणबद्ध रूप से कार्यबहाली करने के उक्त मौखिक आश्वासन के पश्चात् अनशनकारी महिलाओं की प्राणरक्षा हेतु उपरोक्त कदम उठाये गए।
उपरोक्त आंदोलन में सिडकुल पंतनगर, सिडकुल हरिद्वार सहित देश भर के विभिन्न क्षेत्रों की ट्रेड यूनियनों, सामाजिक और जनपक्षधर संगठनों ने तन-मन-धन से भरपूर सहयोग किया।
यह आंदोलन मजदूरों खासकर मजदूर महिलाओं के जुझारू संघर्ष और प्रशासन-श्रम विभाग-सरकार की मालिक के प्रति पालतू पक्षधरता के लिए याद किया जायेगा। संघर्ष को अधिक व्यापक अधिक एकजुट बनाने के लिए मजदूरों को एक कदम पीछे हटकर समझौता करना पड़ेगा ताकि कल को और अधिक तैयारी से अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की जा सके।
-पंतनगर संवाददाता
डाल्फिन मजदूरों का आमरण अनशन समाप्त
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इजरायल की यहूदी नस्लवादी हुकूमत और उसके अंदर धुर दक्षिणपंथी ताकतें गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों का सफाया करना चाहती हैं। उनके इस अभियान में हमास और अन्य प्रतिरोध संगठन सबसे बड़ी बाधा हैं। वे स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र के लिए अपना संघर्ष चला रहे हैं। इजरायल की ये धुर दक्षिणपंथी ताकतें यह कह रही हैं कि गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को स्वतः ही बाहर जाने के लिए कहा जायेगा। नेतन्याहू और धुर दक्षिणपंथी इस मामले में एक हैं कि वे गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को बाहर करना चाहते हैं और इसीलिए वे नरसंहार और व्यापक विनाश का अभियान चला रहे हैं।
कहा जाता है कि लोगों को वैसी ही सरकार मिलती है जिसके वे लायक होते हैं। इसी का दूसरा रूप यह है कि लोगों के वैसे ही नायक होते हैं जैसा कि लोग खुद होते हैं। लोग भीतर से जैसे होते हैं, उनका नायक बाहर से वैसा ही होता है। इंसान ने अपने ईश्वर की अपने ही रूप में कल्पना की। इसी तरह नायक भी लोगों के अंतर्मन के मूर्त रूप होते हैं। यदि मोदी, ट्रंप या नेतन्याहू नायक हैं तो इसलिए कि उनके समर्थक भी भीतर से वैसे ही हैं। मोदी, ट्रंप और नेतन्याहू का मानव द्वेष, खून-पिपासा और सत्ता के लिए कुछ भी कर गुजरने की प्रवृत्ति लोगों की इसी तरह की भावनाओं की अभिव्यक्ति मात्र है।
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था।
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