रुद्रपुर : मजदूर महापंचायत का सफल आयोजन

रुद्रपुर (उत्तराखंड)/ पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत दिनांक 7 जुलाई को श्रमिक संयुक्त मोर्चा ऊधमसिंह नगर के आह्वान पर भारी बारिश के बीच स्थानीय रामलीला मैदान में मजदूरों की हुंकार के साथ मजदूर महापंचायत का सफल आयोजन हुआ। इस दौरान आर-पार के आंदोलन हेतु कई प्रस्ताव पारित हुए। पंचायत में भारी संख्या में सिडकुल के मज़दूरों के साथ हरिद्वार, रामनगर, काशीपुर, हल्द्वानी, कालाढूंगी , लालकुआं, नैनीताल, अल्मोड़ा, बरेली, पीलीभीत, गुड़गांव (हरियाणा) आदि विभिन्न क्षेत्रों से तमाम यूनियनों के प्रतिनिधि, सामाजिक-राजनीतिक संगठन, किसान यूनियनों और राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता उपस्थित हुए। 
    
कार्यक्रम की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़ में मारे गए लोगों को 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उसके पश्चात प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच बरेली व हरिद्वार के साथियों द्वारा क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किये गये।
    
महापंचायत में इंक़लाबी मजदूर केंद्र के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश भट्ट ने बात रखते हुए बताया कि आज रुद्रपुर में मजदूर अधिकारों की बात करने वालों पर गुंडा एक्ट लगाया जा रहा है। जो मजदूर फैक्ट्रियों में श्रम कानून लागू करवाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं उन मजदूरों पर गुंडा एक्ट लगाकर उन्हें जिला बदर करने की कार्यवाही की जा रही है। विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री मजदूरों के मामले में कुछ भी सोचने व करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे शासन प्रशासन और सरकार को घेरने की जरूरत है।
    
समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार ने कहा कि गुंडा मजदूर नहीं बल्कि पुलिस प्रशासन है जो मजदूरों का दमन कर रहा है।     
    
डाल्फिन की यूनियन के अध्यक्ष ललित ने कहा कि रुद्रपुर का शासन-प्रशासन पूंजीपतियों के लिए काम कर रहा है। जब डाल्फिन कम्पनी का मालिक मजदूरों को मारने के लिए गुंडे भेजता है जो मजदूरों के साथ मारपीट करते हैं और महिलाओं के साथ छेड़खानी करते हैं तो उनके खिलाफ पुलिस मुकदमा दर्ज नहीं करती है वरन गुंडों की शिकायत पर मजदूरों पर मुकदमा कायम कर उन पर गुंडा एक्ट लगा दिया जाता है।
    
किसान यूनियन चढूनी के प्रदेश अध्यक्ष गुरसेवक सिंह महार ने कहा कि मजदूरों की इस न्यायपूर्ण लड़ाई में किसान हमेशा साथ खड़े हैं। यह लड़ाई मज़दूरों और किसानों की है। 
    
कांग्रेस के किच्छा विधायक ने कहा कि भारी बारिश के बावजूद भारी संख्या में लोग पंचायत में आये हैं यह अच्छी बात है। आज रुद्रपुर में उद्योगों में मजदूरों का शोषण हो रहा है और मालिक मौज़ कर रहे हैं। आज सिडकुल में मजदूरों की हड़ताल के लिए शासन-प्रशासन और फैक्टरी मालिक जिम्मेदार हैं। आज रुद्रपुर की पुलिस अवैध वसूली में लगी हुई है। उन्होंने पुलिस से मजदूरों पर लगाए गुंडा एक्ट को तुरंत रद्द करने की मांग की।
    
भाकपा माले के कैलाश पाण्डेय ने कहा कि जब से सिडकुल लगा है तब से ही मजदूरों का यहां शोषण हो रहा है और मजदूर नेताओं का दमन-उत्पीड़न कर गुंडा ठहराया जा रहा है। जो नये अपराधिक कानून बनाये गये हैं उनके द्वारा समाज में लड़ने वाले लोगों पर शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है।
    
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पी सी तिवारी ने कहा कि रुद्रपुर नैनीताल के डी एम और एस एस पी दोनों गठजोड़ बनाकर मजदूरों के खिलाफ काम कर रहे हैं। 
    
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हरीश पनेरू ने कहा कि उधम सिंह नगर पुलिस प्रशासन, एस एस पी मजदूरों पर हमलावर है। इंटरार्क, अशोका लीलेंड, लुकास आदि के संघर्ष को आगे बढ़ाकर एस एस पी और सरकार को सबक सिखाने के लिए ठोस कदम तय करना चाहिए।
    
किसान नेता नवतेजपाल ने कहा कि किसान आंदोलन में मजदूरों ने मजबूती से सहयोग किया था, अब हम आपके हर संघर्ष के साथ हैं। एस एस पी को अपनी गलती के लिए माफी मांगनी चाहिए, गुण्डा एक्ट वापस लेना चाहिए वरना प्रशासन बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहे।
    
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) हरियाणा के युवा प्रदेश अध्यक्ष रवि आजाद ने कहा कि भविष्य में मजदूरों और किसानों के आंदोलन सरकारों और कारपोरेट के खिलाफ खड़े होंगे। उन्होंने कहा कि इंटरार्क सहित कई कंपनियां मजदूरों के साथ हुए समझौतों को लागू नहीं कर रही हैं, यह उनकी मनमानी को दिखाता है। 
    
बी एच ई एल हरिद्वार के नीशू कुमार ने बोलते हुए कहा कि आज पुलिस प्रशासन औरgyapan सरकारें मिलकर मजदूरों का दमन कर रहे हैं। अगर मजदूर एक हो जाये तो वह व्यवस्था को बदलने की भी क्षमता रखता है। जब मोदी सरकार द्वारा बनाये गये मजदूर विरोधी 4 कोड़ लागू नहीं हुए हैं तब मजदूरों का यह हाल है अगर वे लागू हो गये तो मजदूरों की स्थिति और खराब हो जाएगी। 
    
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी ने कहा कि श्रमिक केवल यह मांग कर रहे हैं कि उत्तराखंड सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन उनको दिलवाया जाये और श्रम कानून लागू करवाए जाएं लेकिन यह भी उनको नहीं मिल रहा है। इसके लिए भी उनको संघर्ष करना पड़ रहा है। 
    
मजदूर सहयोग केंद्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकुल ने कहा कि एस एस पी द्वारा जिन सम्मानित मजदूर नेताओं पर गुंडा एक्ट लगाने की कार्यवाही की गयी है इसके लिए एस एस पी के खिलाफ मान हानि का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। साथ ही मजदूर नेताओं पर गुंडा एक्ट की कार्यवाही सीधे धामी सरकार के इशारे पर की गयी है।
    
क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी पी आर्या ने कहा कि आज रुद्रपुर में इस मजदूर महापंचायत की आवाज पूरे देश के मजदूरों-मेहनतकशों की आवाज है। पंतनगर उन मजदूरों की धरती है जिन्होंने 1978 में अपने संघर्ष में कुर्बानियां दी थीं और अपने अधिकार हासिल किये थे। 
    
भारतीय किसान यूनियन के बलविंदर सिंह मान ने कहा कि आज जब मजदूर आंदोलन कर रहे हैं तो उन्हें गुंडा कहा जा रहा है यह ठीक वैसे ही है जैसे किसान आंदोलन के समय किसानों को भी आतंकवादी और खालिस्तानी कहा गया था। यह सरकार द्वारा मजदूरों और किसानों के संघर्षों को बदनाम करने की ही साजिश है। 
    
प्रगतिशील भोजनमाता संगठन की महामंत्री रजनी ने कहा कि आज सत्ता पर जब फासीवादी बैठे हैं तब वे मजदूरों के संघर्षों को कुचल रहे हैं। ऐसे में इस तरह की पंचायतें मजदूर वर्ग के हौंसलों को बढ़ाने का काम करेंगी। आज स्कूलों में भोजनमाताओं से मात्र तीन-तीन हजार रुपये में काम करवाया जा रहा है। ऐसी सरकारों से हम क्या उम्मीद कर सकते हैं।
    
एक्टू से के के बोरा ने कहा कि प्रदेश सरकारों के लिए ये महापंचायत यह संदेश देती है कि श्रम कानूनों का पालन करवाने के बजाय मजदूरों पर गुंडा एक्ट लगाना बंद करो। मुंबई में जिस तरह रिलायंस के खिलाफ आंदोलन कर रहे 5 मजदूरों पर यू ए पी ए लगाया गया है वह चिंताजनक बात है। 
    
महिला एकता मंच की संयोजिका ललिता रावत ने कहा कि जिन सरकारों को हम चुनते हैं वे कभी पीछे मुड़कर नहीं देखतीं। मेहनतकश जनता के लिए काम न कर वे पूंजीपति वर्ग के लिए काम करने लगती हैं। ऐसी सरकारों को वापिस बुलाने का भी अधिकार जनता के पास होना चाहिए।
    
भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष गणेश मेहरा ने कहा कि अब मजदूरों को संगठित होकर सिडकुल को जाम करना होगा तभी पूंजीपतियों और उनकी सरकारों को अक्ल आएगी।
    
संयुक्त संघर्ष समिति, रामनगर के संयोजक ललित उप्रेती ने कहा कि आज मजदूरों से 8-8 घंटे के बजाय 12-12 घंटे काम करवाया जा रहा है। जिन मजदूरों को आज गुंडा कहा जा रहा है वे देश के लिए उत्पादन कर रहे हैं। जिन किसानों को आतंकवादी और खालिस्तानी कहा जा रहा था वे खेतों में उत्पादन कर रहे हैं।
    
