10 जून 2024 को छत्तीसगढ़ राज्य के बलौदा बाजार जिले में हिंसा भड़की जिसमें जिला कार्यालय व सैकड़ों गाड़ियों को आक्रोशित भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। इतनी बड़ी हिंसा के पीछे की वजह क्या है, सरकार व प्रशासन छुपाने में लगा हुआ है।
15 मई 2024 को बलौदा बाजार जिले के गिरौदपुरी धाम में पवित्र अमर गुफा में स्थित सतनामी समाज द्वारा पूजे जाने वाले जैतखंभ स्तंभ में असामाजिक तत्वों द्वारा तोड़फोड़ की गई। जैतखंभ को सतनामी समाज एक पवित्र प्रतीक के रूप में पूजता है। सतनामी पंथ से जुड़ी हुई ज्यादातर दलित आबादी है। इस घटना से सतनामी समाज में गुस्सा था और वे शासन-प्रशासन से लगातार मांग कर रहे थे कि तोड़फोड़ करने वालों की गिरफ्तारी की जाय। लेकिन शासन-प्रशासन मामलों को टालता रहा है। भारी दबाव के बाद पुलिस ने खाना पूर्ति करते हुए सड़क बनाने वाले तीन मजदूरों को आरोपी बनाते हुए गिरफ्तार कर लिया। लोगों का कहना है कि ये बिहार के मजदूर हैं, ऐसा काम कर ही नहीं सकते हैं। पुलिस असली आरोपियों को बचा रही है। सतनामी समाज के लोग सीबीआई जांच की मांग करने लगे।
लगभग एक महीने के बाद सतनामी समाज में काम करने वाले संगठनों द्वारा 10 जून को कलेक्टर कार्यालय पर सभा कर मामले को सीबीआई जांच की मांग का एक ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम रखा गया। सभा में 8 हजार की संख्या में भीड़ इकट्ठी हुई। सभा होने के बाद सभी लोग कलेक्ट्रेट आफिस की तरफ बढ़ने लगे। इस दौरान पुलिस और सतनामी समाज के लोगों के बीच जमकर झड़प हुई। मामला भड़का और जमकर तोड़फोड़ और आगजनी हुई जिसमें कलेक्टर आफिस जल कर खाक हो गया और 200 अधिक गाड़ियां भी जली हैं। दर्जनों पुलिस वाले व प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। अभी तक 80 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।
घटना के बाद छत्तीसगढ़ सरकार कांग्रेस पर आरोप लगा रही है कि इनके नेताओं द्वारा हिंसा कराई गयी है।
लेकिन आज सचाई यह है कि 2014 से अब तक भाजपा सरकार के कार्यकाल में देखें तो इनसे जुड़े लम्पट संगठनों द्वारा या समर्थकों द्वारा दलित व अल्पसंख्यकों के नायकों की मूर्तियां व धार्मिक स्थलों पर तोड़फोड़ करना लगातार जारी है। धार्मिक जुलूसों में कैसे उत्पात मचाते हुए दूसरे धर्म के लोगों को गालियां व नारे लगाते हैं, यह किसी से छुपा नहीं है। पुलिस प्रशासन मुकदर्शक बना रहता है। सरकार इन असामाजिक तत्वों को खुद पाल-पोस रही है। असली गुनाहगारों को बचा लिया जाता है और आम लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज कर मामलों को रफा-दफा कर दिया जाता है।