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अभी प्रयागराज में मची भगदड़ और उसमें मारे गये लोगों की याद लोगों के दिमाग़ से उतरी भी नहीं थी कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गयी। हालांकि यह सरकारी आंकड़ा है और जिस तरह से इस घटना को छुपाने के प्रयास किये जा रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि मौतों का आंकड़ा इससे ज्यादा है। अस्पताल के बाहर और अंदर जिस तरह बन्दूकधारी तैनात कर दिये गये थे उससे यही आशंका पैदा होती है।
यह घटना करीब 8:30 बजे की है। कुम्भ में जाने के लिए अनगिनत लोग स्टेशन पर जमा हो रहे थे। हर घंटे 1500 टिकट बेचे जा रहे थे। ट्रेनें लेट थीं। हज़ारों लोग स्टेशन पर जमा थे। ट्रेन से आने वाले यात्रियों की भी भीड़ थी। और कोढ में खाज़ यह कि ऐसे में ट्रेनों का प्लेटफार्म बदल दिया जाना लेकिन यह भारी भीड़ एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म कैसे जाएगी इसकी कोई समुचित व्यवस्था न होना। परिणामस्वरूप भगदड़ मचना और 18 लोगों की मौत हो जाना।
पहले इस घटना को अफवाह बताने के बाद रेलवे प्रशासन और दिल्ली के शासन प्रशासन ने जिस तेज़ी से इस घटना को छुपाने के लिए काम किया वह उसकी काहिली के बिल्कुल विपरीत था। दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने पहले अपने ट्वीटर पर भगदड़ और लोगों के मरने की सूचना दी लेकिन बाद में भगदड़ और लोगों के मरने की बात गायब कर दी। पूंजीवादी प्रचारतंत्र ने भी इसे भरसक दबाने का काम किया। हर कोई जिम्मेदार व्यक्ति इस घटना को दबाने की जिम्मेदारी मुस्तेदी से निभा रहा था। लेकिन सोशल मीडिया पर लगातार इस भयावह घटना के विडिओ और रोते बिलखते परिजनों के बयान आने लगे जो चीख चीख कर यह कह रहे थे कि इस भगदड़ की पृष्ठभूमि बहुत पहले से तैयार हो रही थी और अगर शासन प्रशासन सतर्क होता तो इससे बचा जा सकता था।
देश की एक तिहाई आबादी को महाकुम्भ में बुलाने और उन्हें पुण्य प्राप्त करवाने के लिए मोदी और योगी ने पूरे देश में दुगडूगी तो बजवा दी लेकिन पहले से ही बद इंतज़ामी की शिकार रेल इस भारी भीड़ की वजह से पटरी से उतर चुकी थी। स्टेशन पर कुम्भ का अमृत्व पान करने और आने वाली जनता एसी डिब्बों ने शीशे तोड़कर अंदर घुसी जा रही थी। यहाँ तक कि ड्राइवरों के केबिन में भी जनता घुसी पड़ी थी। तिल रखने की भी जगह कहीं मौजूद नहीं थी। और उस पर भी रेल मंत्री को कोई अव्यवस्था नज़र नहीं आ रही थी।
कुम्भ में भगदड़ में मरने वालों पर बागेश्वर धाम के धीरेन शास्त्री ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि इनको तो मोक्ष प्राप्त हो गया है। हिंदी फिल्मों की हीरोइन रही और वर्तमान में सांसद हेमामालिनी ने उस दुर्घटना को मामूली बताया था। इसी तरह उत्तर प्रदेश के एक मंत्री का बयान आया था कि इतने बड़े आयोजनों में ऐसी घटनाएं हो जाती हैं। नई दिल्ली स्टेशन पर मरने वालों के प्रति भी इनके यही विचार होंगे इसमें कोई शक नहीं है। और इनके आकाओं पर भी इस सबसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
आखिर जिनकी राजनीति लाशों के ढेर पर ही फलती फूलती है उनकी नज़र में इन लाशों की कीमत चंद रुपये हैं। उनकी राजनीति के लिए ये लाशें प्रयोगशाला के चूहों से ज्यादा नहीं हैं।