इंकलाबी मजदूर केंद्र के महासचिव रोहित रुहेला ने कहा कि जिन मजदूर नेताओं पर गुंडा एक्ट लगाया गया है वे सही मायने में मजदूर वर्ग के योद्धा और नायक हैं। भगत सिंह को भी अंग्रेज सरकार ने आतंकवादी कहा था और उनको फांसी पर चढ़ा दिया था। मई दिवस के शहीदों को कौन भूल सकता है जिन्हें अमरीकी सरकार ने मजदूरों का नेतृत्व करने के कारण फांसी पर लटका दिया था।
    
समाजसेवी सुब्रत विश्वास ने अपनी बातचीत में कुछ किसान नेताओं से नाराजगी जताते हुए कहा कि इंटरार्क कम्पनी के मजदूरों का जो समझौता किसान संगठनों की पहल पर हुआ था वह अभी तक लागू नहीं हुआ है। उन्होंने किसान संगठनों से इस समझौते को लागू करने के लिए पहल लेने का अनुरोध किया। डाल्फिन कम्पनी के मजदूरों के संघर्षों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि मजदूरों की लड़ाई मजदूर ही लड़ेंगे।
    
गुडगांव से बेलसोनिका यूनियन के मोहिंदर ने कहा कि आज की महापंचायत में सुबह से लेकर शाम तक मजदूरों ने जो अनुशासन दिखाया है वह ही हमें संघर्ष में जीत दिलाएगा। पूंजीपति वर्ग के साथ सरकारें और पूरी मशीनरी खड़ी है वहीं हम मजदूरों के साथ पूरा मजदूर वर्ग खड़ा है। इस मजदूर वर्ग को हमें एकजुट करना होगा। जब एक मजदूर दूसरे फैक्टरी के मजदूरों के संघर्षों में जाते हैं तो उनसे कहा जाता है कि ये तुम्हारी फैक्टरी नहीं है और इस तरह हमारी एकता को तोड़ने की कोशिश की जाती है।
    
नेशनल मूवमेंट फार ओल्ड पेंशन स्कीम आंदोलन के संयोजक हुकुम सिंह नयाल ने कहा जिस तरह आज मज़दूर वर्ग परेशान हैं वैसे ही सरकारी कर्मचारी भी परेशान हैं। सरकारी संस्थानों में भी संविदा और मानदेय के नाम पर कर्मचारियों से आज 3-3 हजार से लेकर 10-15 हजार रुपये में काम करवाया जा रहा है। 
    
परिवर्तनकामी छात्र संगठन के महेश कुमार ने कहा कि आज की महापंचायत इस बात का प्रतीक है कि यदि मजदूरों का दमन किया जायेगा, उन पर गुंडा एक्ट लगाएगा तो मजदूर इसको नहीं सहेंगे। मज़दूरों के साथ परिवर्तनकामी छात्र संगठन अपनी सक्रिय भूमिका निभाएगा।
    
पंचायत में सर्वसम्मति से निम्न प्रस्ताव व निर्णय लिए गये : 

1. मजदूर नेताओं पर गुंडा एक्ट का नोटिस और फर्जी मुकदमों को तत्काल निरस्त करो।   

2. डालफिन के मजदूरों व महिलाओं द्वारा गुंडों के खिलाफ दी गई तहरीरों पर तत्काल मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करो।

3. 57 अधिसूचित उद्योगों में लागू होने वाला 15 मार्च 2024 का न्यूनतम वेतनमान को लागू करो। इंजीनियरिंग तथा आटो सेक्टर के लिए न्यूनतम वेतन की अविलंब बढ़ोत्तरी की जाय।   

4. डालफिन, लुकास टीवीएस लाइटिंग, इंटरार्क सहित सभी पीड़ित मजदूरों की समस्याओं का तत्काल निदान किया जाय। 

5. श्रमिक संयुक्त मोर्चा ऊधम सिंह नगर के कार्यकारी अध्यक्ष दलजीत सिंह के साथ अभद्रता करने वाले एस एस पी ऊधमसिंह नगर अपने व्यवहार के लिए सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त कर माफी मांगें। 
    
इसके अलावा केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूरों को गुलाम बनाने वाले 4 लेबर कोड को वापस लेने, 1 जुलाई से लागू भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, तीनों कानूनों की वापिस लेने, मोदी सरकार द्वारा किसान आन्दोलन के समय किसानों से किये समझौते को तत्काल लागू करने की भी मांग महापंचायत में की गयी।
    
महापंचायत में सिडकुल की ज्यादातर यूनियनों, मजदूर संगठनों, किसान संगठनों, महिला-छात्र संगठनों के साथ आम मजदूरों व महिलाओं ने भागीदारी की। इससे कुछ दिन पूर्व विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने इसी मसले पर कुमाऊं कमिश्नर व पुलिस उपमहानिरीक्षक से मुलाकात कर उन्हें अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा था। मजदूर इस मसले पर लड़ाई को तेज करने की तैयारी कर रहे हैं। 
        -रुद्रपुर संवाददाता

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