भारत में भयानक स्तर पर पहुंच गयी है। बेरोगारी की समस्या को हल करने के लिए भाजपा सरकार एक नायाब योजना लेकर आयी है। इस योजना के तहत देश के बेरोजगार नौजवानों को 500 बड़ी कम्पनियों में एक साल के लिए इंटर्नशिप करने का मौका दिया जायेगा।
इस योजना को लेकर भाजपा सरकार बहुत जल्दबाजी में है। बजट में इस योजना की घोषणा की गयी थी। कहा जा रहा है इंटर्नशिप पोर्टल बनाने का काम जोरों से चल रहा है और अगले सप्ताह से यह पोर्टल शुरू हो जायेगा। कहा जा रहा है कि 500 कारपोरेट कंपनियां पोर्टल में इंटर्नशिप से जुड़ी अपनी आवश्यकता को भेजेंगी। पोर्टल में रजिस्टर्ड युवा यहां आवेदन भेज सकते हैं। कंपनियों द्वारा चुन लेने पर वे एक साल के लिए इंटर्नशिप कर सकते हैं।
मोदी सरकार की यह इंटर्नशिप योजना क्या है? इस योजना के तहत मोदी सरकार बेरोजगार नौजवानों को 500 बड़ी कम्पनियों में इंटर्नशिप करवायेगी और इंटर्नशिप के दौरान ज्यादातर पैसा सरकार ही देगी। कम्पनी में इंटर्नशिप के दौरान एक साल तक प्रति माह सरकार 5000 रूपये देगी यौन ही 6000 रुपये एक मुश्त आकस्मिक तौर पर देगी। कम्पनियों को क्या करना है? उन्हें इंटर्नशिप कर रहे युवाओं से जम कर काम लेना है। और सीएसआर मद से ऐसे इंटर्नशिप कर रहे युवाओं पर 10 प्रतिशत खर्च करना है। (यह सीएसआर क्या है? 2013 में एक कानून के तहत कारपोरेट पूंजीपति की सामाजिक जिम्मेदारी तय करते हुए कहा गया कि कम्पनी अपने लाभ का 2 प्रतिशत सामाजिक कार्यों पर खर्च करेगी)
यानि कारपोरेट पूंजीपति को दोनों हाथ में लड्डू मिल गये। एक तो उसे इंटर्नशिप के नाम पर फोकट का मजदूर मिल गया। क्योंकि इंटर्नशिप युवा को पैसे सरकार देगी। दूसरा सीएसआर से भी वह अपने लिए मजदूर खरीद सकता है। इंटर्नशिप करवाने को ही भाजपा सरकार सामाजिक मदों में खर्च समझ रही है।
यह बिलकुल वैसे ही है जैसे इंटर्नशिप करवाने को मोदी सरकार रोजगार देना समझ रही है। सरकारी खर्च पर कारपोरेट पूंजीपति को एक साल के लिए मजदूर उपलब्ध करवाना बैक डोर से पूंजीपति की तिजोरी भरना ही है। इस हकीकत के विपरीत दावे किये जा रहे हैं कि इस तरह वे पांच साल में 4 करोड युवाओं को रोजगार दे देंगे।