हर रोज खबर अखबार जब भी खोलता हूं तो पूरे पेज पर मोदी की फोटो छपी होती है। हर रोज ही मोदी के पोस्टर मोदी की फोटो। हर रोज मोदी कोई न कोई बड़ा इवेंट कर रहे होते हैं। हर योजना में उनकी फोटो है। भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री की योजनाओं में भी मोदी-मोदी हैं। टीवी में मोदी हैं, सड़क पर मोदी हैं, अस्पताल में मोदी हैं, हर शहर की नगरपालिका में मोदी हैं, ट्रेन में मोदी हैं, मेट्रो में मोदी हैं, जी-20 में मोदी हैं, गणतंत्र दिवस में मोदी हैं, तिरंगा में मोदी हैं, विदेश में मोदी हैं, देश में मोदी हैं, भारत में मोदी हैं, गैस सिलिंडर में मोदी हैं, राम मन्दिर में मोदी हैं, सफाई में मोदी हैं, शौचालय में मोदी हैं, फाइटर जेट में मोदी हैं, चुनाव आयोग में मोदी हैं, व्हाटसएप में मोदी हैं, फेसबुक में मोदी हैं। मोदी अमृत हैं। हर पोर्टल पर मोदी हैं।
देश में अखबारों की हर खबर में मोदी हैं। गेहूं में मोदी, चावल में मोदी हैं, नमक में मोदी हैं। पुरानी संसद में मोदी हैं। नई संसद में मोदी हैं। हर अखबार के पूरे पेज पर हर रोज कोई न कोई उद्घाटन में मोदी हैं। मोदी ने बच्ची को चाकलेट दी। मोदी ने मिट्टी का घड़ा बनते हुए देखा। मोदी इसरो में हैं, मोदी चांद पर हैं। मोदी वंदे भारत ट्रेनों की हरी झंडी में हैं। मोदी सड़क उद्घाटन में हैं। मोदी हवाई अड्डों पर हैं, मोदी पोर्ट पर हैं। ट्रम्प का दोस्त मोदी हैं, बाइडेन का भी दोस्त हैं मोदी। पुतिन का दोस्त हैं मोदी, जेलेंस्की का दोस्त हैं मोदी। भुखमरी को कम करने वाला है मोदी। मोदी आदिवासियों का भी है, पिछड़ों और गैर जाटव दलितों का भी है, ब्राह्मणों का भी है, पसमांदा मुसलमानों का भी है। आयुष्मान कार्ड योजना, कुपोषण भगाओ योजना, जननी योजना, विश्वकर्मा योजना, मध्यान्हन भोजन, लाडली शादी योजना। जन धन योजना, उज्जवला योजना, अनगिनत योजनायें चल रही हैं देश में। देश का प्रधानमंत्री मोदी है, दिल्ली का राज्यपाल मोदी है, दिल्ली का मुख्यमंत्री मोदी है। भारत एक परिवार है और परिवार का मुखिया मोदी है। पूरा विश्व एक परिवार है और उसका मुखिया मोदी है। मोदी ने सच और झूठ का अन्तर खत्म कर दिया है।
कभी तो ऐसा लगता है कि बाकी देश की आबादी क्या कर रही है। अपने ज्ञान से लोगों का भरोसा उठ गया है। मोदी सब कुछ कर सकता है। भरोसा या विश्वास से बढ़कर कुछ नहीं होता। आज हर चीज शक के दायरे में है। अब सारा ज्ञान/विज्ञान, धर्म-संस्कृति, कानून-न्यायपालिका, पुलिस, चुनाव और चुनाव आयोग, ईवीएम, वोट और वोटों की गिनती और गिनती करने का तरीका सब शक के दायरे में आ चुका है। कश्मीर और मणिपुर राज्य आज विलुप्त हो चुके हैं लेकिन नक्शे पर कभी नहीं मिटेंगे। देश के लोगों का इंसानी रिश्ता इन राज्यों के इंसानों से खत्म हो चुका है। केवल सड़क या जमीन का रिश्ता बचा है जो इन राज्यों को जाता है। कुछ भी भरोसे से नहीं कहा जा सकता कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार है कि नहीं। दंगे, दंगे कराने की राजनीति, दंगे होने देने की राजनीति और दंगे रोकने की राजनीति, दंगों की रिपोर्टिंग कुछ भी भरोसे के लायक नहीं रह गयी है। एक नफरत ही बची है जो भरोसे के लायक है चाहे वह हिन्दुओं की नफरत हो मुसलमानों और इसाईयों से या नफरत से नफरत करने वाले इंसानों की। हाईकोर्ट को राज्य की पुलिस पर भरोसा नहीं है। अखबार को अपने सम्पादकों पर भरोसा नहीं है। भगवा पार्टी को अपनी साम्प्रदायिक राजनीति पर भरोसा नहीं है। कभी आरक्षण खत्म हो रहा है कभी 200 साल तक बढ़ाया जा रहा है। कभी मुसलमान आतंकी हैं तो कभी पसमांदा हैं। न्यायपालिका को अपने फैसलों पर भरोसा नहीं है।
