संघी अफसर के कूपमण्डूक उपदेश

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म.प्र. की डीआईजी आजकल चर्चा में हैं। वे किसी बड़े अपराध को रोकने या अपराधी गिरोह को पकड़ने के लिए चर्चा में नहीं हैं। म.प्र. के शहडौल की डी आई जी सविता सोहाने स्कूली छात्राओं को बालिका सुरक्षा पर जागरूकता के नाम पर जो बता रही हैं उस कारण से चर्चा में हैं।

बालिका सुरक्षा के नाम पर डी आई जी सविता छात्राओं को बच्चे पैदा करने के संदर्भ में उपदेश देती हुयी कहती हैं ‘‘आप पृथ्वी पर नया बचपन लाएंगे। आप यह कैसे करेंगे? इसके लिए आपको एक योजना बनाने की जरूरत है। पहली बात यह ध्यान रखें कि पूर्णिमा के दिन गर्भधारण न करें।’’ आगे उन्होंने कहा कि सूर्य के सामने झुकने और जल चढ़ाकर नमस्कार करने पर ओजस्वी संतान पैदा होगी।

जब डी आई जी का वीडियो वायरल हो गया तो भी डी आई जी इस पर अपना पक्ष रखते हुए कहती हैं कि उनकी सलाह आध्यात्मिक ग्रंथों पर आधारित है। पूर्णिमा को गर्भधारण् न करने की सलाह हिन्दू परम्पराओं की उनकी समझ पर आधारित है।

जब उनके वीडियो की उक्त कूपमण्डूक बातों की आलोचना हो रही थी तब भी वे अपने वक्तव्य को जायज ठहरा रही थीं। गौरतलब है कि खुद अविवाहित, 31 वर्ष से पुलिस में कार्यरत यह डी आई जी ओजस्वी बच्चा पैदा करने का फार्मूला बांट रही हैं। अगर कल को इस संघी अफसर को छूट मिल जाये तो हर पूर्णिमा को यह घर घर पर पहरा बैठा उस दिन संभोग को अपराध बना दे।

हिन्दू राष्ट्र की ओर बढ़ते भारत में अब ऐसे ही अफसर नजर आयेंगे जो एक से बढ़कर एक कूपमण्डूक बातों से नयी पीढ़ी व समाज को 21वीं सदी में 1000 वर्ष पहले के युग में ले जायेंगे। आखिर संघ-भाजपा का फासीवादी अभियान इसी का इंतजाम कर रहा है।

आलेख

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

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पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

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उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता