एक मजदूर आंदोलन

साथियो, दिनांक 23 जून 2024 को पद्विनी वी एन एन (PADVINI VNA) सेक्टर 35 गुरुग्राम नरसिंहपुर में अचानक मजदूरों का जुझारू आंदोलन सुबह लगभग सुबह 8ः30 बजे शुरू होता है। यह आंदोलन इतनी तेजी के साथ पूरे गुरुग्राम में फैलता है कि श्रम विभाग और पुलिस प्रशासन के होश उड़ जाते हैं। दरअसल हुआ यह कि सुबह 8ः30 के लगभग PADVINI VNA कंपनी में मोनू नामक एक युवा कर्मचारी की मौत हो जाती है और यह मैनेजमेंट की लापरवाही से होती है। मौत का कारण इस कंपनी की बस के नीचे मजदूर का दबना होता है। कोई भी सिक्योरिटी गार्ड बाहर ड्यूटी के लिए तैनात नहीं किया गया होता है। वारदात के समय ड्राइवर बस को छोड़कर भाग जाता है। जिसका पीछा करते हुए कर्मचारी लोग उसे डेढ़ किलोमीटर के लगभग से पकड़कर कंपनी में लेकर आते हैं। और उसे सिक्योरिटी रूम में बिठा दिया जाता है। पुलिस को फोन किया जाता है और पुलिस लगभग डेढ़ घंटे बाद वहां घटनास्थल पर पहुंचती है। तब तक मैनेजमेंट ड्राइवर को वहां से भगा देती है और कंपनी के गेट पर अंदर से ताला मार दिया जाता है। 
    
इस खबर की जानकारी अंदर काम कर रहे कर्मचारियों को मिलती है तो वे सब काम छोड़कर गेट की तरफ आते हैं। जिसमें 30 से 40 प्रतिशत महिलाएं होती हैं। फिर उन्हें भी इस बात का पता चलता है कि ड्राइवर को भगा दिया गया है व अंदर वालों को बाहर नहीं जाने दिया जाएगा और बाहर वाले को अंदर नहीं आने दिया जाएगा। दरअसल इसके पीछे कंपनी की मंशा यह थी कि मामले को यहीं रफा दफा कर दिया जाए। मजदूरों ने इस चीज का विरोध किया। वे कंपनी का गेट खुलवाने के लिए बार-बार बोलते रहे। तब वहां का एच आर मैनेजर बोलता है क्या हुआ? एक मर गया तो! चार और खड़े हैं। अन्दर आप अपनी लाइन पर जाओ। और काम करो! प्रोडक्शन पूरा चाहिए। इस पर कर्मचारियों का गुस्सा फूट जाता है। उसके बाद सारे कर्मचारी मिलकर HR की पिटाई कर देते हैं। फिर गेट खुलवाते हैं। तब सब बाहर आकर देखते हैं कि मृतक की लाश वहीं पड़ी थी। किसी ने उसे अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं समझी। यह लापरवाही मैनेजमेंट द्वारा की गई। जिससे गुस्साए कर्मचारियों ने जे के ट्रैवल्स की सारी गाड़ियों पर हमला कर दिया और सारी गाड़ियों को तोड़-फोड़ के तहस-नहस कर दिया। 
    
फिर कंपनी का प्रोडक्शन मैनेजर वर्करों के बीच आया। तो वहां की महिला कर्मचारियों ने उसका विरोध किया। क्योंकि वह महिलाओं से कंपनी में अभद्र व्यवहार करता था। कई पुरुष कर्मचारियों से वहां काम कर रही महिलाओं का नंबर देने की बात करता था। जिसका महिलाओं ने विरोध किया था। प्रोडक्शन मैनेजर जब कर्मचारियों को बर्खास्त करने की धमकी देता है तो मजदूर उसकी भी पिटाई कर देते हैं। बीच बचाव में मुख्य मैनेजर आया। और वह पुलिस से यह बोलता है कि इन पर लाठी चार्ज कर दो। तो बिना महिला पुलिस के पुलिस वाले महिलाओं से धक्का-मुक्की करते हैं। जिसमें मृतक की मौसी को हाथ में चोट आ जाती है। जिससे कर्मचारी और भड़क गए। कर्मचारियों ने मैनेजर की गाड़ी भी तोड़फोड़ दी। और इससे पुलिस की गाड़ियां भी नहीं बच पाईं। इसके बाद सारे कर्मचारी मृतक की लाश को कंपनी के अंदर लाते हैं और न्याय नहीं मिलने तक अंतिम संस्कार करने के लिए मना कर देते हैं। 
    