भरोसा जनता को नहीं है नेता या पार्टी पर और नेता को भरोसा नहीं है जनता पर। भरोसा मरीज को नहीं है डाक्टर पर और डाक्टर को नहीं है मरीज पर। बास को अपने सबार्डीनेट पर भरोसा नहीं है। सरकार को अपने मंत्रियों पर भरोसा नहीं है। दवाई और टेस्टिंग का भरोसा नहीं है लेकिन अस्पताल फाइव स्टार होटल जैसे खुले हुए हैं। सच और झूठ का फर्क खत्म होता जा रहा है। धर्म खत्म होता जा रहा है और धार्मिक पर्यटन का विकास होता जा रहा है, धार्मिक यात्राएं बढ़ती जा रही हैं। भव्य मन्दिर बन रहे हैं सिर्फ पर्यटन के लिए।
एक सेलीब्रेटी के आत्महत्या करने पर पूरा देश शोकाकुल हो जाता है। दूसरे सेलीब्रेटी की शादी में पूरा देश मगन है। सेलीब्रेटी का बेबी बम्प दिखाया जा रहा है। हड्यिं के ढांचे वाले इंसान के फोटो में उसका धर्म और जाति बताई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट धारा 370 के खत्म होने की सुनवाई कर रहा है जो खत्म नहीं हो रही है। सुनवाई तो मणिपुर की भी चल रही है। दुनिया में मोदी का डंका बज रहा है। ये सब अखबार और मीडिया से हमें पता चलता है। सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है मौलिक अधिकारों की और देश के जेहन से दो राज्य गायब हो चुके हैं जम्मू-कश्मीर और मणिपुर। लेकिन शुक्र है कि अभी देश का नक्शा सही-सलामत है और नक्शे में तो दूसरे देश भी हमारे राज्य बन गये हैं।
भारत बन गया अब विश्व गुरू। श्री श्री रविशंकर, मोरारी बापू, सदगुरू-वासुदेव जग्गी, हिन्दू विश्व गुरू मोहन भागवत। टायलेट, सड़कें, रेलवे स्टेशन वर्ल्ड क्लास बनाये जा रहे हैं। एक्सप्रेस वे बनाये जा रहे हैं। वर्ल्ड क्लास टायलेट पैसा दो और मूतो। अस्सी करोड़ आबादी जो सरकारी राशन पर गुजारा कर रही है। स्मार्ट घड़ी, स्मार्ट मोबाइल, स्मार्ट टीवी, स्मार्ट ट्रेन के स्मार्ट कोच, छोटे मन्दिरों के बजाय भव्य मन्दिर और विशाल आरती और पूजा और दूर से ही गर्भ गृह के दर्शन। स्मार्ट टायलेट, लक्जरी होम, हाइवे और एक्सप्रेस वे कितना विकास हो गया है। पुलिस वाले भी खड़े हैं आनलाइन चालान काटने की मशीन लेकर। अदालतें भी हाईटेक हो गयी हैं। देश की पतंग बहुत ऊंची उड़ायी जा रही और पतंग आंखों से ओझल हो चुकी है और डोर भी खत्म हो गयी है। पतंग कटने के बाद डोर भी नहीं बचेगी। नये सिरे से लुग्दी बनानी पड़ेगी, धागा बनाना पड़ेगा, कागज बनाना पड़ेगा और खत्म होता जा रहा देश भी नये सिरे से बनाना पड़ेगा।
-एक पाठक, फरीदाबाद
देश की पतंग बहुत ऊंची उड़ रही है, कभी भी कट सकती है
राष्ट्रीय
आलेख
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था।
ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।
ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती।
7 नवम्बर : महान सोवियत समाजवादी क्रांति के अवसर पर
अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को