नगीना कालोनी, पूंजीवादी विकास और मजदूर-मेहनतकश
नगीना कालोनी लालकुआं (नैनीताल) उत्तराखंड रेलवे स्टेशन के समानांतर पूरब की ओर स्थित थी। उत्तराखंड सरकार, केंद्र सरकार, रेलवे, पुलिस-प्रशासन और न्यायालय द्वारा एकजुट होकर न
नगीना कालोनी लालकुआं (नैनीताल) उत्तराखंड रेलवे स्टेशन के समानांतर पूरब की ओर स्थित थी। उत्तराखंड सरकार, केंद्र सरकार, रेलवे, पुलिस-प्रशासन और न्यायालय द्वारा एकजुट होकर न
हल्द्वानी/ हल्द्वानी (उत्तराखंड) क्षेत्रान्तर्गत कमलुवागांजा में साम्प्रदायिक सौहार्द खराब करने और मुस्लिम अल्पसंख्यकों की दुकानों को जबरन बंद करवाने/खाल
लालकुंआ/ नगीना कालोनी उजाड़ने के बाद बिन्दुखत्ता का नाम अतिक्रमण की सूची में आने से बीते दिनों बिन्दुखत्ता की जनता काफी आक्रोशित हो गई। नैनीताल जिले की इस सूची में लालकुंआ के बंगाली
फरीदाबाद/ समाज में बढ़ती महिला हिंसा व यौन अपराधों की शिकार आम तौर पर मजदूर-मेहनतकश वर्ग की महिलाएं-बच्चियां होती रही हैं। इसी के हिस्से के बतौर 11 अगस्त 2022 को रक्षाबंधन के दिन एक
लालकुआं/ 18 मई 2023 को रेलवे प्रशासन ने स्थानीय पुलिस-प्रशासन के साथ मिलकर लालकुआं, उत्तराखंड की नगीना कालोनी को जमींदोज करना शुरू कर दिया। तोड़-फोड़ की यह प्रक्रिया रेलवे द्वारा पूर
रामनगर/ रामनगर में वन भूमि पर अतिक्रमण के नाम पर लोगों के आशियाने उजाड़ने एवं धार्मिक स्थलों को तोड़ने की सरकार की कोशिशों के ग्रामीणों द्वारा जबरदस्त प्रतिरोध के परिणामस्वरूप वन विभ
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था।
ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।
ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती।
अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को