चीन से मजदूरों के आक्रोश के फूटने की खबरें जब तब सामने आती रही हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एकछत्र शासन, प्रेस पर उसके नियंत्रण व सरकारी ट्रेड यूनियन सेण्टर के वर्चस्व के चलते चीनी मजदूरों के लिए संघर्ष की राह पकड़ना बाकी देशों की तुलना में कठिन है। अक्सर संघर्षों की खबरें भी चीन से बाहर नहीं आ पातीं।
पर चीनी मजदूरों के बढ़ते शोषण-दमन के बीच उनके बढ़ते संघर्षों की खबरें पूरी तरह दबा पाना चीनी सरकार के लिए भी संभव नहीं रह गया है। चीनी लेबर बुलेटिन के एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2023 में चीन में 1794 श्रमिक विरोध दर्ज हुए जो 2022 से 216 प्रतिशत अधिक थे।
विनिर्माण श्रमिक संघर्षों के मामले में अग्रणी हैं। 2022 में जहां इनके 37 संघर्ष दर्ज हुए थे वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 438 हो गयी। इसी तरह निर्माण उद्योग में पैदा हुआ संकट भी जगह-जगह श्रमिक असंतोष पैदा कर रहा है। चीन में रियल स्टेट सेक्टर संकटग्रस्त है और इसमें पूंजी निवेश लगातार घट रहा है। नये निर्माण शुरू होने में 40 प्रतिशत की कमी आयी है। ऐसे में निर्माण क्षेत्र के 5 करोड़ श्रमिकों का भविष्य अनिश्चितता व असुरक्षा की ओर बढ़ रहा है। निर्माण श्रमिकों में एक बड़ी आबादी प्रवासी श्रमिकों की है। 2023 में प्रवासी निर्माण श्रमिकों के वेतन संदर्भी 945 विरोध प्रदर्शन हुए जो 2022 की तुलना में दो गुने से अधिक है। निर्माण क्षेत्र में कामों की आउटसोर्सिंग भी निर्माण मजदूरों की परेशानियां बढ़ा रहा है। निर्माण मजदूरों को दैनिक मजदूरी के रूप में 80 युआन (लगभग 11 डालर) मिलते हैं जो उनके दैनिक खर्च भी बमुश्किल पूरा करने लायक होता है।
विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश में गिरावट, अमेरिका-चीन प्रतिस्पर्धा का असर चीनी उद्योगों पर पड़ रहा है। ढेरों कंपनियां चीन छोड़ और सस्ते श्रम वाले देशों में जा रही हैं तो सेमीकण्डक्टर क्षेत्र की कई कम्पनियां दिवालियां भी हो चुकी हैं। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में पैदा हुए बिखराव ने भी चीनी उद्योगों के लिए कठिनाई पैदा की है। ऐसे में इस क्षेत्र में भी बढ़ती बेरोजगारी, मजदूरी में कमी आदि के साथ मजदूरों का बढ़ता असंतोष देखा जा रहा है। मजदूर ज्यादातर बकाये वेतन, छंटनी-बंदी के मुआवजे आदि के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
ई-कामर्स बिक्री की तेजी ने खुदरा बिक्री में तीखी गिरावट पैदा की है। खुदरा बिक्री के क्षेत्र में लगे मजदूर तेजी से नौकरियां खो रहे हैं। कई सुपरमार्केट बंद हो चुके हैं। इस क्षेत्र के मजदूर काम से निकाले जाने के वक्त देय मुआवजे हेतु संघर्ष कर रहे हैं।
ई-कामर्स व प्लेटफार्म कंपनियों की वृद्धि ने चीन में इनसे जुड़े लाखों स्व रोजगार वाले श्रमिकों की फौजी खड़ी कर दी है। ढेरों क्षेत्रों में ये फौज मांग से ज्यादा हो चुकी है। जैसे 12.6 लाख से अधिक कार कैब ड्राइवर अपनी कारों के साथ बाजार में तैनात हो परस्पर प्रतियोगिता कर रहे हैं पर उन्हें सवारी मिलना मुश्किल हो रही है। ऋण लेकर कार खरीदने वालों को किस्त चुकाना भी मुश्किल हो रहा है।
इसी तरह जिले स्तर की कई प्रशासनिक इकाईयां भारी कर्ज में होने के चलते अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन देने में अक्षम हो चुकी हैं। कई प्रशासनिक इकाईयां तो दिवालिएपन की कगार पर हैं। शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मचारी ढेरों जगह कई महीने के वेतन बकाये के बावजूद काम कर रहे हैं। इन कर्मचारियों के भी संघर्ष क्रमशः बढ़ते जा रहे हैं।
सरकार इन सभी क्षेत्रों के मजदूरों के साथ दमनकारी रवैय्या अख्तियार कर रही है। भारी दमन के बावजूद मजदूरों के बढ़ते संघर्ष दिखाते हैं कि चीन में एक ओर अरबपतियों की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी ओर मजदूरों-मेहनतकशों की दुर्दशा भी बढ़ रही है।
चीन में मजदूरों का बढ़ता असंतोष
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