श्रीलंका : स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल की घोषणा

श्रीलंका में एक बार फिर स्वास्थ्य कर्मचारी अपने संयुक्त बैनर हेल्थ ट्रेड यूनियन एलायंस के बैनर तले 19 मार्च को हड़ताल करेंगे। यह हड़ताल वेतन-भत्तों को बढ़ाने के लिए होगी। इससे पहले स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मचारी इस वर्ष 16 जनवरी, 2 व 3 फरवरी तथा 13, 14 फरवरी को हड़ताल कर चुके हैं। फरवरी 19 को स्वास्थ्य मंत्री ने यूनियन के पदाधिकारियों से बात कर उनकी मांगों के सम्बन्ध में स्वास्थ्य सचिव के नेतृत्व में एक कमेटी बनाने की बात की थी लेकिन लगातार वार्ता के बाद भी मांगों के सम्बन्ध में सहमति न बनने के कारण कर्मचारी नाराज हैं और उन्होंने नेतृत्व को मजबूर किया कि वह हड़ताल की घोषणा करे। 12 मार्च को हजारों स्वास्थ्य कर्मचारियों ने 17 बड़े अस्पतालों के सामने लंच समय पर प्रदर्शन किया।
    
पिछले दो सालों से श्रीलंका में महंगाई लगातार बढ़ रही है। बजट के तहत सामाजिक कल्याण की मदों में कटौती हो रही है। कर्मचारियों का वेतन बढ़ती महंगाई के सापेक्ष काफी गिर गया है। ऐसे में कोढ़ में खाज यह है कि श्रीलंका सरकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के इशारों पर सरकारी संस्थानों का निजीकरण करने पर तुली हुई है। फलस्वरूप कभी एक तो कभी दूसरे क्षेत्र के मजदूर-कर्मचारी हड़ताल करने को मजबूर हो रहे हैं। मजदूर-कर्मचारियों की मांगों को मानने के बजाय सरकार उनसे पुलिसिया दमन और काले कानूनों के जरिये निपट रही है। आवश्यक जन सेवा अधिनियम के जरिये स्वास्थ्य और बिजली जैसे क्षेत्रों के कर्मचारियों को हड़ताल न करने के लिए डरा रही है। आवश्यक जन सेवा अधिनियम के जरिये सरकार हड़ताली कर्मचारी पर 5000 रुपये जुर्माना या दो साल की सजा या फिर दोनों ही लगा सकती है। (बिजली क्षेत्र के 66 हड़ताली मजदूरों पर प्रबंधन इसी अधिनियम के तहत कार्यवाही करने की तैयारी कर रहा है) लेकिन कर्मचारी फिर भी हड़ताल करने को मजबूर हैं, उनकी परिस्थितियां उन्हें ऐसा करने को मजबूर कर रही हैं। 
    
स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मचारियों का कहना है कि 2016 से 2020 के मध्य कर्मचारियों के 10,000 रुपये बढ़े थे तब से उनके वेतन में उचित बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। सरकार राज्य के कर्मचारियों को 5000 रुपये का निर्वाह भत्ता देती है जबकि 2022 में 46 प्रतिशत और 2023 में 19 प्रतिशत के हिसाब से महंगाई बढ़ी है। उस पर भी सरकार ने पिछले साल कर्मचारियां पर एक टैक्स (पे एज यू अर्न) लगाकर उनके वेतन में से कटौती करनी शुरू की है।
    
जहां एक तरफ मजदूर-कर्मचारी लड़ने के लिए तैयार हैं वहीं उनका नेतृत्व लगातार सरकार के साथ वार्ता कर और कभी-कभी हड़ताल कर मजदूरों के आक्रोश को ठण्डा करने के प्रयास कर रहा है। जब हेल्थ ट्रेड यूनियन एलायंस के संयोजक कुमुदेश स्वास्थ्य मंत्री की प्रशंसा करते हैं तो उनका वर्गीय चरित्र साफ नजर आने लगता है। 
    
मजदूर वर्ग के क्रांतिकारी नेतृत्व के अभाव में आज श्रीलंका का मजदूर वर्ग अपनी आर्थिक मांगों को भी पूरा करने में अपने तमाम प्रयासों के बावजूद असफल हो रहा है।

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