फासीवाद / साम्प्रदायिकता,

इण्टरनेट-सोशल मीडिया पर बढ़ती सरकारी पहरेदारी

    भारत सरकार ने 6 अप्रैल को एक अधिसूचना जारी कर इण्टरनेट व सोशल मीडिया पर अपनी पहरेदारी में भारी वृद्धि कर ली। सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम

इस एनकाउंटर पर ताली पीटना अपनी आजादी कुर्बान करना है

बीते दिनों पूंजीवादी मीडिया में माफिया अतीक अहमद छाया रहा। एक मायने में अतीक अहमद ने फिल्मी हीरो-हीरोईन से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक को मात दे दी। अतीक अहमद को गुजरात से उ.प्र.

पढ़े-लिखे लोगों का जनतंत्र

फासीवादी सोच के कई रंग-रूप हैं। एक से सारे लोग बखूबी वाकिफ हैं यानी हिन्दू फासीवाद से। लेकिन इसके दूसरे रूपों से वाकिफ होना भी जरूरी है, खासकर आज के संकटपूर्ण समय में। ‘पढ़े-लिखे लोगों का जनतंत्र’ इ

जनतंत्र की जननी

अंग्रेजी में एक कहावत है- ‘आइरनी डाइड ए थाउजैण्ड डेथ’। हिन्दी में शाब्दिक अनुवाद होगा- बिडंबना हजार बार मर गई यानी बात बिडंबना की सारी हदों को पार कर गई। स्वयं बिडंबना शब्द विचित्र या व्यंग्यपूर्ण

मलयाना नरसंहार के दोषी रिहा

एक लम्बे इंतज़ार के बाद 1 अप्रैल को मेरठ के मलयाना नरसंहार का फैसला आ गया और इस फैसले में 39 दोषियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया। इस नरसंहार में 93 लोगों को दोषी बनाया गया था। इसमें से

संघी आर्गेनाइजर द्वारा फैलाया जा रहा जहर

हमारे देश में हिन्दू फासीवादी आंदोलन को खाद-पानी मुहैय्या कराने में पूंजीवादी मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। लगातार हिन्दू-मुस्लिम मुद्दा चलाना, सरकार विरोधियों को देश विरोधियों के रूप में

गैर भाजपा शासित राज्यों में फासीवादी हमले

रामनवमी के अवसर पर निकलने वाले जुलूसों ने इस वर्ष बंगाल और बिहार में जमकर तांडव किया। हिन्दू फासीवादियों ने इन दोनों ही राज्यों में मुस्लिमों और उनकी सम्पत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया। इन दोनों ह

योगी सरकार का अधिकारियों को धार्मिक आयोजन कराने का फरमान

भाजपा-संघ के शासन काल में नित्य नये कारनामे हो रहे हैं। मोदी के साथ योगी भी संघ के एजेंडों को आगे बढ़ाने में लगे हैं। नवरात्र (22 से 30 मार्च) में 9 दिन योगी सरकार द्वारा मंदिरों और मठों में रामायण

फासीवादी प्रचार का नमूना - G-20

हिटलर और उसकी नाजी पार्टी के जमाने से ही फासीवादियों ने अपने प्रचार की एक शैली विकसित की है और समाज में अपना आधार बनाने में तथा उसे बनाये रखने में उसे औजार की तरह इस्तेमाल किया है। भारत के हिन्दू फ

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

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ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को