उसके बाद अमेरिका में बैठा उस कंपनी का मालिक वीडियो काल के जरिए महिला कर्मचारियों से बात करता है। और मृतक के परिवार को 20 लाख मुआवजा दे देता है। और इसी बीच वहां भारी पुलिस बल पहुंच जाता है और डेड बाडी को पोस्टमार्टम के लिए ले जाते हैं। सोमवार को कंपनी मालिक कर्मचारियों से बात करने के लिए वहां एक शोक सभा का आयोजन करता है और पूजा-पाठ करवाता है। उसके बाद सारे कर्मचारियों को बोला जाता है कि सब अपने-अपने लाइन पर जाकर काम करें। हम हर एक लाइन में आकर हर कर्मचारी से बात करेंगे। और पूरी कंपनी के अंदर पुलिस तैनात कर दी गई है। आपको यह बता दें कि इस कंपनी में 10 से 12 घंटे की ड्यूटी मजदूरों से ली जाती है। ठेकेदारी का वर्कर हो या परमानेंट वर्कर हो या मैनेजमेंट का हो। सबकी ड्रेस एक समान दी जाती है लेकिन वेतन के मामले में 6 से 7 साल तक से कार्यरत मजदूरों को 11 से 13,000 रुपये तक दिया जाता है।
    
यह जानकारी वहां मौका ए वारदात पर मौजूदा कर्मचारियों द्वारा दी गई। और सही मायने में PADVINI VNA के कर्मचारियों ने समाज और मजदूर वर्ग को एक ऐसा आईना दिखाया है। ज्यादातर ट्रेड यूनियन मजदूर संगठन अपना चरित्र इसमें देख सकती हैं।             -पूरन, गुड़गांव

आलेख

/chaavaa-aurangjeb-aur-hindu-fascist

इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है। 

/bhartiy-share-baajaar-aur-arthvyavastha

1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।

/kumbh-dhaarmikataa-aur-saampradayikataa

असल में धार्मिक साम्प्रदायिकता एक राजनीतिक परिघटना है। धार्मिक साम्प्रदायिकता का सारतत्व है धर्म का राजनीति के लिए इस्तेमाल। इसीलिए इसका इस्तेमाल करने वालों के लिए धर्म में विश्वास करना जरूरी नहीं है। बल्कि इसका ठीक उलटा हो सकता है। यानी यह कि धार्मिक साम्प्रदायिक नेता पूर्णतया अधार्मिक या नास्तिक हों। भारत में धर्म के आधार पर ‘दो राष्ट्र’ का सिद्धान्त देने वाले दोनों व्यक्ति नास्तिक थे। हिन्दू राष्ट्र की बात करने वाले सावरकर तथा मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की बात करने वाले जिन्ना दोनों नास्तिक व्यक्ति थे। अक्सर धार्मिक लोग जिस तरह के धार्मिक सारतत्व की बात करते हैं, उसके आधार पर तो हर धार्मिक साम्प्रदायिक व्यक्ति अधार्मिक या नास्तिक होता है, खासकर साम्प्रदायिक नेता। 

/trump-putin-samajhauta-vartaa-jelensiki-aur-europe-adhar-mein

इस समय, अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूरोप और अफ्रीका में प्रभुत्व बनाये रखने की कोशिशों का सापेक्ष महत्व कम प्रतीत हो रहा है। इसके बजाय वे अपनी फौजी और राजनीतिक ताकत को पश्चिमी गोलार्द्ध के देशों, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र और पश्चिम एशिया में ज्यादा लगाना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में यूरोपीय संघ और विशेष तौर पर नाटो में अपनी ताकत को पहले की तुलना में कम करने की ओर जा सकते हैं। ट्रम्प के लिए यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि वे यूरोपीय संघ और नाटो को पहले की तरह महत्व नहीं दे रहे हैं।

/kendriy-budget-kaa-raajnitik-arthashaashtra-1

आंकड़ों की हेरा-फेरी के और बारीक तरीके भी हैं। मसलन सरकर ने ‘मध्यम वर्ग’ के आय कर पर जो छूट की घोषणा की उससे सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया। लेकिन उसी समय वित्त मंत्री ने बताया कि इस साल आय कर में करीब दो लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। इसके दो ही तरीके हो सकते हैं। या तो एक हाथ के बदले दूसरे हाथ से कान पकड़ा जाये यानी ‘मध्यम वर्ग’ से अन्य तरीकों से ज्यादा कर वसूला जाये। या फिर इस कर छूट की भरपाई के लिए इसका बोझ बाकी जनता पर डाला जाये। और पूरी संभावना है कि यही हो।